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: सैफुल्‍लाह के पिता ने आतंकवाद की बोलती बंद कर दी : कन्‍हैया ने इंडिया के टुकड़ों की ललकार मचायी थी : अंध-विरोधी भी सैफुल्‍लाह के एनकाउंटर को जायज ठहरा रहे है, तो कुछ लोग सीनाजनी में जुटे :

संवाददाता
लखनऊ :
लखनऊ में एटीएस के साथ हुए एनकाउंटर में मारे गये आतंकी सैफुल्‍लाह के बारे में रिहाई मंच और उलमा काउंसिल के अध्‍यक्ष मौलाना आमिर राशिद जैसे चंद लोगों ने अपनी छाती पीटना शुरू कर दिया। यह दोनों ही गिरोह सैफुल्‍लाह और उसके आतंकी साथियों को सिरे से ही मासूम और बेकुसूर साबित करने में जुट गये हैं। कहने की जरूरत नहीं कि अगर ऐसे चंद लोगों की बात को छोड़ दिया जाए, जिनका पूरा धंधा सिर्फ हर अपराधी को निर्दोष साबित करने पर ही टिका होता है, पूरा का पूरा देश इस हादसे पर पुलिस कार्रवाई को पूरी तरह जायज ठहरा रहा है। और तो और, सैफुल्‍लाह के बुजुर्ग पिता सरफराज और गौस मोहम्‍मद के दोनों ही बेटों ने सैफुल्‍लाह और गौस को सिरे से ही अपराधी करार देते हुए उन्‍हें अपना बेटा और पिता मानने से ही इनकार कर दिया है। सरफराज ने तो सैफुल्‍लाह की लाश तो कुबूल करने से इनकार कर दिया था।
इन पूरे प्रकरण को सोशल साइट्स पर खूब प्रतिक्रिया चल रही हैं। जो भाजपा के खिलाफ आंख बंद कर बाकायदा धुर विरोधी माने जाते हैं, उन्‍होंने भी इस हादसे पर पुलिस की कार्रवाई को पूरी तरह जायज ठहरा दिया है। लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उसमें भी मीन-मेख निकालने से बाज नहीं आते। पेश है ऐसे चंद लोगों की प्रतिक्रियाएं:-
नवल कांत सिन्‍हा: समझिये ये देश सरताज अहमद का है, कन्हैया कुमारों का नहीं… जब ‘इंडिया तेरे टुकड़े होंगे’ नारे लगे थे तो चौबीसों घंटे टीवी स्क्रीन पर कन्हैया कुमार नज़र आ रहा था। और जब सरताज अहमद ने अपने जिगर के टुकड़े की लाश तक लेने से मना कर दिया तो ये एक फ्लैश भर क्यों रह गया. क्या देशभक्तों से टीआरपी नहीं मिलती है!
चंचल बीएचयू : सैफुल्लाह का बाप डरी हुई कौम का अदना सा बासिन्दा है वह कोई ऐसा कदम क्यों उठाएगा जो उसके लिए और उसके परिवार के लिए ताउम्र खार की तरह कसकती रहे और वह अपने ही जमीन पर बेदखल हो जाय । जो होना था सो हो गया , मिट्टी लेकर करेगा क्या ? इस बहाने बाप अपने बेटे की लाश पर खड़े होकर अपने राष्ट्रभक्ति का सन्देश जारी कर रहा है । इन को यही चाहिए । इससे हुकूमत को यह सबूत मिल गया कि जब बाप ही उसे मुजरिम मान रहा है तो दूसरे कौन होते है इसे फेक कहने का ? यह है गुजरात मॉडल । लेकिन एक बात याद रखना , कोई भी मुल्क अपने ही देश के एक हिस्से को डरा कर हुकूमत को न तो मजबूत कर सकती न हिसे पुख्ता कर सकती है । सैफुल्ला का पोस्ट मार्टम करो उसके छाती में एक सवाल है – ठीक है मेरा बेटा गुनाहगार रहा, सजा दे दिया लेकिन उनका क्या हुआ जो isi को सूचना बेचते रहे ?
शीतल पी सिंह : मोदी और बीजेपी की नीतियों और कार्यक्रमों से मतभेद रखने वालों की बहुत बडी जमात है पर इन सबमें एक बात कामन है वह है “अंध विरोध” ! इसमें मैं भी शरीक हूं ।
कई बार चुनाव और आतंकी घटनाओं के विश्लेषण के वक्त इस कारण तथ्य और सत्य का सत्यानाश हो जाता है ।
लखनऊ में पिछली रात पुलिस कार्रवाई में मारे गये सैफुल्ला प्रकरण में यही हुआ और होता रहेगा ।
संयोग या दुर्योग से मैं इस आपरेशन से जुडे उ०प्र० के कुछ शीर्ष अफसरों को जानता हूं । उनसे हुई बातचीत और अन्य तथ्यों कारणों से मैं कह सकता हूं कि शक करना गलत नहीं है पर बेबुनियाद उस शक को सच मान लेना और किस्से गढना बहुत ही गलत है , खासकर ऐसे मामलों में !
आपको पूरी आजादी है उ०प्र० के पुलिस अफसरों के साथ मुझे भी इस असहमति पर बिका हुआ घोषित करने की पर मेरा मन हुआ कि यह बात दर्ज कर ही दूं ।
राकेश मिश्र कुमार: उ प्र पुलिस भी उतनी ही अच्छी या बुरी है जितनी कि सरकार के दूसरे महकमे ।आखिर पुलिस के लोग भी हमारे ही समाज के अंग हैं ।अत:पुलिस के आधिकारिक बयान पर उँगली उठाना क़तई मुनासिब नहीं है ।यकीन रखिए आतंकवाद के मामले में उ प्र पुलिस पूरी तरह प्रोफ़ेशनल तरीक़े से अपनी ड्यूटी को अंजाम देती है चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो ।
पवन अवस्थी: कुख्यात इस्लामी आतंकी संगठन के भारत में प्रवक्ता कांग्रेस नेता पीसी चाको ने आतंकवादी सैफुल्ला के इन्कौन्टर पर सबूत मांगते हुए कहा है की मोदी ने वोट के लिए सैफुल्ला को मरबा दिया है ………सनद रहे की उत्तर प्रदेश में मुलायम जादो के पुत्तर अखिलेश जादो की समाजवादी सरकार है !!…….
देवेंद्र नाथ दुबे : मैंने कहा , ‘कोई जरूरी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों मेँ कोई राजनीतिक व्यक्ति या दल अपना मुँह खोले , क्योँ न पुलिस और सुरक्षा बलों को अपना काम करने दिया जाये और फिर आधिकारिक प्रवक्ता ,यथा सम्भव सिविल सेवा का , समस्त तथ्य जनता को पेश कर दे ;सरकार अपना काम करे ,करती रहे और यदि किसी को कोई शक है ,या कहीं त्रुटि नज़र आती है तो सक्षम फोरम के समक्ष जाये। “
पत्नी ने जवाब दिया , ” इतना तो कोई तब सोचे जब देश -प्रेम वोट -प्रेम से बड़ा हो। “
मैं निरुत्तर था और सोचने को मजबूर।
अंकुर सिंह: बेहिसाब सुकून और ठहराव है इन आँखों में, न डर, न भय, न अफसोस। ये तस्वीर नहीं आपके और हमारे लिए जीवन का अध्यात्म है, यह दुनिया की तस्वीर बदल सकती है। जिस बेटे को चलना सिखाया, दिल से लगाया, आखिरी बार उसे देखने से भी इनकार कर देना, आसान नहीं है सैफुल्लाह का पिता हो जाना।
सुजीत श्रीवास्तव: अच्छा हो या बुरा,.लायक हो या नालायक,
बहुत खलता है अपने अपनों का, असमय मरना
सरताज खान साहब,
आप जैसों से ही इस्लाम का वजूद कायम है,
और आप जैसे लोग ही इस्लाम को बचायेंगे
शर्म आनी चाहिए मानवाधिकार औऱ मज़हब के नाम पर आतंक को डिफेंड करने वाले सूवरो को,
बहन बेटी का सौदा करने से ज्यादा गिरा काम है
मज़हब के नाम पर आतंक को डिफेंड करना
शर्म आनी चाहिए तुष्टीकरण करने वालों नेताओं को
सरताज खान साहब,
मेरा सलाम कुबूल करिये I
अंकुर सिंह : There is no end of idiotic debate and logic. After ATS announcement that Saifullah was not directly associated with isis but self radicalized, debate started that he was not of isis. But one forgets what was all recovered from him, ATS also says he was learning to make bomb and arms through internet. And that’s where we always dilute the core issue, why and how they are opting this radical option. Once again the debate is on religion, region, timing and organisation not on the issue of terror. #thakurganj #lucknowterrorop
सूर्य कुमार: There is need to strengthen Agencies like A.T.S.,S.T.F. and intelligence to prevent such incidents of crime

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