जालिम पत्नियों से बचाने की अपील पर हुआ एक लाख का जुर्माना

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

चले थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास

पति ने इज्‍जत भी गंवाई और रकम भी

अदालत ने कहा कि कोर्ट का वक्‍त किया खोटा

अहमदाबाद के यह साहब गये थे अदालत से अपनी बीवी के खिलाफ अर्जी लगाने, लेकिन एक कहावत चरितार्थ हो गयी कि चले थे हज करने, नमाज गले पड गयी। इनको इनकी बीवी से तो निजात नहीं मिल सकी लेकिन कोर्ट ने उल्‍टे उन पर नालिश कर दी। अदालत ने कहा कि इस शख्‍स ने इस याचिका से अदालत का टाइम खोटा किया है, इसलिए अब यह एक लाख रूपयों का जुर्माना अदा करेंगे।

 

गुजरात हाईकोर्ट में पतियों पर पत्नियों द्वारा होने वाले अत्याचारों पर आवाज  उठाना एक व्यक्ति को महंगा पड़ गया। कोर्ट ने देवदा नाम के व्यक्ति पर उस समय  एक लाख का जुर्माना लगा दिया जब वो पतियों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ कोर्ट से पतियों को बचाने  के लिए कानून बनाने की  मांग करने गए थे.  लेकिन ये दांव देवदा को उस समय उल्टा पड़  गया. जब  कोर्ट ने देवदा के ऊपर एक लाख का जुर्माना ठोंक दिया.और ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी की ये याचिका बेबुनियाद  है. और ये कोर्ट का समय नष्ट करने वाली है. अतः सिरे  से नकारते हुए देवदा को सजा दे डाली.

अखिल भारतीय पत्नी अत्याचार विरोधी संघ के अध्यक्ष दशरथ देवदा ने गुजरात हाई कोर्ट में पत्नियों से  सताए गए पतियों  के समर्थन में कानून बनाने के लिए एक याचिका दायर की थी । लेकिन कोर्ट ने देवदा की इस अपील को बेबुनियाद बताते हुए उसी पर एक लाख को जुर्माना कर दिया।

वही कोर्ट ने देवदा को जुर्माने की रकम महिलाओं के लिए काम करने वाली एक संस्था को देने के लिए कही है। ताकि महिलाओ कि सुरक्षा के साथ उत्पीडन में रोक लगायी जा सके. यह रकम देवदा को दो महीने के अंदर-अंदर संस्था को देनी है। वही कोर्ट के आदेश के बाद देवदा खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है.अब दशरथ देवडा  के सामने सवाल ये है कि आखिर कोर्ट के जुर्माने को २ महीने के अन्दर चुकाएगा कैसे.

 

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