आदिवासी महिला ने उत्पीडन से तंग आकर कलक्ट्रेट मे खाया जहर
जिले में आत्महत्या के मामलों में हो रही बढोतरी
साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है प्रशासन: कलेक्टर
पहले तो खुलेआम लडकियों की खरीद-फरोख्त, और फिर उनके शारीरिक शोषण की बेहिसाब वारदातें। बैतुल में यह सब आम होता देख कर अब महिलाएं हताशा और अवसाद के घेरे में आती जा रही हैं। नतीजा यह कि अब उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम भी उठाना शुरू कर दिया है। फुलवा नाम की एक महिला ने तो शहर के थाना और कचेहरी इलाके में दिनदहाडे जहर खा लिया।
अक्सर कहा जाता रहा है कि महिलाये भावुक एवं कमजोर दिल की होती है उनका दिल किसी भी मामले में पहुंची पीडा से टूट जाता है । प्रताडना और मानसिक यातना तथा यौन उत्पीडन के मामलो में अकसर पीडित महिला न्याय न मिलने की स्थिति में तथा कथित सामाजिक उलाहना एवं बहिष्कृत होने पर आत्महत्या कर लेती है. जन सुनवाई में बीते मंगलवार 23 नवम्बर 2010 को उत्पीडन से तंग आकर जहर पीने वाली फुलवा बाई तो किसी तरह से बच गई वहीं 24 नवम्बर 2010 दिन बुधवार चिचोली थाना क्षेत्र के ग्राम आमला करवा की आदिवासी महिला श्रीमति रंगोबाई आदिवासी ने कीट नाषक प्रदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली.
आदिवासी महिलाओं द्वारा आत्महत्या की बढती घटनायें प्रदेष मे अब चिंता का सबब बनता जा रहा है इधर आदिवासीयों द्वारा प्रदेष में जानकारी के अनुसार पुरूष की अपेक्षा महिलायें द्वारा की जाने वाली आत्महत्या के मामलो की संख्या ज्यादा है. बैतूल जैसे आदिवासी जिले में आदिवासी एवं दलित महिलाओं के द्वारा अब सर्वण जाति के द्वारा की जा रही प्रताडना से तंग आकर की जाने वाली आत्महत्या सबसे चिंताजनक है. बैतूल जिला पहले भी महिला उत्पीडन के मामलो में पूरे प्रदेष में कांग्रेस एवं भाजपा के षासनकाल में सुर्खियो में रहा है. जिले की आमला तहसील तो महिला उत्पीडन के मामले मंे अव्वल है. जिले की आमला तहसील मे खापाखतेडा गांव में तीन महिलाओं को जिंदा जलाने के मामले की कालिख अभी प्रदेष की सरकार के चेहरे से ठीक ढंग से साफ भी नहीं हो पाई है कि अब बैतूल जिले में घटित घटनाये जिले को षर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड रही है. बैतूल की फुलवा बाई के प्रकरण मंे प्रदेष के मुख्यमंत्री द्वारा भोपाल तलब किये गये बैतूल कलैक्टर विजय आंनद कुरील नेे अपना तर्क इस कुछ इस प्रकार रखा कि बैतूल जिले के कुछ सवर्ण लोग दलित जिला कलैक्टर के खिलाफ साजिष रच रहे है
आकडो के हिसाब से बैतूल जिले मे आत्महत्या के मामले में दिन प्रतिदिन बढोतरी हो रही है सिर्फ बैतूल जिले में ही औसतन प्रतिदिन दो आत्महत्या के मामले सामने आ रहे है। इसी कडी में बैतूल जिला मुख्यालय के विवेकानंद वार्ड की एक दंपति ने भी संग – संग आत्महत्या का प्रयास किया जिसमें पत्नि श्रीमति पुष्पा पति राजू साहू की जीवन लीला समाप्त हो गई तथा पति राजू साहू जिदंगी और मौत के बीच जुझ रहा है.अगर सरकार की माने तो प्रदेष में प्रतिदिन औसतन 21 लोग आत्महत्या कर रहे है. बीते 142 दिनो में 3096 लोगो ने आत्महत्या की है जिसमें चार किसान भी है जिनका पीपली लाइव जैसे नत्था की तरह हाल था.