दिनदहाड़े डकैती। अमर उजाला ने किया या नवभारत ने ?

बिटिया खबर

: दोनों अखबार ने एक-दूसरे का पूरा का पूरा सम्‍पादकीय पेज ही उड़ा लिया : कौन सा अखबार के मालिक, प्रकाशक और संपादक तथा स्‍थानीय संपादक ने यह डकैती डाली : खबर भी अक्षरश: एक-समान। हेडिंग भी हू-ब-हू। खबरों का प्‍लेसमेंट भी बिलकुल वही, जो इन दोनों अखबारों में दर्ज :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आज यहां हम देश के दो बड़े समाचारपत्रों की करतूतों पर बातचीत कर रहे हैं। आज इन दोनों अखबार ने एक-दूसरे का पूरा का पूरा सम्‍पादकीय पेज ही उड़ा लिया। खबर भी अक्षरश: एक-समान। हेडिंग भी हू-ब-हू। खबरों का प्‍लेसमेंट भी बिलकुल वही, जो इन दोनों अखबारों में है।
जिसे आप ईमानदारी का प्रतिमूर्ति और आम आदमी की अभिव्‍यक्ति का इकलौता माध्‍यम ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र का चौथा-खम्‍भा माना जाता है, दरअसल वह एक मुकम्मिल डकैत है। जी हां, हम यहां अखबारों की बात कर रहे हैं। ऐसे अखबारों की बात कर रहे हैं, जिसकी अपने-अपने इलाकों-राज्‍यों में तूती बोलती है। उसका लिखा ब्रह्मवाक्‍य माना जाता है, जिस पर अविश्‍वास करना भी पाप माना जाता है। यह अखबार आम आदमी की आस्‍था के केंद्र माने जाते हैं।
कहने की तो इन दोनों समेत सभी बड़े दिग्‍गज अखबारों में स्‍थानीय संपादक नाम का एक प्राणी होता है, जिसको उसके मालिक ने सारी अलाय-बलाय थोप दे रखी है। इसीलिए हर अखबार की प्रिंट-लाइन में यह साफ छपवा देता है उसका मालिक कि पीआरबी एक्‍ट के तहत यह स्‍थानीय संपादक ही खबरों को लेकर किसी भी विवाद का जिम्‍मेदार होगा। लेकिन इसी कानून की आड़ में मालिक सारे धंधे निपटाया करते हैं। लेकिन अमर उजाला अथवा नवभारत अखबार ने गजब लैमारी, झपटमारी और सरासर डकैती डाली है।
आज के इन दोनों अखबारों के संपादकीय पृष्‍ठ को देखिये। हू-ब-हू। सिवाय अमर उजाला के इस पेज में प्रिंट-लाइन नहीं है, जबकि नवभारत ने बाकायदा यह प्रिंट-लाइन प्रकाशित कर दी है, जिसमें मालिक का नाम, प्रकाशक का नाम, संपादक का नाम, स्‍थानीय संपादक का नाम के साथ अखबारों के संस्‍करणों का पता और फोन नम्‍बर्स भी लिख दिये हैं। अमर उजाला के सभी संस्‍करणों में भी यही एकसमान पेज हैं, लेकिन उनमें लेखकों का ईमेल एड्रेस दर्ज है।
अब आप इन दोनों अखबारों के इस संपादकीय पन्‍नों को देख कर बताइये कि इन दोनों में कौन सा अखबार के मालिक, प्रकाशक और संपादक तथा स्‍थानीय संपादक ने यह डकैती डाली है।

आपको बता दें कि इन दोनों में नवभारत नामक अखबार की ही तरह अमर उजाला दैनिक समाचारपत्र कई राज्‍यों में छपता है लेकिन इन दोनों की विशिष्‍टता अलग-अलग है। बावजूद इसके कि इसके मालिक माहेश्‍वर खानदान से ही हैं, लेकिन नवभारत में कोई बेहूदा विज्ञापन नहीं छपता है, जबकि अमर उजाता नामक अखबार अपने पाठकों को अखबार के साथ ही अपने पन्‍नोें में छोटे इंद्री यानी गुप्‍तांग-शिश्‍न का गारंटीड इलाज देने का विज्ञापन भी परोसता है। इतना ही नहीं, ऐसे विज्ञापनों में साफ लिखा होता है कि अगर कोई पाठक यह विज्ञापनकर्ता से इलाज करायेगा तो उसे 64 या 128 जीबी का मेमोरी कार्ड भी दिया जाएगा। अब छोटे गुप्‍तांग के इलाज में उपहार के तौर पर 128 जीबी का मेमोरी कार्ड दिलाने का वायदा दिलाने का आशय समझ मेंं नहीं आता है। सिवाय इसके कि यह अखबार किसी भी उचित-अनुचित मार्ग से धन-उगाहने में जुटा हुआ है।

 

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