: दोलत्ती की खबर का असर, देवरिया में भटनी के इंस्पेक्टर पर संज्ञेय अपराधों में मुकदमा दर्ज : महिला की फरियाद सुनने के बजाय थाने में उसके सामने हस्तमैथुन कर रहा था कोतवाल :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कोतवाली में अपनी फरियाद सुनाने गयी महिला को कोतवाल ने अपना लिंग दिखाया और दफ्तर में ही उस महिला के सामने हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया। मगर शर्मनाक बात तो यह रही कि पुलिस महकमे के चेहरे पर किसी जबर्दस्त जूता रसीद करने जैसी इस घटना के चार दिनों तक पुलिस उस घिनौने अपराध को छिपाने पर जुटी रही थी। वह तो गनीमत रही कि इसी बीच दोलत्ती टीम ने इस मामले का पर्दाफाश किया और इस हादसे की खबर विस्तार से छाप डाली। दोलत्ती टीम की इस खबर से पुलिस के आला अफसरों पर इतनी जोरदार दोलत्ती पड़ गयी कि देवरिया के कप्तान से लेकर लखनऊ तक के आला अफसरों के होश उड़ गये। नतीजा यह हुआ कि दोलत्ती डॉट कॉम की खबर का संज्ञान लेते हुए आनन-फानन पुलिस ने अपने चेहरे पर पुती कालिख को पोत डाला और देर शाम उस कोतवाल के खिलाफ गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर इंस्पेक्टर को मुअत्तल कर दिया है।
वैसे इस पूरी छीछालेदर का यह फायदा तो जरूर होगा कि भविष्य में पुलिस कोतवाली, चौकी अथवा किसी अन्य पुलिस दफ्तरों में अपनी शिकायत करने पहुंची महिलाओं के साथ अपमानजनक माहौल को रोका जा सकेगा। दोलत्ती सूत्र बताते हैं कि इस घटना से पुलिस विभाग के दुष्चरित्र पुलिसवालों की करतूतों को लगाम लगाना शुरू हो जाएगा। बताते हैं कि पुलिस में महिलाओं की भर्ती होने के बावजूद थाना अथवा चौकी समेत किसी भी पुलिस परिसर में आने वाली महिला के साथ एक अजीब सा व्यवहार होता रहता है। ऐसे पुलिसवालों की तादात भी खासी ज्यादा है जो महिलाओं को देखते ही उसे घूरना या उस महिला को सुनाते-दिखाते वक्त मर्यादा के विपरीत शब्दों-गालियों का उच्चारण करना शुरू कर देते हैं।
इतना ही नहीं, ऐसे हादसों पर पुलिसवालों की हरकतें उससे भी ज्यादा शर्मनाक हो जाती हैं। पूरा महकमा अपने साथी अपराधी को बचाने की हर जुगत भिड़ाने में जुट जाता है। सामान्य दिनों में अपनी झूठी सक्रियता दिखाने वाला पुलिस कप्तान ऐसे हादसों में घुग्घू या शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार करने लगता है। मसलन, खबरों पर अपना पक्ष रखने का साहस दिखाने के बजाय बालू में अपना मुंह छिपा लेता है। लेकिन जब मामला राजधानी तक को उबालने लगता है, तब ही पुलिसवाले सक्रियता दिखाते हैं। वह भी केवल औपचारिकता के स्तर तक ही। कोशिशें यही होती हैं कि कैसे भी हो, उस साथी को बचा लिया जाए, और वह जेल जाने से फुरसत पा ले।
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थाने में महिला करे फरियाद, इंस्पेक्टर करे हस्तमैथुन
दोलत्ती टीम की खबर के बाद से ही देवरिया से लेकर लखनऊ में हड़कम्प मच गया था। बताते हैं कि लखनऊ से देवरिया पुलिस को इस मामले में जवाब-तलब किया गया कि आखिर छह जून की इस घटना का संज्ञान पुलिस ने अब तक क्यों नहीं लिया। बहरहाल, इस डांट-फटकार के बाद तीस जून की देर शाम देवरिया पुलिस ने इस मामले पर एफआईआर दर्ज किया और भटनी के कोतवाल रहे भीष्मपाल सिंह यादव के खिलाफ धारा 509, 354 जैसे गम्भीर आपराधिक धाराओं में मुकदमा दायर कर दिया। इन धाराओं के अनुसार दोषी पाये जाने पर कम से कम तीन बरस के सश्रम कारावास की सजा मिलेगी, लेकिन अगर इन मामलों में अलग-अलग सजाओं की व्यवस्था होती है, तो कम से कम दस साल तक भीष्मपाल सिंह यादव को जेल में रहना होगा।
वैसे जानकार बताते हैं कि पुलिस इस मामले में अभी गिरफ्तारी करने के मूड में नहीं है। बावजूद यह धाराएं संज्ञेय हैं, लेकिन जमानती भी हैं। सूत्रों के अनुसार पुलिस इस बारे में सोच रही है कि वह भीष्मपाल सिंह यादव को फिलहाल अदालत में पेश न करे। क्योंकि इस कोतवाल की गिरफ्तारी से पुलिस के खिलाफ एक नकारात्मक माहौल बन जाएगा। पुलिस की कवायद है कि मामला ठण्डा हो जाने के बाद उसे आसानी से पचाने लायक माहौल बनाये रखा जाए। और फिर कभी जरूरत पड़ने पर उसे अदालत में पेश करके जमानत पर रिहा करा लिया जाए।
शर्मनाक बात तो यह है कि इस प्रकरण पर देवरिया के पुलिस अधीक्षक का व्यवहार बेहद शर्मनाक ही रहा था। दोलत्ती डॉट कॉम संवाददाता ने इस मामले पर आज दोपहर को जब पुलिस कप्तान डॉ श्रीपति मिश्र से उनका पक्ष जानने के लिए जितनी बार भी कोशिश की, तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। इतना ही नहीं, दोलत्ती संवाददाता ने इस प्रकरण पर कप्तान के सरकारी वाट्सऐप नम्बर पर जब पूरे प्रकरण पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो भी श्रीपति मिश्र ने उसका कोई भी जवाब नहीं दिया। हालांकि बाद रात पुलिस की ओर से वह सूचना जरूर पत्रकारों को दी गयी कि पुलिस ने उस कोतवाल भीष्मपाल सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज उसे निलम्बित कर दिया है।
लेकिन असल सवाल तो यह है कि विगत छह जून को भटनी थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर भीष्मपाल सिंह यादव की इस शर्मनाक करतूत के बावजूद देवरिया पुलिस ने इस मामले पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं। आखिर क्या वजह थी कि इस मामले में लटकाया गया, यह जानते हुए भी इसका खुलासा होने पर सरकार और पुलिस ही नहीं, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों की नाक कट जाएगी।
मुख्यमंत्री की नाक क्यों कटती? नाक काट रही है उस पुलिस की जिसने अपराधी इंस्पेक्टर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज नहीं किया और अब गिरफ्तार नहीं किया? कायदे में तो कप्तान को भी निलम्बित करना चाहिये कि इतने दिनों तक बचाता रहा।