बसपा का नया चेहरा: घर में अलगौंझन, दूसरों से गठबंधन

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: फिर गूंजने लगे मनु-स्‍मृतियों को फूंक डालने की हुंकार वाले गीत-संगीत : ब्राह्मणों पर तो नहीं, लेकिन इस बार हिन्‍दूवादी ताकतों पर पानी पी-पी कर गरियाया मायावती ने : बसपा में अपने भाई की ताजपोशी करा दी अम्‍बेदकर जयंती पर मायावती ने :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हालिया चुनाव में हुई करारी शिकस्‍त और आम्‍बेदकर जयंती के दिन बेहद फीकी साबित हुई भीड़ ने बसपा की सुप्रीमो मायावती को आज अपनी नयी रणनीतियों पर मजबूर कर दिया। इन रणनीतियों के तहत उन्‍होंने अपना चेहरा ब्राह्मण बदल कर वापस दलित-छांव पर लाने का पैंतरा तो चलाया ही है, सपा और कांग्रेस जैसे जन्‍मजात विरोधियों के साथ राजनीतिक गलबहियां करने का खुला आमंत्रण भी दे दिया है। बसपा में उत्‍तराधिकार को लेकर चलती रही लम्‍बी चर्चाओं को विराम देते हुए मायावती ने अपने भाई को पार्टी का उपाध्‍यक्ष बनाने का ऐलान किया है।

डॉ भीमराव आम्‍बेदकर जयंती के दिन मायावती ने अपने परम्‍पराओं के तहत ही आम्‍बेदकर पार्क में अपने समर्थकों को बुलाया। लेकिन इसके पहले वहां जुटने वाली बम्‍पर भीड़ के मुकाबले करीब 10 फीसदी लोग ही मौजूद रहे। पहले तो यहां लाखों का जनसमुद्र लहरें लिया करता था। जन-चर्चाओं के अनुसार हाल ही निपटे उप्र विधानसभा के चुनाव में जिस तरह हाथी ने अपने चारों पैर चियार दिये, उससे बसपा समर्थकों में हताशा का भाव पसर गया। हालांकि बसपा का समर्पित मतदाता हमेशा की ही तरह बसपा के साथ ही है।

आज सुबह से ही आम्‍बेदकर पार्क में समर्थकों का जमावड़ा हुआ था। लाउडस्‍पीकर पर मनु-स्‍मृतियां सम्‍बन्‍धी पुस्‍तकों को दलित विरोधी करार देते हुए उन्‍हें सरेआम फूंक डालने का आह्वान करते गीत बज रहे थे। आपको बता दें कि इसके 10 साल पहले भी यही गीत बसपा की रैलियों में बजा करते थे। लेकिन जिस दिन से मायावती ने सत्‍ता में अपना हिस्‍सा हासिल करने की रणनीति के तहत राजनीतिक पैंतरे चलाये, पार्टी में ब्राह्णण विरोधी सुर का खात्‍मा हो गया। पहले तिलक, तराजू और तलवार के नारे चलते थे, लेकिन उसके बाद से ही यह सारे नारे बंद हो गये। उसकी जगह हाथी को गणेश के तौर पर पहचान देना शुरू हो गया। लेकिन आज फिर से लगा कि बसपा अपनी पुरानी शैली में ब्राह्णणों पर हमला कर अपना पुराना चेहरा हासिल करना चाहती है।

हालांकि मायावती ने सीधे-सीधे तौर पर ब्राह्मणों पर हमला नहीं किया। उसकी जगह उन्‍होंने हिन्‍दूवादी ताकतों का नया शिगूफा छेड़ दिया और बताया कि बाबा साहब को भी इन्‍हीं हिन्‍दूवादी ताकतों ने अपमानित किया। जाहिर है कि मायावती के इन बयानों को लेकर अब तय होने लगा है कि बसपा अब एक नये चेहरे के साथ अपने को निखारने पर आमादा है।

इसी तहत उन्‍होंने आज यह भी इशारा कर दिया कि वे अगले चुनाव में भाजपा के खिलाफ बाकी दलों के साथ गठबंधन कर सकती हैं। उन्‍होंने अपने भाई को बसपा के नये राजकुमार का ताज भी पहना दिया। अब वे पार्टी में उपाध्‍यक्ष होंगे। इसके पहले कांशी राम ने ही मायावती को उपाध्‍यक्ष बनाया था। जाहिर है कि मायावती के इस फैसले से संकेत बिलकुल स्‍पष्‍ट हैं।

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दलित वोटों की महारानी मायावती

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