निहायत बदतमीज निकलीं प्रियंका रावत, पर जन-भावनाएं भी वही थीं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बाराबंकी की एमपी का दिमाग सातवें आसमान पर खराब, बड़े दारोगा पर बिफरीं कि खाल खिंचवा लूंगी :  पिछली सरकार में पुलिस और राजस्‍व के अमले ने आम आदमी को त्राहि-त्राहि करा डाला था : सरकारी नशे में डूबी प्रियंका भूल गयीं कि वे लोक-सेवक हैं, तानाशाह नहीं :

कुमार सौवीर

बाराबंकी : क्रूरतम और जघन्‍य तानाशाह हिटलर ने अपने बनाये गैस-चैम्‍बर में लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। अब उसकी याद को अब ताजा करने का अभियान छेड़ चुकी हैं बाराबंकी की सांसद प्रियंका सिंह रावत। भाजपा लहर में दूसरी बार सांसदी हासिल कर चुकीं प्रियंका पिछली सरकार में तो अपनी मांद में छिपी रहती थीं, लेकिन इस बार योगी सरकार के आते ही प्रियंका के तेवर ही कातिल हो गये। सत्‍ता के नशे में धुत्‍त प्रियंका ने कल 26 अप्रैल-17 को जिले के बड़े दारोगा यानी अपर पुलिस अधीक्षक कुंवर ज्ञानंजय सिंह पर बमक पड़ीं कि :- दिमाग खराब हो गया है तुम्‍हारा। मैं तुम्‍हारी खाल खिंचवा लूंगी।

भाजपा की महिला सांसद की इस भाषा-शैली ने हंगामा खड़ा कर दिया है। सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस अधिकार के तहत प्रियंका ने एक नौकरशाह के साथ इस शब्‍दावली का इस्‍तेमाल किया। जाहिर है कि खाल खिंचवा लेने की शैली क्रूरतम शासन की पहचान होती है। अमानुषिक मध्‍ययुगीन अत्‍याचारों की याद दिलाती प्रियंका रावत सिंह की यह शब्‍दावली किसी सभ्‍य समाज के चेहरे पर किसी घिनौने कलंक से कम नहीं मानी जा रही है। खास तौर पर तब, जबकि प्रियंका खुद जन-सेवक हैं और सांसद जैसी संवैधानिक सीट पर काबिज हैं।

हालांकि अभी तक यह नहीं तय हो पाया है कि प्रियंका के इस बयान पर राजधानी लखनऊ के सरकारी मंच ने किस तरह से लिया है। यह भी तय नहीं हो पाया है कि इस मामले पर सरकारी तौर पर क्‍या कार्रवाई होगी भी या नहीं। इतना ही नहीं, भाजपा के स्‍थानीय नेतृत्‍व से लेकर राज्‍य मुख्‍यालय तक के बड़े-बड़े नेता भी इस मामले में चुप्‍पी ही साधे हुए हैं। सच बात तो यह है कि चाहे वह सरकार हो या फिर मुख्‍यालय पर बैठा प्रशासन, अथवा भाजपा का नेतृत्‍व, इस मामले को पूरी तरह रद्दी में फेंकने में जुटा दिखता है। सथानीय प्रशासनिक तौर पर अभी तक केवल हुआ यह है कि बाराबंकी के बड़े दारोगा यानी पुलिस कप्‍तान वैभव कृष्‍ण ने बयान दिया है कि वे प्रियंका रावत के इस बयान के वीडियो की जांच-परीक्षण करा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इस वीडियो में कोई भी आपत्तिजनक तत्‍व मिलते हैं, तो पुलिस प्रियंका के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करेगी।

बाराबंकी की जनता हमेशा अपने नेताओं की लग्‍गू-भग्‍गू की तौर पर ही दिखी है। जन-आंदोलन से तो कोसों दूर रही है बाराबंकी की जनता। हमेशा नेताओं की ही तूती चलती रही है यहां। चाहे वह पार्टी-बदल में महारत बेनी प्रसाद वर्मा रहे हों, अराजक कार्यशैली के अरविंद सिंह गोप रहे हों, या फिर पीएल पुनिया, खैर। विकास तो हमेशा से ही यहां के नेताओं के ठेंगे पर रहा है।

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बाराबंकी में नौटंकी

कुछ भी हो, प्रियंका यह बयान एक निहायत अभद्र, बेहूदा और अमानवीय भी है। इससे नौकरशाही और पुलिस के आत्‍मबल को तोड़ने की अपूरणीय क्षति पहुंचायी है। प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के संवाददाता से बाराबंकी के कई पत्रकारों से बातचीत हुई। इन सभी का यह मानना था कि कुंवर ज्ञानजय सिंह एक कर्मठ और ईमानदार अधिकारी हैं। जबकि दूसरी ओर एक राजनीतिक विष्‍लेशक का कहना था कि पिछले पांच बरसों तक समाजवादी पार्टी की सरकार के नेताओं और स्‍थानीय मंत्रियों ने जितनी अराजकता और लूट का माहौल बनाया था, वह बेमिसाल है। आम आदमी इस दौरान सबसे ज्‍यादा अगर किसी से त्रस्‍त और भयग्रस्‍त रहा है, तो वह है पुलिस और राजस्‍व। जमीनों पर कब्‍जा और अवैध खनन का एक बड़ा गिरोह बाराबंकी में बन चुका था, जिसमें सपा के लोगों का एकक्षत्र साम्राज्‍य था, जो आज भी बदस्‍तूर चल रहा है। सपा नेताओं की करीब 500 ट्रकें और ट्रैक्‍टर आज भी सड़कों पर बेलगाम दौड़ रही थीं। जाहिर है कि यह पूरी गिरोह की शर्तों के मुताबिक एक बड़ा हिस्‍सा पुलिस को भी जाता है।

लेकिन बदले निजाम के बाद से इस रकम का हिस्‍सा किसके पास और कितना पहुंचेगा, इसी को लेकर प्रशासन और अब प्रभावी बन चुके नेताओं में काफी विवाद है। हर नेता इस अवैध रकम को अपनी जेब में हासिल करना चाहता है। और ऐसी हालत में यह सफलता तो उसी के खाते में जुटेगी, जो प्रशासन और पुलिस को घेरे में ले पायेगा। ऐसे में प्रियंका सिंह रावत ने यह पांसा फेंक दिया, जिसमें उस पुलिस की जमकर घेराबंदी हो गयी, जिससे आम आदमी बेहद त्रस्‍त था। प्रियंका का यह बयान भले ही निहायत अभद्र और अशोभनीय रहा हो, लेकिन प्रियंका आम आदमी की जन-आकाक्षांओं को संतुष्‍ट कर उनकी हिरोइन बन चुकी हैं।

कुछ भी हो, सहारनपुर में बड़े दारोगा यानी एसएसपी लव कुमार के साथ भाजपाइयों का जो व्‍यवहार हुआ, उसके बावजूद सरकार ने उस पर कोई मलहम लगाने के बजाय कल लवकुमार को तबादले पर भेज दिया। ऐसी हालत में कुंवर ज्ञानंजय सिंह के साथ क्‍या व्‍यवहार किया जाएगा, उसकी कल्‍पना सहज ही लगायी जा सकती है।

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