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डांसबार पर इजाजत से सिर्फ अराजकता ही होगी

: बेहिसाब नजीरें हैं जहां अदालतों के आदेश मुंह के बल धड़ाम हो चुके : कोई फैसला तो धरातल देख कर ही हो तो बेहतर : फिर शुरू हो गयी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छीछालेदर :

कुमार सौवीर

नई दिल्ली : महाराष्ट्र और खासकर मुम्बई के बहुचर्चित डांसबार के काले धंधे पर फिर सवाल भड़क चुके हैं। सर्वोच्च  न्यायालय ने हाल ही फैसला किया था कि ऐसे महाराष्ट्र के सैकड़ों डांस-बारों को खोल दिया जाए। अदालत का मानना था कि वहां के डांसबारों पर कार्यरत डांसरों और उनके आश्रितों की रोजी का अधिकार ज्यादा महत्वपूर्ण है। हालांकि अदालतों ने यह भी व्यदवस्था दी कि पुराने लाइसेंसों का खारिज किया जाएगा और जो भी लोग ऐसे डांस बार खोलना चाहते हैं उन्हें नये तरीके से लाइसेंस लेना पड़ेगा। लेकिन इस पूरे प्रकरण पर पहला सवाल तो यह उठ चुका है कि न्यायपालिका आखिरकार चाहती क्या है। खुल कर तर्क करवट लेने शुरू हो गये हैं कि अदालती इस फैसला का आखिरकार किस के पक्ष में गया है। लोगों का कहना शुरू हो गया है कि तर्क के आधार पर ही फैसले देने लेने-देने वाले प्रकरणों का तो सम्मान होना ही चाहिए। कारण यह कि ऐसे फैसलों का आधार होते हैं तर्क और व्यवस्थाएं। जिसका भी तर्क मजबूत हुआ, वह जीत हो गया। और जीता हुआ शख्स या समूह ही जीता हुआ सिकंदर बन गया।

लेकिन केवल फैसलों से खुश कर अपना गाल बजाने वालों की तादात जहां मौजूद है, वहीं उससे नाखुश लोगों की तादात कई सैकड़ा-हजार गुना मौजूद है। हम मानते हैं कि इस मुकदमे में तर्क तो हैं, मगर यह तो देखनी ही पड़ेगी कि आखिरकार यह तर्क हवाई हैं या फिर किसी पुख्ता जमीन पर भी मौजूद हैं। अदालती फैसले के नाखुश लोगों का कहना है कि डांसबार पर इजाजत होने से सिर्फ अराजकता ही होगी। कारण यह कि यह ऐसे सारे डांसबार केवल और केवल वेश्यावृत्ति का ही पर्याय बन चुके हैं। बेशुमार काली कमाई वाली रकम, शराब के खुलेआम अश्लील झोंके और उत्तेजित शराबियों के सामने अर्द्धनग्न युवतियों का नाचनुमा नंगापन केवल और केवल अराजकता का ही धंधा होता है। जिसमें माफिया, देह-व्यापारी और बेहिसाब रकम लुटाने पर आमादा मदमत्त लोगों के सामने मेमने की लड़कियों की मौजूदगी कानून और व्यावस्था को ही नोंच-खरोंच डालेगी। कुलमिला कर डांसबार पर इजाजत दिये जाने से सिर्फ अराजकता ही पैदा होगी।

रही बात अदालतों के आदेशों की, तो बेहिसाब नजीरें हैं जहां अदालतों के आदेश मुंह के बल धड़ाम हो चुके। ज्यारदातर लोगों का मानना है कि कोई भी फैसला को धरातल को देख कर ही किया जाए तो बेहतर होगा। वरना फिर शुरू हो जाएगी अदालतों के आदेशों पर छीछालेदर की शुरूआत। और इसकी शुरूआत हो भी चुकी है। महाराष्ट्र से ही, जहां के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने विधानसभा में ही साफ ऐलान कर दिया कि राज्य सरकार डांस बार बंद करने के अपने रुख पर कायम है और वह डांस बार पर प्रतिबंध हटाने सम्बन्धी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अगले 2 दिन में कोई फैसला करेगी।

विधानसभा में एमएनएस के नंदगांवकर और वरिष्ठ पीडब्ल्यूपी विधायक गणपतिराव देशमुख डांस बारों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बारे में जानना चाहते थे। इसके जवाब में पाटिल ने कहा, ‘हमने दिल्ली और मुंबई में विशेषज्ञों से कानूनी राय मांगी है। राज्य सरकार का नजरिया यह है कि डांस बारों पर बैन जारी रहना चाहिए।’ पाटिल ने तो यहां तक कह दिया है कि राज्य सरकार डांस बार पर प्रतिबंध जारी रखेगी और इस मामले के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल भी गठित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने अगले कदम पर कोई फैसला लेने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है। पाटिल ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो 3 या 5 सितारा होटलों को जारी किए गए डांस बार लाइसेंस भी वापस लिए जाएंगे।

और योर ऑनर ! अगर ऐसी हालत पैदा हो गयी तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी। है कि नहीं जज साहब ?

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