चीथड़ा है तुम्‍हारी तहजीब-संस्‍कृति, हल्‍ला बहुत मचाते हो

बिटिया खबर

: औरत को डायन बता कर गाँव भर में नंगा घुमाने से संस्कृति/तहज़ीब फलती फूलती है : सीने पर दुपट्टा न हो तो संस्‍कृति-तहजीब मरती है, और जीन्स और टीशर्ट के बीच कमर दिखे तो भी संस्कृति/तहज़ीब मरती है : ऐसी संस्कृति/तहज़ीब का न होना ही बेहतर :

डॉ राजदुलारी

बोकारो : सीने पर दुपट्टा न हो तो संस्कृति/तहज़ीब मरती है। कंधे पर ब्रा की स्ट्रिप दिखे तो संस्कृति/तहज़ीब मरती है। जीन्स और टीशर्ट के बीच कमर दिखे तो संस्कृति/तहज़ीब मरती है। मोबाइल फोन इस्तेमाल करे तो संस्कृति/तहज़ीब मरती है। घर वालों के साथ बैठ कर गाँव में हुये बलात्कार की चर्चा करे तो संस्कृति/तहज़ीब मरती है। पति के अलावा किसी और की उपस्थिति में बैठ कर सैनिटरी पैड का विज्ञापन देखने से संस्कृति/तहज़ीब मरती है। छत पर ब्रा-पैन्टी खुले में सुखाने से संस्कृति/तहज़ीब मरती है। साड़ी एड़ी के ऊपर उठ जाये तो संस्कृति/तहज़ीब मरती है। सड़क पर पुरूष का हाथ पकड़ने से संस्कृति/तहज़ीब मरती है।

औरत को डायन बता कर गाँव भर में नंगा घुमाने से संस्कृति/तहज़ीब फलती फूलती है। अपने घर के लोगों द्वारा “बाँट” लिये जाने पर संस्कृति/तहज़ीब बढ़ती है। औरत को पर्दे में कैद कर के रखने से संस्कृति/तहज़ीब बढ़ती है। किसी महिला के बलात्कार और हत्या पर संस्कृति/तहज़ीब को ऊँचाई मिलती है। और संस्कृति/तहज़ीब को सबसे अधिक पोषण तो तब मिलता है जब औरत एक के बाद एक दस बच्चे पैदा कर छाती का दूध सुखा देती है और मर्द निकम्मा बन के अपने दो इंच के टुकड़े की शान में कसीदे पढ़ता रहता है।

यही संस्कृति/तहज़ीब है तो आप अपने कद्दू में बंद कर लीजिये इस संस्कृति/तहज़ीब को। बेहतर होगा आप अपनी संस्कृति/तहज़ीब के साथ किसी कूड़े के ढेर में दफ़्न हो जाइये। ऐसी संस्कृति/तहज़ीब का न होना ही बेहतर है।

बीएचयू में भी पढ़ीं-लिखीं डॉ राजदुलारी जी मूलत: सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षिका भी हैं। बेकाब विचारों की स्‍वामिनी और बोकारो में रह रहीं डॉ राजदुलारी का नाम सोशल साइट्स पर सम्‍मान के साथ लिया जाता है।

(अपने आसपास पसरी-पसरती दलाली, अराजकता, लूट, भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। समाज में आपके आसपास होने वाली कोई भी सुखद या  घटना भी मेरी बिटिया डॉट कॉम की सुर्खिया बन सकती है। चाहे वह स्‍त्री सशक्तीकरण से जुड़ी हो, या फिर बच्‍चों अथवा वृद्धों से केंद्रित हो। हर शख्‍स बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

अब आप नि:श्चिंत हो जाइये। अब आपके पास है एक बेफिक्र रास्‍ता, नाम है प्रमुख न्‍यूज पोर्टल  www.meribitiya.com। आइंदा आप अपनी सारी बातें हम www.meribitiya.com के साथ शेयर कीजिए न। ऐसी कोई घटना, हादसा, साजिश की भनक मिले, तो आप सीधे हमसे सम्‍पर्क कीजिए। आप नहीं चाहेंगे, तो हम आपकी पहचान छिपा लेंगे, आपका नाम-पता गुप्‍त रखेंगे। आप अपनी सारी बातें हमारे ईमेल kumarsauvir@gmail.com पर विस्‍तार से भेज दें। आप चाहें तो हमारे मोबाइल 9415302520 पर भी हमें कभी भी बेहिचक फोन कर सकते हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *