बाप की जागीर है सूचना आयोग, मीडिया से अभद्रता

दोलत्ती

: मुख्‍य सूचना आयुक्‍त विदा हो गये जावेद उस्‍मानी : फ्री का चंदन, घिस मेरे नंदन : लाखों का सरकारी खर्चा, लेकिन प्राइवेट फंक्‍शन बता रहा अफसर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी का सूचना आयोग अब बेलगाम होता जा रहा है। अब तक तो आयोग का मुखिया ही बेलगाम हुआ करता था, उसके बाद उसके आयोग भी अपनी हैसियत से बाहर निकलने लगे। सूचना मांगने वालों के साथ अभद्रता अब आम बात होती जा रही है। लेकिन आज तो हालत यहां तक बिगड़ गयी, जब मुख्‍य सूचना आयुक्‍त जावेद उस्‍मानी की विदाई पर आयोजित एक समारोह में सूचना कार्यकर्ताओं और मीडियावालों के साथ भी अभद्रता के साथ सूचना आयोग मुख्‍यालय से निकाल बाहर कर दिया गया। आपको बता दें कि अपने पूरे कार्यकाल के दौरान मुख्‍य सूचना आयुक्‍त जावेद उस्‍मानी की छवि सूचना आयुक्‍त के तौर पर नहीं, बल्कि एक खांटी अफसर की तरह ही रही है, जो बात-बात पर बिगड़ना अपना जन्‍मसिद्ध अधिकार समझता रहा है।
अपने स्‍थापना से ही सूचना विभाग लगातार बिगड़ैल सांड़ की शक्‍ल अख्तियार करने लगा था। लेकिन नये भवन की स्‍थापना के बाद से ही यहां के लोगों का तौर-तरीका ही बदतर होने लगा है। बताते हैं कि इस समय अधिकांश आयुक्‍त अपनी सीमा से बाहर होते जा रहे हैं। इतना ही नहीं, सरेआम सूचना मांगने वालों या सूचना अधिनियम के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ भी अभद्रता होने लगी है। वह भी सरेआम। सूचना आवेदन करने वाले लोगों के प्रति उनका रवैया लगातार बेहूदा होता जा रहा है। इतना ही नहीं, अब तो आयोग के छुटभैये अफसर भी अपने पाजामा से बाहर निकलने लगे हैं। एक उपसचिव स्‍‍तर के अफसर ने तो सुरक्षाकर्मियों को बुला कर वहां मौजूद सूचना कार्यकर्ताओं और मीडिया वालों को ऐलानिया तरीके से अभद्रता करते हुए बाकायदा ऐलानिया कहा कि यह प्राइवेट फंक्‍शन है।
आज इम्तिहां तो तब हो गयी, जब जावेद उस्‍मानी की विदाई के लिए आयोजित एक समारोह में मीडियावालों और सूचना कार्यकर्ताओं के साथ भी यहां के अफसरों ने बेहूदगी की और सुरक्षाकर्मियों से बुला कर उन्‍हें सूचना आयोग भवन से निकाल बाहर कर दिया। माहौल यह बन गया मानो सूचना आयोग में आयोजित यह विदाई समारोह किसी की निजी जागीर पर आयोजित किया गया हो, और उसका पूरा खर्चा जावेद उस्‍मानी अथवा कोई अन्‍य आयुक्‍त या अफसर अपनी जेब से उठा रहा हो। शर्मनाक बात तो यह रही कि यह सारी अभद्रता सूचना आयुक्‍तों के इशारे पर होती रही, और मौके पर मौजूद हर एक सूचना आयुक्‍त पूरी तरह खोमाश ही रहा। हैरत की बात तो यह है कि सूचना के आयुक्‍तों में अधिकांश आयुक्‍त तो पत्रकारिता के पेशे से ही आयोग में आये हैं। लेकिन अपने सहोदर साथियों के प्रति उनका व्‍यवहार निहायत शर्मनाक रहा। अफसर अभद्रता करते रहे, और सूचना आयुक्‍त गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते रहे।
सूत्र बताते हैं कि मौके पर उपस्थित सूचना कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों को देखते ही उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के उप सचिव तेजस्कर पांडेय बुरी तरह फड़फड़ाने लगे। और राज्य सूचना आयोग परिसर में मीडियाकर्मियों के साथ खुलेआम गुण्डागर्दी शुरू कर दी। सूचना आयोग में हुए इस हादसे और उसकी करतूतों पर पत्रकार संजय आजाद ने वीडियो भी बनाया है। संजय समेत वहां मौजूद अन्‍य लोगों का भी सवाल था कि अगर कोई फंक्‍शन प्राइवेट था, तो उसे सूचना आयोग के आयुक्‍त या अफसर लोग अपने खर्चा से अपने घरों पर आयोजित कर सकते थे। सरकारी भवन पर कोई निजी समारोह कैसे आयोजित करने की इजाजत दी गयी।

 

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