: पतंजलि को करारी दोलत्ती, दवा के कोरोना सम्बन्धी प्रचार नहीं करे पतंजलि : आयुष मंत्रालय ने कहा कि दवाओं पर कोरोना सम्बन्धी दावों को परीक्षण से पहले तक नहीं करें बाबा रामदेव :
दोलत्ती संवाददाता
नई दिल्ली : बाबा रामदेव और उनकी कम्पनी पतंजलि को एक जोरदार दोलत्ती लगी है। कोरोना एवं कोविड-19 की दवा बेचने पर आमादा बाबा रामदेव को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने साफ-साफ निर्देश दे दिया है कि वे अपनी दवाओं को कोरोना या कोविड-19 का इलाज करने वाली दवा का प्रचार हरगिज न करें। हालांकि वे बिना इस तरह के प्रचार के ही अपनी किसी भी दवा को बेच सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि आयुष मंत्रालय ने इस बारे में साफ आदेश दे दिया है। उधर पतंजलि और बाबा रामदेव ने अपनी कोरोना का इलाज करने के लिए हाल ही जारी गोलियों की शीशी के प्रचार पूरे जोरशोर के साथ लांच कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार बाबा और पतंजलि ने अपनी इस लॉंचिंग से साथ यह भी ऐलान किया है कि उन्होंने इस बारे में अपनी प्रयोगशालाओं में इसका सफल परीक्षण कर रखा है और मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के लोगों पर मानव परीक्षण कर उसका प्रमाणपत्र भी हासिल किया जा चुका है।
लेकिन भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस मामले में बाबा रामदेव और पतंजलि कम्पनी की छुच्छी ही निकाल डाली। मंत्रालय ने कहा है कि जब तक आयुष मंत्रालय पतंजलि की इस या ऐसी किसी भी दवा का परीक्षण खुद नहीं करे, तब तक पतंजलि को इस दवा का प्रचार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा है किअपनी दवाओं में प्रचार के बिना अगर किसी अन्य रोग के इलाज की दवा को पतंजलि कम्पनी चाहे तो उस पर आयुष मंत्रालय को कोई भी ऐतराज नहीं होगा। लेकिन यह नहीं हो पायेगा कि वे अपनी किसी दवा को फिलहाल कोरोना याकोविड-19 की प्रभावी दवा का प्रचार करने के साथ बेचना चाहेगी, तो आयुष मंत्रालय इसकी इजाजत नहीं देगा।
सूत्र बताते हैं कि आयुष मंत्रालय ने कहा है कि पतंजलि के किसी भी परीक्षण के नतीजों को आयुष मंत्रालय मान्यता नहीं दे सकता है। और जब तक पतंजलि या किसी कम्पनी के किसी दवा की सत्यता का परीक्षण आयुष मंत्रालय अपनी मानकों पर नहीं करेगा, तब तक इसी तरह का प्रतिबंध जारी रहेगा।
कुछ भी हो, सरकार के इस फैसले के बाद यह सवाल तो पूरी शिद्दत के साथ उठने लगा है कि क्या किसी कम्पनी को अपने किसी उत्पाद की गुणवत्ता और प्रमाणिकता का प्रमाणपत्र किस एजेंसी से हासिल करना होगा। और क्या ऐसा प्रमाण पत्र कोई भी कम्पनी मनमर्जी तरीके से बना या बेच सकती है। क्या ऐसी हरकत मानव स्वास्थ्य के प्रति खतरनाक नहीं हैं। और यह भी कि अगर कोई भी कम्पनी इस तरह की हरकत कर रही हो, तो क्या उसे धोखाधडी की श्रेणी में रखा जा सकता है या नहीं। अगर हां, तो फिर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की आवश्यकता ही क्या है।