भुखमरी और शोहदों का आतंक: दम्‍पत्ति ने की खुदकुशी, पत्रकार जुटा दलाली में

दोलत्ती

: कोरोना ने छीना रोजगार, भुखमरी दी और मनचलों का आतंक : जीना हराम कर रखा था मोहल्‍ले के शोहदों ने, नतीजा मां-बाप ने जहर खा लिया : नेताजी के करीबी पत्रकार ने अभियुक्‍तों से मोटी रकम उगाही, पैरवी की लखनऊ से :

कुमार सौवीर
जौनपुर : यह हादसा सुनाना उन लोगों के लिए जरूरी होगा है जिनके सीने में दिल पसीजता है, दिमाग धड़कता है, आंखें आंसू टपकाती हैं, रगों में खून खौलता है और बाहें-भवें कुछ कर-गुजरने के लिए फड़कने लगती हैं। इतना ही नहीं, उनके लिए भी यह बहुत जरूरी है जिन्‍हें पत्रकारिता के नाम पर लूट-खसोट और बोटियां नोचने वालों पर गुस्‍सा लगता है। ऐसे लोगों के लिए भी यह किस्‍सा इतना दर्दनाक तो है ही, जिसके चलते आप ऐसे पत्रकारों के चेहरों पर थूक सकें। लानतें भेज सकें।
तो किस्‍सा-कोताह कुछ यूं है। यहां नगर कोतवाली के सराय पोख्ता पुलिस चौकी इलाके में अहमद खां मण्डी मोहल्‍ला है। यहीं पर एक गरीब दम्पति शमसुद्दीन उर्फ 45 बरस के बबलू का परिवार रहता था। उसका कामधाम था बिसाती का। वह शहर और आसपास के गांवों में भी ठेले पर दिन भर वह सामान बेच कर अपना परिवार चलाता था। लेकिन कोरोना और लॉक-डॉउन के चलते उसका पूरा धंधा ही चौपट हो गया था। कंगाली ने उसकी कमर तोड़ दी, कलह शुरू हो गया। नतीजा यह हुआ कि शमसुद्उदीन और उसकी पत्नी फातिमा 38 ने विगत 12 मई को जहर खा लिया था। मनचलों के जुल्म का शिकार होकर जहर खाए दंपति की मौत हो गयी। बताते हैं कि शमसुद्दीन का इलाज ठीक से नहीं हो पाया था।
उधर गम्‍भीर रूप से हालत बिगड़ने पर पुलिस ने फातिमा को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था जहां उन्‍हें बीएचयू वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया था। बीएचयू में भर्ती न होने पाने के कारण वाराणसी के एक निजी चिकित्सालय में जाया गया। लेकिन परिजनों के पास इतने रुपये ही नहीं थे। नतीजा 22 मई की शाम को दोनों को लेकर जौनपुर अहमद खाँ मण्डी अपने घर आ गये। 23 मई की देर शाम जहर खाई महिला की घर पर ही मौत हो गई। जिसकी सूचना परिजनो द्वारा नजदीकी पुलिस को दिया गया। पुलिस मौके पर पहुंच महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेज दी है।
महिला की मौत के बाद मृत महिला की बेटी जारा ने कोतवाली में अपने माता-पिता के साथ हुई घटना का जिम्मेदार तीन व्यक्तियो के खिलाफ लिखित तहरीर दे कर पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई।
मृत दंपति के चार छोटे छोटे मासूम बच्चे है और वह ठेले पर बिसाती का सामान लगाकर अपने परिवार का गुजर बसर करता था। कोरोना के बाद लॉक-डॉउन की हालत के चलते शमसुद्दीन का कामधाम ही ठप हो गया था। मृत दंपति की बेटी जारा ने कोतवाली पुलिस को लिखित तहरीर देकर मोहल्ले के तीन व्यक्तियो पर छेड़खानी करने तथा मारने पीटने का आरोप लगाया है। मृतक दंपति की बेटी जारा ने पुलिस को बताया कि मोहल्ले के दो लोग उसकी मां से बातचीत करते थे और ताकाझांकी करते थे जो पिता को नागवार लगती थी। मेरे पिता द्वारा कई बार पड़ोसी युवकों को मना करने पर भी वो मानने को तैयार नही थे।
विगत 12 मई को भी दोनो में विवाद होने के बाद एक आरोपी के लड़के ने उसके पिता को बुरी तरह पीटा था। उसी के बाद उसके पिता ने जहर खा लिया। फिर बाद मे मां ने भी उसके पिता से छीन कर जहर खा लिया था। पुलिस दोनो के शव को कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है और तहरीर के आधार पर विवेचना मे जुट गई है। वही दो मौत की खबर से शहर मे सनसनी मच गई है।
अब इस कहानी का दूसरा हिस्‍सा भी समझ लीजिए। इस घटना में जितने लोगों का नाम सामने आया है, उनकी पैरवी और लखनऊ से अब होने लगी है। खबर है कि कई संस्‍करणों से कई-कई लोगों को पत्रकार बनाने की फैक्‍ट्री वाले एक अखबार के एक संस्‍करण में अपनी दलाली के नाम पर कुख्‍यात होते जा रहे एक पत्रकार ने इस मामले में खूब दलाली खायी है। जौनपुर में साफ चर्चा कि इसके लिए इस पत्रकार ने मोटी रकम उगाही है। नतीजा यह कि इस मामले को दबाने के लिए अब लखनऊ में बैठे अफसरों और पुलिसवालों पर दबाव बनाने की रणनीतियां लागू हो रही हैं। आपको बता दें कि एक बड़े सपाई नेता से अपनी करीबियों को लेकर चर्चित इस पत्रकार ने नेता जी के नाम पर मोटी कमाई की थी। लेकिन अब भगवा माहौल में हरी रंगत के बावजूद इस पत्रकार ने अपना चोला हरा-हरा बना कर पत्रकारिता को अपना चारागाह बना डाला है।

बाकी सब ठीकठाक ही चल रहा है। हर चौराहे पर पहाड़ा सुनाया जा रहा है। बेहाल लोगों के आंसुओं को जलजीरा की तरह इस्‍तेमाल कर रहे हैं अफसर, पत्रकारों की पौ-बारह है।

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