डांसबार: युवतियों की मजबूरी पर इतरा रहा है हर शख्स

मेरा कोना

इतना तय है कि ऐसे मंथन का नतीजा गंदा ही निकलेगा

कुमार सौवीर

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट का फैसला। महाराष्ट्र और मुम्बई के बंद पड़े डांस बार। फैसले के खिलाफ खड़ी महाराष्ट्र सरकार। बेरोजगार हो चुकीं 75 हजार बार गर्ल्स।

पूरा प्रकरण इन्हीं पात्रों और हालातों के बीच ही उमड़-भड़क रहा है। हर शख्स और एजेंसी अपने हिसाब से जोड़-घटाव में जुट गयी है। लेकिन इतना तो तय ही है कि इस मंथन का नतीजा गंदा ही निकलेगा। आइये, जरा निहार लिया जाए इस प्रकरण पर हर शख्स की चिंता की जमीन कहां है।

किसी तो अपनी कानूनी वाली पोथी में दर्ज नजीरों को रटना पड़ रहा है तो कोई उनकी विवेचना-विश्लेषण में जुटा हुआ है। कोई ऐसे फैसले पर मिठाई बांट रहा है और पटाखा छुड़ा रहा है तो कोई उसके खिलाफ मर्सिया पढ़ रहा है। कोई इस कोशिश में है कि नये बार के लाइसेंस में हर डांस-बार में कितने करोड़ की कमाई होगी। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की चिंता इस बात पर है कि उनकी जेब में कितनी रकम आयेगी। कई माफिया अपने हिस्से की खुजली मिटाने की जोड़तोड़ में लगा है तो कोई चाहता है कि कैसे आठ बरस बाद खुलने वाले बार में अपनी डिजाइन कैसे करे और ताकि उसकी दूकान दूसरे के मुकाबले लाजवाब रहे।

किसी की पूरी मेहनत इस बात पर हो रही है कि कुछ भी इन बार डांसरों के बल पर चल रही दूकानों को चकाचक-चमका किया जाए, तो कोई यह मसले पर परेशान है कि चाहे कुछ भी हो जाए मगर इन बार को नहीं खुलने दिया जाए। यह पूरी बहस इस लिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि करीब सात साल पहले वडोदरा में नृत्य के नाम पर अश्लीलता सीधे अदालत तक पहुंच गयी थी। यहां की एक स्थानीय अदालत ने अश्लील डांस के मामले में बॉलिवुड ऐक्ट्रेस मल्लिका शेरावत के खिलाफ जमानती वॉरंट जारी कर दिया था।

आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2006 को नए साल की पूर्व संध्या पर मल्लिका ने मुंबई के एक होटल में डांस किया था। इसे अश्लील करार देते हुए वडोदरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी ने मल्लिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

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