ब्राह्मणों के खजाने से रामदास अठावले ने लगाये 84 ठुमके

बिटिया खबर

: दलित से राहुल गांधी की शादी ही केंद्रीय मंत्री की सबसे बड़ी चिंता : ड्रग्स पर जेल भेज देने का कोई औचित्य ही नहीं समझते अठावले : हुंकार ब्राह्मणों के लिए, चिंता उत्‍तर भारतीयों के लिए और बाकी बचा है ढपोर-शंख :

कुमार सौवीर

लखनऊ : रामदास आठवले के दिमागी-जमीन को ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार बुरी तरह हिला-डुला डाला है। वे केंद्रीय मंत्री का क्या काम निपटाएंगे, जब उनकी समझ में यह ही कुछ नहीं आ रहा है कि अब वे ब्राह्मणों का समर्थन करें, उत्तर भारतीयों के साथ कदमताल करें, मादक द्रव्य यानी ड्रग्स पर क्या नजरिया रखें या फिर कोहबर यानी नव-वैवाहिक गृह में महिलाओं के पहले उछलकूद के साथ राहुल गांधी को कैसे निपटायें।
27 अक्‍तूबर के अखबारों में आठवले ने ब्राह्मणों की जेब से मोटा विज्ञापन छपवाया। इसमें एक सीनियर एडवोकेट और एक मोटाताजा ब्राह्मण सेठ के तिजोरी को खंगाल कर अखबारों में एक-एक पन्ने का विज्ञापन छपवा लिया। विज्ञापन में सबसे बड़ी हैसियत दिख रही है रामदास आठवले का, जो केंद्रीय सरकार में मंत्री हैं और आरपीआई के मुखिया भी।
इस विज्ञापन में रामदास आठवले हुंकार कर रहे हैं कि ब्राह्मणों को न्याय दिलाने के लिए वे 27 अक्टूबर को लखनऊ में पहुँच कर रहे हैं। लेकिन साथ में वे यह भी गड्डमड्ड कर रहे हैं कि उनका लखनऊ आने का मकसद उत्तर भारतीयों को न्याय दिलाने भी है।
बहरहाल, आठवले 27 अक्टूबर को लखनऊ आये, लेकिन अपने विभाग के कुछ अफसरों से बातचीत कर चले गए। मीडियावाले मिले तो बोले कि ड्रग्स पर जेल भेज देने का कोई औचित्य ही नहीं है। मामले को सहज तरीके से भी निपटा जा सकता है। हालांकि आर्यन खान के मामले में रामदास आठवले का कड़ा नजरिया है कि आर्यन अगर दोषी न होता, तो अब तक अदालतें उसको जेल से बाहर निकाल देतीं।
लेकिन राहुल गांधी के साथ तो आठवले बेहद अजीब रवैया रखने लगे। वे बोले कि राहुल गांधी को चाहिए कि वे अब शादी कर लें। और बेहतर तो यह होगा कि वे किसी दलित युवती से ही शादी कर लें। अब इस मौके पर राहुल, शादी, दलित युवती के साथ ब्राह्मण को न्याय और उत्तर भारतीयों के रिश्ते का कोई तानाबाना नहीं बन पा रहा है।

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