गरीब सवर्ण कोटा सुप्रीम कोर्ट से मंजूर, समृद्ध और दबंगों की पौ-बारह

बिटिया खबर

: ईडब्ल्यूएस सवर्णों को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 10 फीसदी का आरक्षण मिलेगा : सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की राय के मुकाबले तीन जजों का आदेश जारी : तहसील के कर्मचारी-अधिकारी किन्हीं स्वार्थ या दबाव से जारी करते हैं ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मेरे पास अनेक ऐसे-ऐसे मामलों की पूरी जानकारी है कि सवर्ण कोटे से सरकारी नौकरी के लिए आर्थिक और सामाजिक श्रेष्ठता होने के बावजूद लोगों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटा का सहारा लिया। लेकिन इन सभी ने अपना जुगाड़, दबाव, लाभ अथवा मामले को तकनीकी रुप से खुद को उबार लिया। और अब आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों के लिए एक उपहार और थमा दिया है।
बहरहाल, मिली खबर के मुताबिक सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा गरीब सवर्ण के पात्रों को आरक्षण दिये जाने के आदेश पर मुहर लगा दी है। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट ने इस कोटा के खिलाफ अपनी राय रखी। बाकी तीन जजों ने कहा यह संशोधन संविधान के मूल भावना के खिलाफ नहीं है, जबकि दो जज दीगर राय रखते थे। अब कहने की जरूरत नहीं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही अब देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण जारी रहेगा।
खबर है कि सवर्ण वर्ग के गरीब और आर्थिक रूप से दुर्बल युवाओं को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी है। अब ईडब्ल्यूएस सवर्णों को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 10 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही इस जजों के आदेश के गुण-दोष पर चर्चा समाज और देश में होनी शुरू हो गयी है।
सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों में से दो जजों की राय के मुकाबले तीन जजों ने बहुमत से आर्थिक आधार पर गरीबों के आरक्षण को सही ठहराया है। लेकिन सच तो यही है कि ऐसे आरक्षण का लाभ अधिकांश मामलों में उन्हीं को मिल पाता है जो या तो दबंग परिवार के होते हैं अथवा धनबल से समृद्ध होते हैं। गरीब होने का प्रमाण जमीन से होता है जिसमें तहसील के कर्मचारी औऱ अधिकारी किन्हीं स्वार्थ अथवा दबाव के चलते ईडब्ल्यूएस होने का प्रमाणपत्र जारी कर देते हैं।
वैसे तो दबे-छिपे यह करतूतें होती ही रहती हैं, लेकिन उप्र की पीसीएस सेवा में इसका खुलासा पहली बार हुआ। करीब दो बरस पहले प्रभाकर सिंह नाम के एक युवक का सलेक्‍क्‍शन प्रान्‍तीय प्रशासनिक सेवा में हो गया था। इस चयन में प्रभाकर सिंह ने अपने ईडब्‍ल्‍यूएस कोटे का इस्‍तेमाल किया था। लेकिन हैरत की बात है कि इसके पहले यह युवक परिवहन विभाग में वाणिज्‍य अधिकारी और नायब तहसीलदार के तौर पर चयनित होकर काम कर चुका था।

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