आडवाणी के बाद अब सुब्रह्मण्यम भी दक्खिन भये

बिटिया खबर

: श्रीराम रथयात्रा का जनक अब गिड़गिड़ाता दिखता है : कभी पूरी भाजपा आडवाणी के चरण में थी, आज वे हर नेता के कदमों तक नहीं छू सकते : सरकारी मकान से धक्का देकर भगाए गए स्वामी के तेवर भीगी बिल्ली से :

कुमार सौवीर

लखनऊ : देश के ताजा इतिहास में दो बेहद बड़ी घटनाएं निहायत आश्चर्यजनक तरीके से घटी हैं। एक घटना चेला पालने की शौक में निपटा दी गईं हैं, जबकि दूसरी घटना बड़बोलेपन का बुरा अंजाम दे गईं।
एक हैं लालकृष्ण आडवाणी। सन-89 में श्रीराम रथयात्रा निकली थी आडवाणी ने, जिसके सारथी यानी आडवाणी की कार के ड्राइवर हुआ करते थे नरेंद्र मोदी। मोदी और उनकी पूरी पार्टी के सारे लोग आडवाणी का चरण-स्पर्श किया करते थे, सिवाय अटल जी के। लेकिन आज हालत यह है कि मोदी तो दूर, अमित शाह भी आडवाणी को दुत्कार देते हैं। पार्टी का एक भी सदस्य आडवाणी का नाम जोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।
दूसरे हैं स्वामी सुब्रह्मण्यम। बड़े नामचीन वकील और देश के कानून मंत्री रह चुके हैं सुब्रह्मण्यम स्वामी। कांग्रेस को नेस्तनाबूत करने के अपने अभियान के चलते उन्होंने भाजपा पर बड़ा उपकार किया है। लेकिन यह दावा अब तक हमेशा करते रहे हैं, सिवाय मोदी और अमित शाह समेत भाजपा के नीति-नियंताओं के। सच बात तो यह है कि आज साबित हो गया है कि भाजपा उन्हें दो-कौड़ी का बवाल मानती है, जबकि सुब्रह्मण्यम अब उन्हें खुद को सबसे बड़ा चूतिया साबित कर चुके हैं।
अब हालत यह है कि आडवाणी जी जगह-जगह दुत्कारे जाने के बावजूद हर जगह हाथ जोड़े पहुंच जाते हैं, जबकि सुब्रह्मण्यम स्वामी अपने सरकारी मकान से ही बेदखल कर दिए गए हैं। बताते हैं कि अपना सरकारी मकान बचाये रखने के लिए उन्होंने भाजपा के हर आला दिग्गज कर दरवज्जे पर नाक रगड़ी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। सरकार ने अलग फटकार लगाई कि जब स्वामी के पास दिल्ली में निजी मकान है, तो वे सरकारी मकान तत्काल खाली कर दें।
कहने की जरूरत नहीं है कि अपने सरकारी मकान पर कब्जा बनाये रखने के लिए ही सुब्रह्मण्यम स्वामी कांग्रेस पर हमला करने की जुगत भिड़ाये रखते थे। लेकिन अब चूंकि उनका मकान छीन लिया गया है, ऐसे में साफ लगता है कि स्वामी कांग्रेस-विरोधी तेवरों को भोथरा कर आडवाणी की दुर्गति तक पहुंच जाएंगे।

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