षडयंत्रों में फंसे देवरिया के बड़े दारोगा ने योगी की छवि का फालूदा बना डाला

बिटिया खबर सैड सांग
: घमंडी रोहन पी कनई तो बस एक पिद्दी भर-सा मोहरा था, लखनऊ में बैठे षडयंत्रकारियों की साजिशों में अपनी बलि दे गया : अपनी मूर्खता के चलते-चलते ही इशारा कर गया कि यह काण्‍ड का सूत्रधार कौन-कौन था :

कुमार सौवीर
लखनऊ : देवरिया कांड में जिस बड़ा दारोगा यानी वहां के कप्‍तान रोहन पी कनई को योगी सरकार ने वहां से कुर्सी से बेदखल करके भगाया है, हकीकत यही है कि वह एक अदना और पदना-पदनी टाइप मोहरा था। जिसने गिरिजा त्रिपाठी जैसे ऊंट-हाथी पर हमला बोल दिया। इस मामले में बहुत ऊंची छलांग इस बड़ा दारोगा ने इसलिए उछाली, ताकि वह लखनऊ में बैठे अपने पुलिस और प्रशासनिक अफसरी वाले आकाओं को खुश कर सके, और देवरिया में यौन-दुराचरण के सो-कॉल्‍ड धंधे पर हंगामा खड़ा कर अपनी वाहवाही लूट ले। लेकिन मामला उल्‍टा पड़ गया। हालत यह हुई कि हाईकोर्ट ने जब कुछ सामान्‍य से सवालों के जवाब देने में असफल कप्‍तान रोहन पी कनई के पांव बुरी तरह कंपकपा गये, सरकार की भी किरकिरी खूब हुई। अब हालत यह है कि इस मामले की फांस केवल रोहन कनई ही नहीं, बल्कि उस डीआईजी बड़बोले राकेश शंकर के गले में भी फंस गयी है, जिसे जल्‍दी निकाल पाना इन दोनों बड़े दारोगाओं के वश की बात नहीं।

पुलिस विभाग की छवि को लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ पिछले कई महीनों से खफा थे। अपराध पर रोक पाने में असमर्थ डीजीपी ओपी सिंह की छवि हवा-हवाई घोषणाओं तक ही सिमट जाने और उसका खामियाजा प्रदेश में कानून-व्यवस्‍था पर बुरी तरह पड़ने से योगी का मूड खराब बताया जाता है। देवरिया के एसपी रोहन पी कनई की मूर्खतापूर्ण कार्रवाइयों ने योगी को बुरी तरह बिफरा दिया था। खास तौर पर तब, जब पांच अगस्‍त की रात देर रात रोहन ने पुलिसलाइंस के सभागार का ताला तोड़ कर प्रेस-कांफ्रेंस की।
फिर सवाल तो यह है कि डीजीपी ओपी सिंह इस मामले में क्‍यो इतना चिंतित और जोशीले थे, कि उन्‍होंने अपने कप्‍तान रोहन को तत्‍काल प्रेस कांफ्रेंस करने का आदेश दिया। सूत्र बताते हैं कि योगी आदित्‍यनाथ को यह खबर मिल गयी थी कि पुलिस विभाग की बिगड़ती छवि को सम्‍भालने के लिए पुलिस के बड़े अफसर कुछ फर्जीवाडा बुन रहे हैं और कुछ ऐसा प्‍लान किया जा रहा था जिससे योगी जी के सामने पुलिस महकमे की छवि पर पड़ा बदबूदार कींचड़ साफ कर उसे निखार दिया जाए। उधर सूत्र बताते हैं कि बदतमीजी की सीमा तक तोड़ चुके रोहन कनई ने अपने आकाओं को खुश करने के लिए वहां के डीएम रहे सुजीत कुमार को भी कोने में फिंकवा दिया था, जबकि इस मामले में सुजीत पूरी तरह बेदाग थे। लेकिन रोहन और उनके आकाओं ने सुजीत को बलि का बकरा बना डाला।
एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर गिरिजा त्रिपाठी पर ही क्‍यों गाज फेंकी गयी थी। उसका जवाब अपर मुख्‍य सचिव और पिछले पांच बरस से महिला विकास विभाग पर काबिज रेणुका कुमार की छवि में छिपा है। महिला विकास योजना से जुड़े सभी के सभी 280 एनजीओ का भुगतान रेणुका कुमार ने पिछले साढ़े तीन बरस से रोक रखा था। सूत्र बताते हैं कि गिरिजा त्रिपाठी ने इस पर ऐतराज किया तो रेणुका ने फटकारते हुए कहा था कि मैं तुम्‍हें औकात पर ला खड़ी कर दूंगी। गिरिजा ने इस पर हाईकोर्ट में रेणुका और उनके महकमे पर मुकदमा किया, जिसकी सुनवाई 13 अगस्‍त-18 को थी, लेकिन इसके पहले ही गिरिजा और उसके पूरे खानदान को देह-व्‍यापार जैसे घिनौने आरोप में जेल में ठूंस दिया गया। इस पर विस्‍तृत खबरें तो हम बाद में देंगे, लेकिन फिलहाल तो इन संगठनों के एकजुट संघ यूपी पावर के महासचिव की जुबानी सुन लीजिए। इस बयान और पूरे प्रकरण को समझने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

अपशकुन हो चुका, आ गया बलि देने का वक्‍त

तो अब साफ हो गया है कि बकलोल रोहन कनई और राकेश शंकर पर कड़ी विभागीय कार्रवाई शुरू हो गयी है, और उनको अपनी करतूतों का खामियाजा भुगतना ही पड़ेड़ जरूर। लेकिन अब रेणुका कुमार और ओपी सिंह जैसे लोगों पर भी आशंकाओं के बादल घुमड़ने लगे हैं। अपशुकन तो हो ही गया है, जल्‍दी ही कोई नतीजा भी सामने आ जाए, तो कोई अचरज की बात नहीं।

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