: शर्म आती है कि जौनपुर में कोई साहसी व्यक्ति ही नहीं बचा। न जनता, न प्रशासन : जौनपुर में हफ्ता भर पहले सड़क पर फेंकी गयी थी नवजात बच्ची, प्राथमिकी दर्ज न कर पाया प्रशासन : पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि वह अपराध को दर्ज करे। हर कीमत पर : खुद को बड़ा कहलाने वाले पत्रकार भी अपनी पूंछ छिपाये घूम रहे, बच्ची पर सब के सब खामोश :
कुमार सौवीर
लखनऊ : एक नवजात बच्ची को साजिशन मार डालने वाले हादसे में न तो किसी जिम्मेदार ने पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की जहमत उठायी है, न जनता और किसी संगठन ने कोई हस्तक्षेप की है, और न ही किसी सामाजिक समूह ने उस पर आगे बढ़ कर मामले को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की है। पुलिस या प्रशासन की हालत तो यह है कि अपने ही कानूनन अनिवार्य और संवैधानिक दायित्व को पूरा करने की कोशिश की है। नतीजा यह हुआ है कि करीब एक हफ्ता हो जाने के बाद भी उस नवजात बच्ची की हत्या पुलिस या प्रशासन की ओर से एफआईआर दर्ज करने की कवायद पूरी गयी।
कुछ भी हो, एक हफ्ते बाद दोलत्ती डॉट कॉम ने अपने दायित्वों को कानून तक पहुंचाने की कोशिश कर डाली। उस हौलनाक और दिल-दहला देने वाले हादसे की रिपोर्ट लिखवाने के लिए नौ नवम्बर को ईमेल से और 11 नवम्बर को स्पीड-पोस्ट पर अर्जी लगा दी गयी। स्पीड-पोस्ट के माध्यम से सीधे लाइन बाजार कोतवाली थाने पर भेजी गयी यह अर्जी 11 नवम्बर को ही थाने पर रिसीव कर दी गई है। हालांकि अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि ईमेल अथवा स्पीड-पोस्ट पर भेजी गयी इस अर्जी को पुलिस ने दर्ज किया है या अभी तक नहीं।
मैंने उस दर्दनाक और जघन्य व नृशंस हत्याकांड को लेकर जो अर्जी ईमेल और लाइन बाजार थाना कोतवाली को भेजी गयी है, उसका प्रारूप निम्नलिखित है।
प्रतिष्ठा में,
थाना प्रभारी
लाइन बाजार थाना कोतवाली
जौनपुर
श्रीमान,
मुझे मिली सूचना के अनुसार दिनांक छह नवम्बर-2021 की सुबह आठ बजे के करीब कलीचाबाद नहर पुल के पास एक नवजात बच्ची सड़क के किनारे फेंक दी गयी थी। कुछ लोग बच्ची को जिला सरकारी महिला अस्पताल, रुहट्टा व काली कुत्ती वाले निजी अस्पतालों में गये। लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। बाद में उस लाश को रामघाट श्मशान घाट पर गोमती नदी प्रवाहित कर दिया।
अनुरोध है कि इस घटना की प्राथमिकी दर्ज कर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
कुमार सौवीर
आपको बता दें कि दिनांक छह नवम्बर-2021 की सुबह आठ बजे के करीब बाइक पर सवार व्यक्ति द्वारा कलीचाबाद नहर पुल के पास एक नवजात बच्ची को गहरी नहर में फेंक दिया था। इस घटना को देख-सुन कर मौके पर पहुंचे कुछ लोगों ने उस बच्ची को उठाया और उसे जिला सरकारी महिला अस्पताल ले गये। साथ ही इस घटना की सूचना अस्पताल के समीप ही बने भंडारी पुलिस चौकी को भी दी गयी। बच्ची को अस्पताल ले जाने वाले ने बताया कि अस्पताल में कोई भी डॉक्टर नहीं था, और मौके पर गये पुलिस चौकी प्रभारी और पुलिसवालों ने उन्हें बताया कि वे उस बच्ची को किसी प्राइवेट अस्पताल ले जाकर डॉक्टर को दिखायें। जबकि अस्पताल में तैनात डॉ दीपक जायसवाल का कहना है कि उन्होंने उस बच्ची को देखा था और पाया था कि वह बच्ची अस्पताल आने से पहले ही मृत हो चुकी थी।
डॉक्टर दीपक जायसवाल का कहना है कि बच्ची लेकर गये लोग लाश को लेकर किसी और डॉक्टर के पास जाने की बात कह कर चले गये थे। सूत्र बताते हैं कि सुबह करीब साढ़े नौ बजे के आसपास उस घटना के वक्त गुलाब यादव नामक एक फार्मासिस्ट महिला अस्पताल के गेट पर बाइक से आया था, जिसने उस बच्ची को किसी दूसरे डॉक्टर या अस्पताल तक पहुंचाने की सलाह दी थी। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि जब नौ बजे से ही ड्यूटी का समय निर्धारित है, तो गुलाब यादव काफी विलम्ब से अस्पताल क्यों गये।
यह भी आश्चर्य की बात है कि बच्ची की दुर्घटना में हुई इस मौत की कोई भी सूचना का लिखित मेमो जिला महिला अस्पताल द्वारा स्थानीय भंडारी पुलिस चौकी या नगर कोतवाली की पुलिस को नहीं दिया, जो कि किसी भी आपराधिक घटना पर अस्पताल कर्मियों की अनिवार्य दायित्व होता है। अस्पताल में ऐसी किसी भी घटनाओं की सूचना पुलिस को तत्काल भेजे जाने के लिए एक रजिस्टर मौजूद रहता है और घटना के दिन भी वह मौजूद था।
उधर चौकी प्रभारी ने बताया कि जब वे अस्पताल पहुंचे, तब तक बच्ची के साथ आये लोग उस बच्ची को लेकर किसी डॉक्टर के पास चले गये थे। आश्चर्य बात की है कि पुलिस प्रभारी ने उस बच्ची और उसके लोगों को तत्काल खोजने की जरूरत नहीं समझी, जबकि जिला महिला अस्पताल से भंडारी पुलिस चौकी बमुश्किल पचास मीटर ही दूर है।
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सूत्र बताते हैं कि बच्ची के साथ गये लोगों ने बताया कि सब्जी मंडी में अपर पुलिस अधीक्षक नगर संजय कुमार को उन लोगों ने रोक कर बच्ची की इलाज की गुजारिश की, लेकिन उन लोगों का कहना था कि एएसपी नगर संजय कुमार यह कह कर चले गये कि वे एक वीवीआईपी ड्यूटी पर हैं, इसलिए बेहतर होगा कि वे उस बच्ची को लेकर वे शिशु निकेतन चले जाएं। हालांकि बाद में अपर नगर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार कहना है कि उन्होंने उन लोगों से कहा था कि वे 118 नम्बर पर फोन कर उनसे मदद हासिल कर लें। हमने सात नवम्बर को जब उस मामले पर पुलिस की गयी कोशिश पर जानकारी करनी चाही, तो संजय कुमार कहना था कि वे इस बारे में जानकारी करेंगे। यह पूछने पर कि एक बच्ची की मौत पर होने वाली रिपोर्ट क्या अब तक आपको नहीं मिली है, एएसपी सिटी डॉ संजय कुमार ने फोन काट लिया।
बहरहाल, सूचना के अनुसार बच्ची को लेकर वे लोग रुहट्टा स्थित एक राजेश कुमार नामक डॉक्टर के पास गये, लेकिन वहां संतुष्ट न होकर वे लोग काली कुत्ती में रहने वाले पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आवास के पास अपना निजी अस्पताल संचालित करने वाले डॉक्टर संदीप सिंह के अस्पताल में पहुंचे। वहां मौजूद अस्पताल कर्मचारियों ने उस बच्ची को देख कर उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद वे लोग उस बच्ची की लाश को लेकर रामघाट स्थित अंतिम अन्त्येष्टि स्थल पर पहुंचे और वहां गोमती नदी के जल पर उस बच्ची के शव को प्रवाहित कर दिया।
मैंने इस मसले पर बात करने के लिए पुलिस अधीक्षक और जिला अधिकारी को फोन मिलाया, लेकिन पूरी घंटियों के बावजूद पुलिस अधीक्षक और जिला अधिकारी ने फोन नहीं उठाया। इस पर मैंने एसपी और डीएम को छह नवम्बर की रात 11 बज कर 46 मिनट पर उनको वाट्सऐप कर सूचना दे दी। लेकिन इन दोनों ही नम्बरों वाले वाट्सएप पर भी मुझे कोई सूचना नहीं मिल सकी।
आश्चर्य की बात है कि इस पूरे दौरान मैं जौनपुर के पुलिस और प्रशासन तथा अन्य समाज के अन्य जिम्मेदार लोगों से सम्पर्क में रहा हूं, लेकिन इस घटना की एफआईआर दर्ज करने की जरूरत पुलिस ने अब तक नहीं समझी। जबकि यह एक नृशंस हत्या का मामला है, और पुलिस का सर्वोच्च कार्य दायित्व है।
एक नवजात बच्ची को मार डालने की मकसद से उसे इस तरह लावारिस फेंकना तो जघन्य आपराधिक कृत्य तो है ही, साथ ही उसके बाद सरकारी महिला जिला अस्पताल में उसकी इंट्री न होना, उसे पुलिस की मेमो न भेजा जाना, पुलिस चौकी प्रभारी और एएसपी नगर द्वारा इस मामले पर गैरजिम्मेदारी पूर्ण कृत्य करना के साथ ही साथ पुलिस अधीक्षक तथा जिला अधिकारी द्वारा एक मानव की हत्या को अब तक दर्ज न करने की कोई भी कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, उस लापरवाही से उस नवजात बच्ची के शव का पोस्टमार्टम तक न करने से उस हादसे के समस्त साक्ष्य को हमेशा-हमेशा नष्ट कर देने का अपराध भी हुआ है।