वे घटनाएं, जो सुरक्षा-व्‍यवस्‍थाओं पर विश्‍वास जमाती हैं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: गालियां तो खूब उगली जाती हैं सुरक्षाकर्मियों पर, अब जरा मलहम भी लगाइये : आगरा मार्ग पर गलत मोड़ से आगे बढ़ी कार बिगड़ गयी, गश्‍त करते पुलिसकर्मियों ने सुरक्षा का जिम्‍मा थामा : नैमिषारण्‍य और बस्‍ती में जो सदाशयता दिखायी सुरक्षाकर्मियों ने, वह है प्रशंसनीय :

मेरीबिटिया संवाददाता एवं विनीता सहगल

लखनऊ : पुलिस और सुरक्षा से जुड़े लोगों की छवि हमारे समाज में किसी डरावने प्रेत-पिशाच से कम नहीं मानी जाती है। ऐसे भूत-डरावने अमानुषिक लोग, जो वेतन तो सरकार से लेते हैं, जबकि लूटते हैं आम आदमी को। झूठ, घूस, और हत्‍या की सुपारी से लेकर लोगों को झूठे मुकदमों में एनकाउंटर करने या उन्‍हें जेल भेज देने में माहिर छंटे अपराधियों के संगठित गिरोह के तौर पर पहचान बन चुकी है सुरक्षाकर्मियों की। लेकिन क्‍या वाकई यही मूल चरित्र है उन लोगों का, जो हम, आप समेत पूरे जन-समुदाय की सुरक्षा में जुटे हैं, शायद नहीं। और फिर अगर ऐसा हो भी तो हमें उन घटनाओं को भी भरसक प्रसारित करना चाहिए, जिन्‍होंने हम में उन के प्रति विश्‍वास का भाव जमाया था।

बस्‍ती से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

बस्‍ती, इज्‍जत बहुत सस्‍ती

यहां तीन ऐसी ही घटनाएं हैं, जो अपनी निष्‍ठा, विश्‍वास और आस्‍था को मजबूत करती हैं। हालांकि इनमें से पहली घटना पुलिसवालों की विवशता का प्रदर्शन तो करती है, लेकिन उनकी निष्‍ठा पर कोई भी सवाल नहीं उठाती है। ऐसी हालत में इस पहली घटना को भी प्रशंसाजनक मानता हूं।

तो पहली घटना है करीब ग्‍यारह बरस पहले की। मैं बाइक से लखनऊ से सीतापुर के नैमिषारण्‍य की जा रहा था। सिधौली से हमें मिश्रिख रोड पर मुड़ना पड़ा, उसके बाद करीब 50 किलोमीटर दूर नीमसार यानी नैमिषारण्‍य चौराहा था। उसी छोटे से चौराहे पर मैंने एक पुलिस चौकी देखी, जहां कुछ पुलिसवाले कुर्सी पर बैठे थे। वक्‍त था दोपहर का करीब ढाई बजे का। मैंने पुलिसवाले से पूछा कि नीमसार की सड़क कौन है। कुर्सी पर बैठे पुलिसवालों में से एक सिपाही उठा, और मेरे पास आकर उसने मुझे रास्‍ता बताया। यह भी कहा कि यहां से करीब 12 किलोमीटर दूर जाना होगा। लेकिन उसके साथ ही उसने यह भी चेतावनी भी दी, कि वह हर हालत में शाम चार बजे तक नीमसार छोड़ दें, ताकि उसके बाद आप साढ़े पांच बजे तक हर कीमत पर लखनऊ-सीतापुर के हाईवे वाले सिधौली तक पहुंच जाएं। मैंने हंसी में पूछ लिया:- आप लोगों के रहते भी हमें इतनी सतर्कता की जरूरत पड़ेगी क्‍या।

सीतापुर से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

सीतापुर

उसने सहज भाव में कहा:- दरअसल, उस रास्‍ते में गांव कम ही हैं, और हमारे पास गश्‍त के लिए पर्याप्‍त सुविधाएं भी नहीं हैं। इसलिए आपको यह कष्‍ट बर्दाश्‍त करना होगा। हम कोशिश कर रहे हैं कि चीजें सुधर जाएं, लेकिन उनके सुधरने में वक्‍त लगेगा।

दूसरी घटना कोई चार बरस पहले की है, जब मैं अपने अनुज जैसे मित्र अरविंद विद्रोही के साथ एक चुनाव-यात्रा से गोरखपुर से लौट रहा था। रात के ढाई बज चुके थे। बस्‍ती के विक्रमजोत से आगे खासा सन्‍नाटा था। हम दोनों ही बहुत थक चुके थे। सोचा कि दस-पांच मिनट झपकी ले ली जाए। अभी हम नींद में आये ही थे, कि अचानक कार को खटखटाने की आवाज आयी। मैंने चौंक कर देखा, कि कई लोग खड़े थे। उनमें से एक ने बहुत शराफत से हाथ जोड़ कर प्रणाम किया। मैंने कार का शीशा खोला, तो उसने बताया कि वह लोग टोल-रोड के निगरानी और सुरक्षा की टीम हैं, और चूंकि यह इलाका खासा सन्‍नाटे में होने के चलते कुछ हादसे हो चुके हैं, इसलिए आपसे निवेदन है कि आप आगे दस मील आगे बढ़ जाएं, और फैजाबाद के सुरक्षित इलाके में पहुंच जाएं। कहने की जरूरत नहीं कि हम और अरविंद विद्रोही इस व्‍यवहार से बहुत प्रभावित हुए।

आगरा से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

ताजमहल

अब तीसरी घटना बताया है फेसबुक पर विभिन्‍न विषयों पर अपनी धाक जमाने वाली विनीता सहगल ने। अपनी वाल पर उन्‍होंने बिना किसी लाग-लपेट के लिखा है कि:-

दो साल पुरानी पोस्ट।

अभी यात्रा कर रही हूँ तो एक घटना याद आगयी तो सोचा शेयर करूँ।

बाई कार हम आगरा जा रहे थे। gt रोड पर वैसे तो वो सही रास्ता नहीं जाने का पर गलत टर्न लेने की वजह से वहां से जा रहे थे।

सड़क काफी ख़राब थी और सुनसान भी। इके दुक्के लोग हम जैसे रास्ता भटके शायद या जिन्हें वही कहीं जाना हो वही थे उस रस्ते पर।

तभी हमारा टायर पंचर हो गया और हम साइड में रुक टायर बदलने की तैयारी कर रहे थे।

तभी पेट्रोलिंग करती पोलिस जीप वहाँ आई और हमे रुका देख रुक गयी और पूछने लगे की क्यों रुके है हम जगह ठीक नहीं हमे यहाँ नहीं रुकना चाहिये।

हमने बताया की टायर चेंज कर रहे है। तो वो लोग रुक गए और मदद करी साथ ही जब तक हम रुके वो सब वही खड़े रहे।

बस उन्ही लोगो की याद आगयी तो शुक्रिया उन सब का और हमारी फोर्सेस का जो हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा ततपर रहती है जिनकी वजह से हम सुरक्षित घरो और बाहर रह पाते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *