अग्निपथ पर आक्रोश: बेशर्म दलालों का अखबार है जागरण

बिटिया खबर

: कोई धंधा बचा रहा है तो कोई कट्टर हिन्‍दुत्‍ववादी बकवास, दसवें पन्‍ने पर कचरा-सा छापा : दैनिक जागरण एक निहायत क्रूर धन-लोलुप और युवा-पाठकों का धुर विरोधी होने के साथ ही साथ घोर और अमानवीय हिन्‍दूवादी परचा बन चुका :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मैं जो भी बात होती है, खुलेआम ही करता हूं। चाहे वह यौन-संबंध हो या फिर समाचार अथवा किसी के प्रति स्‍नेह-नेह अथवा आक्रोश। लेकिन आज इतना जरूर कहूंगा कि दैनिक जागरण एक निहायत क्रूर धन-लोलुप और युवा-पाठकों का धुर विरोधी होने के साथ ही साथ घोर और अमानवीय हिन्‍दूवादी परचा बन चुका है।
आप खुद देख लीजिए न कि कोई भी खबर अखबार में छपनी ही चाहिए। होनी चाहिए या नहीं ? इतना ही नहीं, खबर का महत्‍व होने के अनुपात में उसका स्‍थान तय होना ही चाहिए। होनी चाहिए या नहीं ? यह जिम्‍मेदारी संपादक की होती है। होनी चाहिए या नहीं ? खास कर वह खबर, जो वाकई जन-मानस को झकझोर सके। होनी चाहिए या नहीं ? भले वह विचार हो या फिर कोई घटना। होनी चाहिए या नहीं ? मगर दैनिक जागरण ने पत्रकारिता को किसी गंदे बदबूदार गड्ढे में घुसेड़ दिया है।
ताजा मामला है अग्निपथ और केंद्र सरकार के वीरों का। केंद्र सरकार की चार वर्षीय युवा नौकरी वाली अग्निपथ योजना को लेकर जिस तरह एक भयावह आक्रोश पूरे देश में फैल गया है, उसका अंदाजा मीडिया से साफ देखा जा सकता है। लखनऊ के अधिकांश बड़े अखबारों ने सर्वोच्‍च स्‍थान दिया है। भले ही सरकार की चमचागिरी के साथ उस खबर को पेश किया गया हो या फिर जनाक्रोश का खुलासा करते हुए।

लेकिन दैनिक जागरण ने अपने दोनों ही प्रमुख पन्‍नों में इस खबर की पूंछ का एक बाल तक नहीं दिखाया। हालांकि यह पूरा का पूरा अखबार वैसे भी एक बकवास और कचरा भर ही है, लेकिन उसके बावजूद उसने अपने दसवें पन्‍ने पर कुछ यूं ही छाप दिया है, मानो यह घटना कोई राष्‍ट्रव्‍यापी नहीं, बल्कि कोई लड़का-लड़की प्रेम करते पकड़े गये।

दैनिक जागरण की बेशर्मी तो देखिये कि इसने देश में लग चुकी आग की खबर अपने पहले पर रखने के बजाय, सरकार को तेल लगाते हुए लिखा है कि अग्निवीरों की उम्र सीमा बढ़ी। लेकिन इसमें कोई भी जिक्र करने की जरूरत नहीं समझी है कि आखिर यह विवाद कैसे उठा और सरकार का उसमें क्‍या नजरिया है। इतना ही नहीं, जागरण ने चार बरस की नौकरी पर कोई शब्‍द तक नहीं लिखा। यह भी शर्मनाक है कि अपने दूसरे प्रमुख पन्‍ने पर जागरण ने योगी-सरकार को तेल लगाने की भरसक कोशिश की। लिखा कि उत्‍तर प्रदेश में बुलडोजर पर कोई भी रोक नहीं।
कहने की जरूरत नहीं कि भाजपा, संघ और कट्टर हिन्‍दू विचारधारा वाले इस अखबार को पढ़ने वाले अधिकांश लोग युवा ही हैं, जो रोजगार न मिलने के चलते फिलहाल तक तो जयश्रीराम का नारे लगा कर सड़कों पर उतर गये थे, लेकिन अब मोदी सरकार के खिलाफ डयवर्ट हो गये हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *