महंगाई का असर चुनाव पर
लखनऊ: साल दर साल बढ़ती महंगाई का असर विधानसभा चुनावों पर पर भी दिखेगा। इस बार चुनावों में सरकार ने 325 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया है, जिसमें करीब 235 करोड़ रुपये सुरक्षा प्रबंधों पर खर्च होंगे। जबकि बीते विधानसभा चुनाव में 130 करोड़ और लोकसभा चुनाव में 155 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
चुनाव खर्च आंकलन में जुटे अधिकारियों का कहना है कि पेट्रोल, खाने-पीने और चुनाव में प्रयोग होने वाली सामग्रियों के दामों में इजाफे से चुनाव खर्च में बढ़ोतरी हो रही है। चुनाव का यह सारा खर्च उप्र सरकार को उठाना पड़ेगा। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव साथ-साथ होने पर ही आधा-आधा खर्च केंद्र व राज्य सरकार के जिम्मे आता है।
चुनाव के दौरान के दौरान दो स्तर से खर्चें होते हैं। एक निर्वाचन विभाग के स्तर से और दूसरे गृह विभाग के स्तर से। दोनों के लिए राज्य सरकार बजट आवंटित करती है। निर्वाचन विभाग के स्तर से जो चुनावी खर्च होने हैं, उस पर इस बार लगभग 90 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जबकि बीते विधानसभा चुनाव में करीब 70 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
90 करोड़ की धनराशि से निर्वाचन विभाग चुनाव सामग्री का क्रय करेगा। चुनाव सामग्री में डाक और टेंडर वोट के लिए बैलेट पेपर छपवाए जाते हैं। अंगुली पर लगाई जाने वाली स्याही, पेंसिल, सीलिंग वैक्स, मोमबत्ती, धागा आदि निर्वाचन विभाग क्रय करायेगा। नामांकन और मतदान के दौरान बैरिकेडिंग, कुर्सियों, मेज के खर्च का भुगतान भी निर्वाचन विभाग करेगा।
चुनाव कर्मियों के यात्रा भत्ता, उनके नाश्ते, उनके बीमा और उनको लाने- ले जाने के लिए परिवहन पर होने वाला खर्च का भुगतान करने का जिम्मा निर्वाचन विभाग का है। निर्वाचन विभाग को नामांकन और मतदान के दौरान वीडियोग्राफी और फोटो का भी खर्च उठाना है।
केंद्रीय बलों एवं पुलिसकर्मियों पर इस बार भी सबसे अधिक धनराशि व्यय होगी। केंद्रीय बलों के जवानों को राज्य में लाने और उनके जिलों में उनके ठहराने, खाने-पीने तथा प्रदेश भर में उन्हें विभिन्न जगहों पर भेजने में करीब 170 करोड़ और इनके वाहनों में पेट्रोल व डीजल भराने में करीब 30 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।
यह खर्च राज्य के गृह विभाग को भुगतान करना होगा। बाद में इस खर्च की राशि केंद्र सरकार से देने का आग्रह किया जायेगा। पुलिस, पीएसी और होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी भी बड़ी संख्या में इन चुनावों में लगाई जायेगी, इन्हें भी चुनाव भत्ता दिया जायेगा, जिस पर 20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। मोबाइल एवं टेलीफोन, लेखन सामग्री तथा कार्यालय व्यय सहित अन्य छिटपुट कार्य कराने में करीब 13 करोड़ रुपये खर्च होंगे।