: विधानसभा चुनाव में औंधे मुंह गिरे, तो अब चिल्लूपार की जनता को ससुरा साबित करने में जुटे हैं लाश वाले बाबा : नये विधायक की कोशिशों पर दुष्प्रचार की कुल्हाड़ी मारने पर आमादा हैं राजेश त्रिपाठी : राज्यमंत्री पद से बर्खास्त हुए थे राजेश, अब भगवान परशुराम-अनुयाइयों पर गालियां देने पर आमादा :
संवाददाता
चिल्लूपार (गोरखपुर) : सच बात तो यह है कि राजनीति बहुत कुत्ती चीज होती है। अपना कुछ करना-धरना होता नहीं है, लेकिन जो कामधाम करने में जुटा है, उसके खिलाफ दुष्प्रचार करने में सारी जी जान लड़ा देते हैं पराजित लोग। उनके पास इसके अलावा कोई काम भी तो नहीं होता है न, इसलिए। वे यह भूल जाते हैं कि जब वे हारे हैं, तो उसका कोई खास कारण होता है, उनके दुष्कर्म होते हैं, उनका असली चेहरा जनता पहचान जाती है न, इसलिए।
गोरखपुर में चिल्लूपार विधानसभा सीट पर आजकल यही चल रहा है। इस पूरे क्षेत्र में एक भी सड़क नहीं है, जिसे कोई भी वाहन 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से पार कर सके। विकास कार्यों के बारे में तो पिछले दस बरसों से यहां कोई कोशिश ही नहीं की गयी। वजह था एक ऐसा शख्स, जो यहां का विधायक बन गया, जिसे पता ही नहीं था कि विधायक का काम अपने क्षेत्र में जीवित इंसानों को जिन्दा रहने की सांस और माकूल सुविधाएं मुहैया कराना होता है। चिल्लूपार में इस शख्स ने एक भी ऐसा काम नहीं किया, जिसे विकास कार्य की श्रेणी में रखा जा सके।
जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं राजेश त्रिपाठी की, वही राजेश त्रिपाठी। राजेश त्रिपाठी ने चिल्लूपार में दो बार विधायकी हासिल की, लेकिन किया-धरा कुछ भी नहीं। विकास कार्यों को उजाड़ ताक-डेहरी पर रख कर राजेश त्रिपाठी ने अपना सारा ध्यान यहां के श्मशान को सजाने में लगा दिया। आम आदमी का जीना हराम हो गया, लेकिन अपने कार्यकाल में इस विधायक ने आम आदमी की दिक्कतों पर उफ् तक नहीं की। माथे पर श्मशानी दुपट्टा लगाये घूमते रहे राजेश त्रिपाठी से आखिरकार जनता बेहद त्रस्त हो गयी, तो चिढ़ कर राजेश का लाशों वाला सौदागर का नया नामकरण कर दिया क्षेत्र के लोगों ने। क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि इस मुक्तिधाम पर ही राजेश ने अपना पूरा ध्यान लगाया और चिल्लूपार की जमकर उपेक्षा की। मुक्तिधाम में पहुंचने वाली हर लाश को लाने वालों से प्रति दो सौ रूपयों की वसूली यहां होने लगी। करीब एक सौ दूकानों के किराये के नाम से भी भारी उगाही होने लगी।
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आखिरकार बुरी तरह दुखी होकर राजेश त्रिपाठी का दिमाग ठिकाने लगाने का संकल्प लिया। नतीजा, इस चुनाव में मुक्तिधाम वाले सौदागर को जनता ने मुंह की धूल चटा डाली। क्षेत्र में अराजकता के प्रतीक बन चुके राजेश त्रिपाठी के खिलाफ डंका बजाते हुए जनता ने इस चुनाव में जीत का सेहरा बसपा के विनय शंकर तिवारी के सिर बांध लिया। लेकिन इस करारी पराजय के बाद से ही मुक्तिधाम वाले बाबा के बयानों से हड़कम्प मच गया। बड़हलगंज के एक प्रमुख व्यवसायी बताते हैं कि अपनी पराजय के बाद से ही राजेश त्रिपाठी का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है। अक्सर तो यह बाबा चिल्लूपार के नागरिकों को ससुरा आदि गालियों से विभूषित करने लगता है।
नव निर्वाचित विधायक विनय शंकर तिवारी ने हाल ही ऐलान किया था कि वे चिल्लूपार की सड़कों के पुनरूद्धार की योजना पास कराने की कोशिश के साथ ही साथ क्षेत्र को 24 घंटों तक बिजली दिलाने की कोशिश करेंगे, लेकिन इन प्रयासों का समर्थन करने के बजाय मुक्तिधाम बाबा ने उसकी खिल्ली उड़ाने की कोशिश कर ली। सवाल तो यह है कि मुक्तिधाम से क्षेत्र का विकास होता है, या क्षेत्र की सड़कों और बिजली व्यवस्था की कोशिशों से।
वैसे अब सवाल तो यह उठने लगे हैं कि मुक्तिपथ बाबा को सन-10 में क्यों बर्खास्त कर दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि उसका कारण था मुक्तिधाम में हुए कामों में भारी घोटाले। अब हालत यह है कि परशुराम जयन्ती के अवसर पर बटुकों के जनेऊ संस्कार के होने वाले समारोह को पाखंड साबित करने की साजिशें चल रही हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि परशुराम के नाम को बेचा जा रहा है।
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