मीडिया से अमित शाह की दौलत की खबर ऐसे गायब हुई, जैसे गधे के सिर से सींग

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: टाइम्‍स ने फ्लैश की थी 300 फीसदी इजाफे वाली खबर, फिर बड़े संस्‍थानों ने भी छापी। लेकिन तत्‍काल ही वापस ले ली गयी : टाइम्‍स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्‍स, इकनॉमिक टाइम्‍स, आउटलुक, दैनिक भास्‍कर, ज़ी न्‍यूज़ समेत कई संस्‍थानों में यह खबर छपी, फिर पेज अचानक गायब :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जिन्‍होंने रामचरित मानस का अध्‍ययन किया है, उनका हृदय ऋष्‍यमूक पर्वत पर भटक रहे राम और लक्ष्‍मण के आर्तनाद से विदीर्ण हो चुका होगा। अर्थात उनके कपड़े  फट कर हाथ में आ चुके होंगे ( यहां कपड़े शब्‍द के स्‍थान पर कोई अन्‍य उचित शब्‍द भी फिट कर सकते हैं), जब राम रोते हुए सीता को खोजने के लिए वन-चरों से पूछ रहे हैं कि सीता कहां हैं। वे कह रहे हैं कि:- हे मृग, हे मधुकर श्रेणी। तुम देखी सीता मृगनयनी।

ठीक यही हालत देश के जन-मानस की है। वे भाजपा के अध्‍यक्ष अमित शाह से जुड़ी एक खबर को जहां-तहां खोज रहे हैं, पूछ रहे हैं लोगों-पत्रकारों से कि भइया अमित शाह की सम्‍पत्ति वाली खबर कहां है। पता बता दो, तो जनता खुद ही जाकर उसे खोज-हेर लेगी। लेकिन कम से कम उस चमत्‍कारी पुरूष से सम्‍बन्धित समाचार तो मिल जाए जिसे आधुनिक आर्यावर्त की राजनीति में जुगाड़ और तिकड़म के सारे के सारे रिकार्ड ही ध्‍वस्‍त कर दिये। हे नवभारत टाइम्स, खबर नहीं बता रहे हो तो कोई बात नहीं। लेकिन कम से कम इतना तो बता दो कि किसके दबाव में हटाया है तुमने यह ख़बर, ये भी बता दो।

दरअसल, असल खबर यह है कि अमित शाह की सम्‍पत्ति तीन बरसों में ही तीन सौ गुना से ज्‍यादा बढ़ गयी है। शनिवार को एक ख़बर कई वेबसाइटों पर छपी जिसमें बताया गया था कि भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी का इजाफा हुआ है। जाहिर है कि यह खबर किसी को भी चमत्‍कृत कर देने के लिए पर्याप्‍त थी। उसमें चटखारा भी पर्याप्‍त था, उसकी रीडेबलिटी के चलते।

लेकिन  उससे भी ज्‍यादा चमत्‍कृत कर देने वाली खबर तो यह रही कि इस खबर को छापने के बाद तत्‍काल उसे बड़े-बड़े अखबारों के पोर्टल से हटा लिया गया। इस ख़बर को शाम होते-होते तकरीबन हर जगह से हटा लिया गया है। जिनके पास इस खबर का लिंक मिल भी गया, वे भी उसे नहीं खोल पा रहे हैं। वजह यह कि जब खबर ही हटा ली गयी है, तो पोर्टलों में क्‍या घण्‍टा खुल पाता।

लेकिन इसके बावूजद खबर की दुनिया में यह खबर खासी सनसनीखेज बन चुकी है। पीटीआई के पत्रकार प्रियभांशु रंजन बताते हैं कि टाइम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्स, आउटलुक, दैनिक भास्कर, जी सहित सबने अमित शाह की संपत्ति में तीन गुना उछाल वाली खबर हटा ली। सीधा कहें तो लगभग सारे न्यूज पोर्टल ने खबर हटा ली है । चैनल वालों ने दिखाया ही नहीं तो हटाने की बात कौन करे? अब भी कोई बोलेगा कि भारत में आपातकाल जैसे हालात नहीं हैं ?

“एक मेल आता है और अमित शाह की संपत्ति में 300% इजाफे की खबर गायब कर दी जाती है। बस इतना जान लें कि मेरे पास वो मेल है। मेरे मीडिया हाउस में ऐसा कोई मेल नहीं आया। मुझे किसी और मीडिया हाउस के पत्रकार ने सबूत के तौर पर वो मेल दिखाया है। उस मेल में साफ तौर पर लिखा गया है कि अमित शाह वाली खबर नहीं चलानी है। अगर खबर चला दी गई है तो उसे हटाया जाए। मैं वो मेल सोशल मीडिया पर शेयर नहीं कर सकता, क्योंकि इससे उस पत्रकार की नौकरी चली जाएगी, जिसने मुझे वो मेल भेजा है।”

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