: योगी ने भी पुलिस काउंटर की बात खारिज की : बहुराष्ट्रीय एप्पल कंपनी के मैनेजर की हत्या के मामले में दोनों हत्यारे सिपाही बर्खास्त, गिरफ्तार भी हुए : राजधानी के गोमती नगर में दोनों हत्यारे सिपाही बर्खास्त, गिरफ्तार भी हुए :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी की बेलगाम और माफिया-नुमा पुलिस ने जिस तरह बीती रात गोमती नगर में एप्पल कम्पनी के मैनेजर की गोली मार कर हत्या की है, उससे यूपी तो दहल ही गया है, प्रदेश की सरकार और पुलिस के हाथ-पांव भी ठण्डे हो चुके लगता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने पुलिस काउंटर की बात खारिज करते हुए इस मामले में पुलिस की थ्योरी को खारिज कर दिया है। उधर यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने विवेक तिवारी हत्या मामले में कहा कि यह दुखद घटना है. यह हत्या का मामला है और दोनों ही सिपाहियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
वैसे तो लखनऊ ही नहीं, यूपी में फर्जी पुलिस एनकाउंटरों की खासी लिस्ट पहले से ही चर्चित होती रही है, लेकिन लखनऊ में एप्पल के मैनेजर को पुलिस द्वारा गोली मार कर मौत के घाट उतार देने के रोंगटे खड़े कर देने वाले हादसे से आप सब को यकीन तो आ ही गया होगा कि यूपी के पुलिस प्रमुख डीजीपी ओपी सिंह बेशर्म हैं, और उनकी पुलिस हत्यारी। विवेक तिवारी हत्याकांड में लगातार जितने भी झूठ हो सकता है, पुलिस बोल रही है। विवेक की मित्र को नजरबंद कर उसे मनचाहा बयान दिलाया जा चुका है। हत्यारा पुलिसवाला लगातार थाने में ऐश कर रहा है, प्रेस-कांफ्रेंस कर रहा है। यह हालत तब है, जबकि मुख्यमंत्री योगी कह चुके हैं कि यह पुलिस काउंटर नहीं था, और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विवट कर इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई का अनुरोध किया है। कुछ भी हो, इस हादसे से इतना तो तय हो ही गया है कि यह एप्पल का मामला न होता, तो अब तक संगीन मुकदमों की फर्जी हिस्ट्रीशीट खोल कर ओपी-पुलिस विवेक को दुर्दांत अपराधी साबित कर चुकी होती।
आपको बता दें कि विवेक अपनी कार में अपनी महिला मित्र को उसके घर छोड़ने जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही दो पुलिसवालों ने उन्हें घेरा और फिर अभद्रता करते हुए सीधे विवेक को सिर पर गोली मार दी। पुलिस का दावा है कि विवेक मौके से भागना चाहता था, लेकिन पुलिस ने आत्मरक्षा में उस पर गोली मार दी। सवाल यह है कि पुलिस को यह अधिकार किसने दिया कि वह किसी को सीधे गोली मार दे। कौन सा अपराध किया था विवेक ने, इस सवाल पर पुलिस खामोश है।
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योगी-राज में हत्यारी है यूपी की पुलिस, और बेशर्म हैं डीजीपी ओपी सिंह
वहीं, लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी बेशर्मी पर आमादा हो गये हैं। नैथानी बोले हैं कि इस मामले में एसआईटी गठित की जा चुकी है। इतना ही नहीं, नैथानी ने बयान दिया है कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर जिला मजिस्ट्रेट से मजिस्ट्रेट इंक्वायरी की मांग की है। यह बेशर्म बयान है। किसी भी पुलिस एनकाउंटर के मामले में मैजिस्ट्रेटी जांच कराना सरकार और प्रशासन की अनिवार्य दायित्व होता है। फिर नैथानी ने इस बारे में जबर्दस्ती हस्तक्षेप क्यों किया। जवाब यह कि नैथानी मामले में अपनी नाक बचाना चाहते हैं।
योगी राज में अब तक पांच दर्जन से ज्यादा एनकाउंटर हो चुके हैं। इनमें से लगभग सभी में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये जा रहे हैं। लेकिन आज पहली बार योगी आदित्यनाथ ने अपना मुंह खोला है और बोले हैं कि यह एनकाउंटर नहीं था। इस घटना की जांच की जाएगी। वहीं विवेक तिवारी की कल्पना ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। कल्पना का कहना है कि गोली मारकर हत्या करने के बाद लखनऊ पुलिस पति को चरित्रहीन साबित करने में लगी है। आपको बता दें कि किसी भी थाने पर किसी भी अभियुक्त का मुंह दबोचने में माहिर लखनऊ पुलिस ने अपने हत्यारे सिपाही को बचाने के लिए उसे थाने पर ही प्रेस से बातचीत करने की सुविधा मुहैया करा दी।
यूपी के कप्तान से लेकर डीजीपी तक के अफसरों की अजब-गजब गाथाएं-दास्तानें जहां-तहां पसरी हुई हैं।
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बड़ा दारोगा
एसएसपी कलानिधि नैथानी की बेशर्मी का एक प्रमाण और देख लीजिए। एसएसपी कहते हैं कि सुबह ही दारोगा प्रशांत चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन सच बात तो यही है कि घटना के 18 घंटे तक सिपाही प्रशांत, उसकी पत्नी और कई पुलिसवाले थाने से लेकर सड़क और अस्पताल के स्ट्रेचर तक पर धरना, प्रदर्शन और बयानबाजी करते रहे। हालांकि ताजा खबर के अनुसार मृतक के परिवारी जनों को 25 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी का ऐलान सरकार ने कर दिया है। लेकिन अब देखना यह है कि सरकार अब मुआवजों पर चलेगी, या फिर बेलगाम हो चुकी ओपी-पुलिस को नाथने की कोशिश करेगी।