: बचाने जुटी मंत्राणी, मामला सलटने को बजा घंटा मंत्री-दरबार में गूंजा : जूनियर को तोता-मैना की कहानी सुनाने लगे थे वकील, मध्यस्थ ने हिस्सा मांगा : मंत्री को भी हिस्सा चाहिए :
कुमार सौवीर
लखनऊ : रंगीले उकील साहब की ओकालत और इज्जत वगैरह तो उनके कुकर्मों के चलते पूरी तरह अब दक्षिण दिशा में लग चुकी है, लेकिन अब “प्राण” ही बचा है। उसी निर्लज्ज “प्राण” के लिए यह वकील साहब हर चंद मुमकिन कोशिशें कर रहे हैं। इसके लिए इस वकील साहब ने सरकार में एक मंत्राणी की शरण में भजन-कीर्तन करना शुरू कर दिया है। मकसद यह है कि जो जा चुका, वह तो चला ही गया। लेकिन अब कम से कम “प्राण” तो बच जाएं। इसके लिए यह वकील साहब कुछ भी अर्पित करने पर तत्पर है, तैयार हैं। यह गिड़गिड़ाहट सूंघते ही मध्यस्थ पक्ष की बांछें ही खिल गयी हैं। फिलहाल ताजा डेवलपेंट यह है कि मध्यस्थ ने इस मामले में अपना हिस्सा मांग लिया है। वकील साहब तो अपना वाला ऑफर पहले ही से खोले बैठे हैं। ऐसे में टेंशन नक्को। फरमान जारी हो गया है कि लड़की को बुलवाओ। इस निर्देश के साथ बात मान लो। पहले प्यार से, न माने तो …. मत भूलो कि सरकार हमारी ही है।
मामला है, इलाहाबाद कानी का, लखनऊ हाईकोर्ट के एक चीफ स्टैंडिंग काउंसिलर (एडीशनल मार के) शैलेंद्र सिंह चौहान का है। झकझोर खबर यह है कि बुढ़ौती में इश्क का मुलम्मा चढ़ाये अपनी बदनियत जवानी का कमाल दिखाने वाले इन मैनपुरी मार्का वकील साहब ने अपनी बेटी से भी छोटी लड़की का रेप कर दिया था। इस लड़की द्वारा लिखायी गयी रिपोर्ट के मुताबिक यह लड़की एलएलबी करने के बाद शैलेंद्र सिंह चौहान के पास कानून सिखाने गयी थी, लेकिन वकील साहब उसका अचानक एक दिन तोता-मैना की कहानी सुनाने लगाने गये, टोटल प्रैक्टिकल के साथ। जैसे कक्षा नौ में बायोलॉजी के लड़के मेंढ़क का डिसेक्शन किया करते थे।
लेकिन डिसेक्शन के पहले उसका बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया करते थे। अपनी नौ कक्षा की याददाश्त को ताजा करते हुए इन वकील साहब ने उस लड़की को अपने चैम्बर में पूरी वकालत का हुनर सिखा दिया। लेकिन लाख कोशिशों के शैल यानी पत्थर के इंद्र जी अर्थात शैलेंद्र नुमा शेर-सिंह जी शैलेंद्र चौहान अपने स्कूल में कक्षा नौ की पढाई का कोई भी सबक नहीं समझ पाये, और कानून का रखवाला बनने वाली डिग्री लूट ली। मगर वक्त बुरा कभी भी चढ्ढी पहन कर नहीं आता है, इसलिए वह अपनी टाइम-पास इश्क के फंदे में झूल गये। अब वह फरहाद बन कर लगे चिल्लाने:- शीरीं शीरीं।
मगर शीरीं तो उनको चूना लगाने में बिजी थी, कृत-संकल्पित थी। ऐसे में उस लड़की ने वकील साहब को चूना लगाने वाली डंडी को यथास्थान प्रविष्ट करा दिया। फिर लगे फरहाद चिल्लाने, हाय हाय चिल्ल-पों, चिल्ल-पों। माई-बाप, मंत्री-लॉर्ड।
अरदास सुन ली कृष्ण कन्हैया ने, जो “मायावी” कृपा से पहले खुद को कोरंटाइन कर चुके थे, और बरामद हुए थे बिहार के बक्सर में। छात्रनेता की जिन्दगी में बीड़ी-गांजा और बाटी-चोखा तक सीमित थे। लेकिन अपनी पत्नी ग्रह-नक्षत्रों के चलते मंत्री-पति बन गये। सीधे मंत्री-निवास पर विराजमान हो गये थे। रंगबाजी रंगरेजी हो गयी। सुबह समोसा-जलेबी, दोपहर मटन-चिकन, लेकिन शाम को 8 पीएम के साथ कबाब काकोरी, वह भी टुंडे वाले। बिरयानी मार के। वकील साहब पुराने मित्र थे, नतीजा शाम का खर्चा वकील साहब निपटाने लगे। नगर निगम ने जिस तरह वकील साहब के कई मकानों का शुभकर्मकराया, उसी तरह इस मंत्री-पति के नाश्ता, भोजन और डिनर की भी व्यवस्था करा दी। कौन अपने जेब से यह भुगतान करना था वकील साहब को। और फिर इस डरावने आड़े वक्त में यह रिश्ता यही क्या कम है कि मुलाकात हो गयी। पता चला है कि मंत्री-पति ने एक डील की शर्त जोड दी है। बोले कि मामला तो निपटा दिया जाएगा, लेकिन जो भी तय होगा, उसका आधा हिस्सा पर हमारा हिस्सा डंका बजा कर होगा।
बताते हैं कि उस महिला वकील को इस डील की भनक लग गयी है। उसका कहना है कि उसका उसका शरीर, उसकी इज्जत, उसका सर्वस्व और उसका, उसका, उसका, उसका और उस पर डील करेगा वह मंत्री-पति। न बाबा न, फाइनल तो मेरे हिसाब से ही होना चाहिए।
फिलहाल इस ऐतराज पर वकील साहब और उनके खेमे में एक अजब सा भजन-कीर्तन बजना शुरू हो गया बताया जाता है कि:- पुर्र पुर्र, पों पों।
हाय अल्ला
वकीलों से भी नहीं डरते हो। फट जाएगी