सपा का यह जो सर्वनाश हुआ है, इसका जिम्‍मेदार हैं अखिलेश यादव

मेरा कोना

: जिस यादव-कुल को मुलायम ने बुना था, अखिलेश ने उसकी जड़ें खोद डालीं : पहले  समाजवाद के नाम पर सिर्फ अराजकता वाली बीन पर ही झूमते रहे अपराधी : सपा, कांग्रेस और बसपा की हालत तो किसी बदकिस्‍मत होलिका की तरह हो गयी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : तो अब साफ हो गया है कि हिन्‍दुत्‍व वाले केसरिया रंगत वाली बयार के सहारे पूरा यूपी झूमेगा। कम से कम अगले पांच बरस तक। इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है कि भाजपा किस शख्‍स को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बिठायेगी, इतने जबर्दस्‍त बहुमत के बाद जिस शख्‍स को भी वजीर-ए-आला बनाया जाएगा, वह जाहिर है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह का खासमखास ही होगा। ऐसी हालत में सरकार के हर फैसलों पर कोई भी प्रान्‍तीय नेता उंगली उठा पाने की हैसियत नहीं कर पायेगा। यूपी का हर अंग, दिशा और धुरी अब भाजपा की लगाम के निशाने पर रहेगी।
लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि हम उन धुरियों को सवालों की अदालत में खड़ा कर दें, जिनके चलते भाजपा इस चमत्‍कारित जीत दर्ज कर पायी। इतना ही नहीं, सवाल तो उन दलों पर होने चाहिए कि आखिर किन हालातों में यूपी में भगवा की कूंची कमाल कर गयी। यह जीत भले ही भाजपा की हुई है, लेकिन इसका कारण सिर्फ और सिर्फ समाजवादी पार्टी का कामधाम ही रहा है, जिसने पिछले पांच बरसों तक प्रदेश को बदहाली और अपराध की मंडी बना डाला। आम आदमी इतना त्रस्‍त हो गया कि उसने हार कर भाजपा का दामन थाम कर अपनी बिगड़ी-अराजक सांसें सम्‍भालीं।
पिछले 15 बरस का यूपी का इतिहास बांच लीजिए। सन-12 में बसपा-सरकार के मूर्ति-प्रेम से आजिज होकर पिछले चुनाव में यूपी की जनता ने समाजवादी पार्टी को अपना नेता बनाया था। उसके पहले भी सन-07 में समाजवादी पार्टी को ही जनता ने भाजपा के खिलाफ वोट किया था। यानी उस पूरे दौरान जनता ने भाजपा को हमेशा इस लायक ही नहीं समझा, कि उसे सत्‍ता दिया जा सके। इसके लिए पहले भाजपा को हटा कर पहले सपा को, फिर उसकी अराजकता के खिलाफ बसपा को थमायी गयी थी लगाम। और उसके बाद बसपा को हटा कर सपा को पगड़ी पहनायी गयी।
लेकिन जनता की सब्र की सीमा आखिरकार इस चुनाव में खत्‍म हो गयी। इस बार जनता ने न केवल बसपा और सपा का दिमाग ठीक दुरूस्‍त करने का फैसला किया, बल्कि इतना चरम समर्पण कर दिया, कि सपा और बसपा के होश उड़ जाएं। सीधे शब्‍दों में कहा जाए तो जनता ने सपा और बसपा के चेहरे पर एक जोरदार और अमिट तमाचा रसीद किया है, और साबित कर दिया है कि लोकतंत्र में जनता सब कुछ बर्दाश्‍त कर सकती है, लेकिन जनता का चैन-अमन तबाह करने की साजिशों पर उसका रवैया हमेशा तमाचा मारने लायक ही होगा।
दरअसल, खुद को समाजवादी पार्टी की खाल ओढ़ने वाले यदु-वंशियों के नेता मुलायम सिंह यादव ने राजनीति को अपने खानदानी दूकान की तरह सजाने की शैली में एक नौसिखुए लड़के अखिलेश यादव को सीधे मुख्‍यमंत्री की कुर्सी थमा कर अपनी दूकान चमकाने की साजिश की। लेकिन इस सरकार पर मुलायम किसी राहु-केतु की तरह कुण्‍डली मारे बैठे रहे। बलात्‍कारियों को माफी दिलाने वाले उनके बयान ने यूपी में मासूम और अबोध बच्चियों से अमानवीय बलात्‍कार और नृशंस हत्‍याओं का एक मेला जैसा लगवा दिया।
उधर गुण्‍डागर्दी पर आमादा समाजवादी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में कहर बरपाना शुरू कर दिया। लेकिन मिस्‍टर क्‍लीन कहलाने वाले अखिलेश ने इन गुण्‍डागर्दी पर लगाम लगाने के बजाय, उसे छुट्टा छोड़ने की नीति अपनाना शुरू कर दिया।
लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में रक्‍तरंजित एक महिला की नंगी लाश मिलने पर अखिलेश सरकार और उसके कारिंदों ने जो अराजकता का प्रदर्शन किया, वह बेमिसाल था। अफसर सिर्फ झूठ पर झूठ ही बोलते रहे। इसके बाद जितने भी बड़े हादसे हुए, उनके जिम्‍मेदार लोगों पर कार्रवाई न करके अखिलेश ने यह साफ कर दिया कि उनकी प्राथमिकता केवल अपराधी और अराजक तत्‍वों को प्रश्रय देना ही होगी।
वरना क्‍या वजह थी कि शाहजहांपुर में अखिलेश के एक मंत्री श्रीराम वर्मा के इशारे पर एक निष्‍ठावान और जुझारू पत्रकार जागेंद्र सिंह को पुलिस की टीम ने उसके ही घर में दबोचा और उस पर तेल डाल कर उसे जिन्‍दा फूंक दिया। गोंडा का पंडित सिंह किसी छुट्टा गुण्‍डा की तरह लोगों को कहर बरपाता रहा। सीएमओ को बंधक बनाया और जनता को गालियां दीं, पीट दिया। यही सब हुआ कुशीनगर में। जौनपुर में लकी नामक एक गुण्‍डा की हरकतें बेमिसाल रहीं। जौनपुर का जुल्‍फी प्रशासन ने सामूहिक बलात्‍कार से पीडि़त युवती की रिपोर्ट आज एक साल बीत हो जाने के बावजूद उसकी रिपोर्ट दर्ज कराने के बजाय, उसे जौनपुर से हटवा दिया। मंत्री पारसनाथ यादव और शारदा शुक्‍ला गुण्‍डागर्दी करता रहा, अखिलेश ने आंखें बंद ही रहीं।
नतीजा, इस बार सपा वाली अखिलेश-सरकार का सर्वनाश हो ही गया।

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