चाचा पर यौन-शोषण का आरोप, मां ने बेटी को पीटा

सैड सांग

: आपके भी आसपास हो सकती हैं ऐसी बच्चियां, जरा सतर्क रहियेगा : शिक्षकों के प्रति अभिभावकों का रवैया भी बेहद आपत्तिजनक : स्तब्ध विद्यालय पर आरोप जड़ा:- बेटी को बर्बाद कर रहे हो : ग्रिवांस-कमेटी के हस्तक्षेप पर बेटी स्कूल लौटी, पर टीसी कटा : मैं ऐसे मसलों पर एक सशक्‍त-प्रभावी अभियान छेड़ने की योजना में हूं : कमाल है केन्द्रीय विद्यालय- छह :

कुमार सौवीर

लखनऊ : क्या  आप विश्वास करेंगे कि एक बच्ची ने अपने चाचा पर यौन-शोषण का आरोप लगा दिया, लेकिन उस बच्ची की मां ने मामले पर हस्तक्षेप करने के बजाय उस बच्ची को विद्यालय भेजने पर पाबन्दी लगा दी। शिक्षकों ने जब इस मामले पर अभिभावक से बातचीत करने चाही तो उसने उल्टे शिक्षकों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। इस पर प्रिंसिपल से कड़ाई की, तो बच्ची वापस को स्कूल लौटी लेकिन जल्दी ही उसकी मां उस बच्ची की टीसी कटवा ले गयी।

यह दारूण काण्ड हुआ लखनऊ रेंज के एक केंद्रीय विद्यालय में। अब हमारा मकसद न तो उस बच्ची का नाम उजागर करने का है और न ही उसके अभिभावकों को। हम तो अपनी इसी सतर्कता के चलते उस विद्यालय शाखा का नाम तक उजागर करने पर सहमत नहीं। किसी भी कीमत पर। वजह यह कि इससे उस बच्ची को आइन्दा खासी दुश्वारियों का सामना पड़ सकता है। उस विद्यालय का नाम और उसके बच्चों पर भी माखौल बन सकने की आशंका है। इसलिए…

रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना के तहत एक कक्षा की एक बच्ची कई दिनों से बदहवास थी। उसके व्यवहार में अचानक आये इस बदलाव को सबसे पहले उसकी सहेलियों ने पहचाना और पूछताछ शुरू कर दी। लेकिन बच्ची ने कोई भी जवाब नहीं दिया। अचानक एक बच्ची ने किसी संदर्भ में अपनी कक्षा-अध्यापिका को इस बच्ची के बारे में जानकारी दे दी। शिक्षिका ने उस बच्ची से अकेले में पूछताछ की, तो वह बच्चीय बुरी तरह फफक पड़ी। उसने अपनी शिक्षिका से पूरी हकीकत बयान कर दी।

स्तब्ध शिक्षिका ने अगले दिन उस बच्ची के घर जाकर उसकी मां से बातचीत की। लेकिन यह पूछताछ होते ही वह मां बुरी तरह भड़क गयी। उसने अपनी बच्ची को आवारा और  शिक्षिका को ही बेपरवाह साबित करना शुरू कर दिया। अगले दिन वह शिक्षिका ने प्रिंसिपल से यह किस्सा बयान किया, तो अभिभावक को बुलाने की नोटिस जारी की गयी। मगर उसके बाद से उसकी मां ने अपनी बेटी को स्कूल जाना बंद कर दिया। बच्ची अपने ही घर में नजरबंद कर दी गयी। अब केंद्रीय विद्यालय की व्यवस्था के तहत एक ग्रिवांस कमेटी बनती है, जो ऐसे मसलों पर गंभीरता से निपटाती है। लेकिन समस्या यह थी कि शिक्षिका और प्रधानाचार्य की बात मानी ही नही जा रही थी। और नियमों के मुताबिक अगर इस मामले को दबाया जाए, तो सीधे वह शिक्षिका और वह प्रधानाचार्य को जेल जाने  की नौबत आ जाती है। ऐसे में फैसला हुआ कि प्रधानाचार्य और शिक्षिका जाकर उस बच्ची की मां को चेतावनी दें कि अगर यह मामला अगर तत्काल नहीं निपटाया गया तो वे लोग इस प्रकरण को पुलिस में सौप देंगी।

इस धमकी का असर पड़ा। अगले दिन वह बच्ची स्कूल में आयी। कुछ दिनों तक उसे पढ़ाई की, लेकिन उसके अचानक एक दिन उसकी मां उस बच्ची का नाम कटा कर चली गयी। रोंगटे खड़े करने वाला हादसा है यह।

आपसे अनुरोध है कि जरा आप लोग भी सजग और सतर्क रहियेगा। हो सकता है कि आपके आसपास-पड़ोस में भी ऐसी कोई बच्ची खून के आंसू बहा रही हो। ऐसे में तत्काल हस्तक्षेप करना हम सब का दायित्व है।

न सही हो वह बच्ची आपकी बेटी, लेकिन है तो हम सभी की बेटी !

है कि नहीं?

वैसे तो मैं ऐसे मसलों पर एक सशक्‍त और प्रभावी अभियान छेड़ने की योजना बना रहा हूं। आप सभी का सहयोग अपेक्षित रहेगा।

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