बनियागिरी की चालाकी तो देखिये, सारे रिश्‍ते तुड़वा दिये

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बेहिसाब भौतिक सुविधाएं मिल जाएंगी, तो फिर आत्‍मीयता के तार कैसे जोड़ेगा : काम में बेहिसाब रगड़ाई, बाकी वक्‍त में मौज-मस्‍ती, सोचने का वक्‍त किसके पास रहेगा : किंतु अब वह कहां, और हम कहां? : दिल धक्‍क-धक्‍क 2:

डॉ उपेंद्र पाण्‍डेय

चंडीगढ़ : अब दूसरी घटना सुनिये। आज सुबह ही बेंगलुरू से एक रिश्तेदार का फोन आया और शिकायत मिली कि “सुना है पार्थ (मेरा बड़ा बेटा) तीन महीने बेंगलुरू में रहा, हमें पता ही नहीं चला। लखनऊ में खूब शैतानियां करता था, उसे हमारी याद नहीं आई। 15 साल हो गए होंगे उसे देखे, फेसबुक से ही पता चलता है कि दाढ़ी-मूछों वाला गबरू जवान हो चुका है, पाजी पार्थ।“

पार्थ जी मैकेनिकल इंजीनियरिंग के फाइनल इयर स्टूडेंट हैं। थर्ड ईयर की इंटर्नशिप बेंगलुरू में मर्जिडीज बेंज में मिल गई। पेड इंटर्नशिप, वह भी R&D डिवीजन के पेटेंटिंग एक्सपर्टीज में। कारपोरेट कमाई के साथ सुबह से देर रात तक रगड़ाई, खाने पीने को चौबीसो घंटे मुफ्त की रबडी-मलाई-षटरस-कांटीनेंटल व्यंजन। चतुर बनियागिरी की चालाकी (जिसे आजकल कारपोरेट भाषा में इम्प्लाई मोटीवेशन कहते हैं) में फंसकर लगा कि यही स्वर्ग है और यही जीवन का लक्ष्य। लिहाजा जनाब दुनिया जहान भूल गए, हालत यह रही कि सटरडे-संडे को भी प्रोजेक्ट्स प्रेपरेशन में लगे रहे और माल्स और मल्टीस्टोरीज की तरफ भी नहीं झांका।

लिहाजा उनकी मम्मा जी के साथ मिलकर बेंगलुरू के रिश्तेदारों की जो फेहरिश्त थमाई थी, वह धरी की धरी रह गई। पार्थ का वायदा था कि फाइनल प्रोजेक्ट प्रजेंटेशन के बाद लौटने से पहले तीन-चार दिन सबसे मिलेंगे जुलेंगे। 20 सितंबर की दिल्ली वापसी थी, उससे पहले बेंगलुरू में भ़ड़क उठे दंगे। किसी तरह से हवाईजहाज पकड़ा, क्योंकि अगले ही दिन से सेमेस्टर एक्जाम्स थे। लिहाजा बगैर एक भी परिचित-रिश्तेदार से मिले बैरंग दिल्ली वापस। वैसे मेरे दोनो पुत्रों पार्थ-भरत में फेमिली अटैचमेंट के जीन्स बाबू जी वाले ही हैं और चंडीगढ़ आने वाले हर नाते रिश्तेदार को स्टेशन से रिसीव करने से लेकर सीआफ करने तक मैं जरूर जाउं, इसका आग्रह भी करते हैं। किंतु अब वह कहां, और हम कहां?? ( क्रमश:)

यह लेख-श्रंखलाबद्ध है। इसकी अन्‍य कडि़यों को पढ़ने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- दिल धक्‍क-धक्‍क

मूलत: फैजाबाद निवासी डॉ उपेंद्र पाण्‍डेय देश के कई नामचीन अखबारों में ऊंचे पदों पर रह चुके हैं। इस वक्‍त दैनिक ट्रिब्‍यून के नेशनल ब्‍यूरो चीफ हैं। उनका सम्‍पर्क मोबाइल नम्‍बर 9876011650 है।

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