: सरकारी बंगले पर बेटी की शादी आयोजित करने के फायदे ही फायदे होते हैं। खर्चा धेला भर नहीं, तोहाफों की बारिश छप्पर फाड़ : पूरा प्रशासन एक पांव पर, भीलवाड़ा की बारात वाला अंदेशा न हो :
कुमार सौवीर
लखनऊ : घर में कोई मांगलिक या शुभ कार्यक्रम की तिथि निकलना न केवल शुभ का प्रतीक होता है, बल्कि पूरे परिवारऔर खानदान के लिए भी हर्ष, उल्लास और प्रसन्नता का विषय बन जाता है। लेकिन तब तो ऐसी खुशियों पर चार चांद लग जाते हैं, जब ऐसे समारोह का आयोजन संबंधित परिवार के पैत्रिक अथवा स्थाई निवास स्थान पर आयोजित करने के बजाय किसी प्रभावशाही ओहदे पर बैठे शख्स के सरकारी बंगले पर हो रहा हो। मसलन जिला का डीएम, एसपी अथवा सीडीओ वगैरह। बल्कि इधर तो आला सरकारी अफसरों ने यह परम्परा ही शुरू कर दी है कि वे अपने यहां किसी भी शुभ अथवा मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन अपने सरकारी बंगले पर ही करेंगे।
हालांकि इस आयोजन की सूचना सार्वजनिक नहीं की गयी है, लेकिन न सिर्फ शहर, जिले में ही नहीं, आसपास के जिलों में भी साहब के सारे हितचिंतकों-शुभेच्छुओं व हितैषियों ने इस शादी का ढिंढोरा मचा दिया है। लोगों ने इस अवसर पर तोहफे, डाली भेजना शुरू कर दिया है।
यूपी में इस तरह मांगलिक कार्यक्रमों की बाढ़ आने की अंदेशा दिखने लगा है। खबर है कि कुछ जिलों के आला अफसर अपने रिटायरमेंट के पहले ही अपने सारे दायित्व सरकारी सुविधाओं और सरकारी खर्चों से ही निपटाने के चक्कर में ऐसे पारिवारिक कार्यक्रम का पहाड़ा सरकारी बंगलों में आयोजित करने में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसे अफसरों को अपनी इस रणनीति को लागू करने से फायदा यह होगा कि सरकारी बंगला में आयोजन होने से सारा तामझाम सरकारी जुगाड़ में हो जाएगा। कहीं कमी-बेसी हुई तो, टेंट-फेंट वाला भी मुफ्त में कामधाम निपटाने को तैयार हो जाएगा। अगर कोई मीनमेख निकालने की कोशिश किसी ने की तो उसके लिए सरकारी तंत्र और उसकी लाठी भी यथोचित स्थान पर छाप दी जाएगी। फिर तो तत्काल ही काम चौव्वन हो जाएगा।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि एक प्रमुख जनपद के एक आला अफसर की बेटी का पाणिग्रहण कार्यक्रम की तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए विशालकाय और सर्व सुविधा-सम्पन्न सरकारी बंगले को सजाने का काम शुरू है। खानपान और खाद्यान्न वाले सामान ढोकर पहुंचा रहे हैं। चाहे गमला, बिजली, खम्भा, बम्बा का मामला हो, या फिर नाला, नाली, कुलिया, पुलिया और सुरक्षा व ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। बंगले के दोनों विशाल दरवाजों पर तेल-फुलेल और ग्रीस-आयल लगा कर रवां कर दिया गया है, ताकि कोई किर्र-चिर्र की आवाज न हो। मालियों की कैंचियां बज रही हैं। जमादारों की टोली पूरे इलाके को चमका गयी है। भिश्ती का काम सम्भाले जन संस्थान वालों का वाटर-टैंकर टोटल ऑर्गेज्म की हालत की तरह हुल्ल-चुल्ल पानी उचकता-उछलता हुआ पूरे इलाके को गीला कर रहा है। आनंद ही आनंद है।
सबसे बड़े मेंढक तो चेले-चापड़ हैं, पत्रकार भी कमान संभाले हैं। पूरा मामला खुद ही उचक-उचक कर करना कम, दिखाने आला अफसर के गैर-सरकारी लेकिन मुंहलगे चेलों-चापड़ों ने सारा जिम्मा खुद ही सम्भाल लिया है। इन मुंहलगे चेलों ने सारे विभागों को टाइट कर दिया गया है कि अगर ऐन वक्त पर किसी तरह की कोई समस्या आयी, तो जिम्मेदार लोगों की हाजत-गुसल तक बंदी के हालात तक पहुंचा दिया जाएगा। हां, नहीं तो।
साहब के घर की शादी का मामला है, मजाक नहीं है। एक गलती से कोई भद्द हुई तो खाल खींच ली जाएगी। नजीर भी है। एक जिले की डीएम रही नीरा यादव ने एक गलती पर एक आदमी को इतना पिटवाया था कि उसकी पूरी जिंदगी बिस्तर पर सिर्फ कराहते हुए बीती।
बस दिक्कत है वह खबर से, जो भीलवाड़ा से आई है। वहां एक शादी में 50 की जगह 250 लोगों को बुलाया। नतीजा 13 पॉजिटिव मिल चुके। दूल्हा सुहागरात-कक्ष के बजाय सीधे अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है।
सूत्रों का कहना है कि सीएमओ और सीएमएस को रोजाना पहाड़ा सुनने की प्रैक्टिस की चेतावनी दी गयी है। कहा गया है कि पूरे दौरान कोई गड़बड़ हुई तो फिर ऐसी जगह घसीटा जाएगा, जहां प्राइवेट प्रैक्टिस करना भूल जाओगे। सरकारी अस्पताल से हटा कर मरीज को नाले के किनारे किये ऑपरेशन और उसकी मौत, छेड़खानी जैसे मामले के सारे मामले खोल दिए जाएंगे, तो भागते वक्त पिछवाड़े पर लत्ता तक नहीं बचेगा।
😀😀 हर्रे न फिटकिरी
रंग चोखा😀😀