: बिहार में नृशंस अपराधी शहाबुद्दीन, और यूपी सरकार में मंत्री राममूर्ति वर्मा पर पत्रकारों की हत्या के आरोप : सबसे बड़ा शर्मनाक चेहरा तो मृतकों के आश्रितों और पत्रकारों का दिखा : अब सटीक वक्त है जब हम खुद के गिरहबान में झांके :
कुमार सौवीर
लखनऊ : एक ओर आतंक का पर्याय बना हुआ जघन्य, नृशंस और जन्मजात अपराधी मोहम्मद शहाबुद्दीन था, जो बिहार में सांगठनिक अपराध की धुरी माना जाता था। वहीं दूसरी ओर थी एक विधवा जिसके पति के सीने पर इस नरपिशाच शहाबुद्दीन ने गोली दाग कर मार डाला था। इस विधवा के ही बगल में खड़ा था एक बुजुर्ग पिता, जिसके दो जवान बेटों को शहाबुद्दीन ने बाकायदा उबालते तेजाब से नहला कर मार डाला। बचे तीसरे बेटे के सीने पर भी शहाबुद्दीन ने सरेआम अट्ठहास करते हुए गोली धंसा कर हमेशा-हमेशा के लिए सुला डाला था।
यह हालत है बिहार के सिवान की। सिवान एक जिला है, जो यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र से सटा हुआ था। शहाबुद्दीन इसी जिले का मूलत: निवासी है, लेकिन फिलहाल तो पूरे बिहार में इस शहाबुद्दीन की तूती बजती है। लालू यादव से मोहम्मद शहाबुद्दीन की गाढ़ी दोस्ती खासी चर्चित है। कहने की जरूरत नहीं कि बिहार में हमेशा से ही सरकार भले ही किसी की भी रही हो, शहाबुद्दीन को अब तक तो किसी दुलरूआ दामाद जैसा ही आवभगत मिलती रही है। पिछले चंद महीनों पहले, जब शहाबुद्दीन जेल से रिहा हुआ था, तो उसका जयजयकारा लगाने के लिए करीब तीन सौ गाडि़यों का काफिला जुटा था। इतना ही नहीं, उसकी यात्रा सुगम हो सके, इसके लिए टोल-प्लाजा तक के बैरियत तक हटा लिये गये। सरकार और विरोध से जुड़े मंत्री-नेताओं के स्नेहपात्र शहाबुद्दीन को मिले सम्मान का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पूरे काफिले में पुलिसवालों ने शहाबुद्दीन को बाकायदा सैल्यूट मारा, उसके चरण छुए और कहीं-कहीं तो जयजयकारा तक लगाया। हालांकि इस पर फिर हंगामा हुआ और शहाबुद्दीन को दोबारा जेल जाना पड़ा।
अब जरा यह सोचिये कि यह हालत अगर यूपी की होती तो उसका अंजाम क्या होता। यह मौजू मसला है, जो हमें मौका दिलाता है कि हम बिहार और यूपी के नेताओं, मंत्रियों, अफसरों, पत्रकारों और हताहत लोगों के आश्रितों के रवैये पर एक नजर डाल लें। चूंकि हम पत्रकार हैं, इसलिए सबसे तो हमें अपने आपराधिक, नराधम, नृशंस और हत्यारों के हाथों मारे गये अपने पत्रकार साथी के साथ हुए हादसे पर चर्चा करनी चाहिए। और फिर देखना चाहिए कि बिहार के मुकाबले हम, यानी यूपी के पत्रकार, मारे गये लोगों के आश्रित, अफसर, नेता और नेताओं की भूमिका क्या है।
हमारे पास बिहार के सिवान में मारे गये राजदेव रंजन की जघन्य हत्या का मामला भी है, जिसका मुख्य अपराधी शहाबुद्दीन अब जेल में है। उसके ठीक सामने यूपी में हमारे पास एक नजीर है जाबांज, बेबाक और जी-दार पत्रकार जागेंद्र सिंह, जिसे डेढ़ साल पहले शाहजहांपुर शहर में तेल डाल कर जिन्दा फूंक डाला गया था। साहस, बहादुरी और सच लिखने-बोलने के मामले में राजदेव रंजन और जागेंद्र सिंह एक ही खांचे-सांचे में बने थे। दोनों की ही हत्या की गयी। राजदेव के कत्ल में शहाबुद्दीन जेल में है, जबकि अपनी मौत के ठीक बाद अपने मृत्यु-पूर्व बयान में जागेंद्र सिंह ने यूपी की अखिलेश सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा पर आरोप लगाया। आपको बता दें कि जागेंद्र सिंह को शाहजहांपुर की नगर कोतवाली के प्रभारी इंस्पेक्टर श्रीप्रकाश राय समेत करीब एक दर्जन पुलिसवालों ने पहले तो छापा कर कर उसकी घेराबंदी की, और उसके बाद उस पर तेल डाल कर जिन्दा फूंक डाला था। जागेंद्र सिंह ने अपनी मौत के चंद समय पहले ही अपनी मौत के लिए मंत्री राममूर्ति वर्मा, कोतवाल श्रीप्रकाश राय और उसके बाकी मौजूद पुलिसवालों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया था।
प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम इस मसले पर अब नये नजरिये से छानबीन करने जा रही है। इस छानबीन का मकसद इन दोनों हादसों की परस्पर समानता, समरूपता, मारे गये लोगों के आश्रितों, नेताओं, मंत्रियों, अफसरों और खासकर पत्रकारों की भूमिका का विश्लेषण करना ही है।
तो पहले तो हम आपको बतायेंगे कि राजदेव रंजन को क्यों और किस तरह मारा था उस नर-पिशाच शहाबुद्दीन ने। साथ ही यह भी बतायेंगे कि सीवान के ही रहने वाले चंद्रेकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के तीनों बेटों में से दो को शहाबुद्दीन ने कैसे तेजाब से नहला कर मार डाला और फिर तीसरे बेटे को गोली मारी। उसके बाद हम आपको बतायेंगे कि यूपी के शाहजहांपुर में मारे गये पत्रकार जागेंद्र सिंह को क्यों और कैसे मार डाला गया, किसने इसके लिए षडयंत्र रचा, उसके परिजनों ने उस हत्या पर क्या कार्रवाई की, कौन सा लाभ लिया और उसके नेताओं, अफसरों और खुद को दिग्गज पत्रकार नेता कहलाने वाले पत्रकारों की क्या-क्या साजिश रही।
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बिहार में इंसानियत के नाम पर कलंक और एक निहायत घिनौने पिशाच का मोहम्मद शहाबुद्दीन। उससे जुड़ी खबरों को प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटियाडॉट कॉम लगातार प्रस्तुत कर रहा है। इससे जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
बिहार के शहाबदु्दीन ने एक जांबाज पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मार कर हत्या कर दी थी। लेकिन यूपी में भी बहादुर और बेकाब पत्रकारों पर जानलेवा हमले करने वालों की तादात कम नहीं है। कम से कम शाहजहांपुर में जागेंद्र सिंह नामक एक पत्रकार को जिन्दा फूंक डालने वाला हौलनाक काण्ड, और उसके बाद पत्रकारों का रवैया निहायत शर्मनाक ही माना जाएगा। उससे जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-