चीन हादसा: तुम कैसे डॉक्‍टर जो मैदान छोड़ भागे

दोलत्ती

: पढ़ रहे साढ़े 21 हजार छात्र डॉक्‍टर नहीं, डरपोक, निर्मम लुटेरे ही बनेंगे : डाक्‍टरी में डर, घृणा मिटायी जाती है, लेकिन तुम तो पक्‍के कायर निकले : चीन में कोरोना-दो : 
कुमार सौवीर
लखनऊ 🙁 गतांक से आगे ) दिलेर होना वक्‍त की जरूरत होती है। भले वह सैनिक हो, पत्रकार या डॉक्‍टर अथवा मां। इन हर क्षेत्रों में जिम्‍मेदारी सम्‍भाले एक भी व्‍यक्ति अपने दायित्‍वों से मुंह नहीं मोड़ता, भले ही उसकी मौत ही क्‍यों न हो जाए। लेकिन चीन में पढ़ने गये भारत के साढ़े 21 हजार युवा बाकायदा रणछोड़ निकले। अपने ही दायित्‍वों से मुंह मोड़ा इन युवाओं ने, और अब गिड़गिड़ा रहे हैं कि उन्‍हें भारत वापस बुला लिया जाए। वजह यह कि चीन और खास कर वुहान शहर में फैला हुआ है कोरोना नामक एक मारक वायरस। लेकिन इन मेडिकल छात्रों ने वहां इस खतरे का सामना करने के बजाय जिस तरह मैदान छोड़ कर भागने की कोशिश की है, वह डॉक्‍टरों की छवि और उनके दायित्‍वों के ठीक उलट है।
चीन के बुहान शहर में कोरोना वायरस का प्रकोप है। जंगली जानवरों से यह संक्रमण यहां के वुहान शहर से उपजा और फैला है। पूरा शहर मौत का अड्डा बनता जा रहा है। भारत के 23 हजार छात्र चीन में रहते हैं। इनमें से साढ़े इक्‍कीस हजार छात्र तो अकेले मेडिकल की पढ़ाई के लिए वहां डेरा डाले बैठे हैं। लेकिन कोरोना वायरस के मारक हमले के बाद से इन सभी भारतीयों ने अपनी जान की खैर वाली गुहार लगाते हुए भारत सरकार से मांग की है कि उन्हें चीन से सुरक्षित वापस ले आ जाए। इन युवाओं के परिवारीजनों ने भी भारत सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उनकी भी वही मांग है कि जितनी जल्दी भी हो सके, इन बच्चों को चीन से वापस बुला लिया जाए।
खबर है कि वुहान शहर के हवाई अड्डे पर भारत से वापसी के लिए छात्रों की भीड़ जुटने लगी है। वे अपना सामान लादे हैं और मुंह पर मास्क पहने हैं। भारत सरकार ने भी एक बोइंग जहाज चीन को रवाना कर दिया है। इसकी पहली खेप वहां के छात्रों में से 400 को अपने साथ लेकर आएगी। सरकार का आश्वासन है कि जल्दी ही सारे भारतीयों को चीन से सुरक्षित बुला लिया जाएगा। छात्रों और उनके घरवालों के लिए यह राहत की बात है कि अपने देश में भी ऐसी वापसी पर दबाव बन रहा था।
लेकिन ऐसी राहत का माहौल उन लोगों के लिए भले ही शुभ हो सकता है, लेकिन पूरे समाज और देश के लिए यह निहायत शर्मनाक है। वजह यह कि जिस तरीके से इन छात्रों की वापसी की कवायदें हो रही हैं वह अपने आप में एक बेहद क्षोभजनक स्थिति ही हैं। (क्रमश:)

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