बेईमानी में जज की पेंशन कटी, बेशर्मी में हिन्‍दुस्‍तान अखबार की नाक

बिटिया खबर

: दो-कौड़ी का कचरा पहले पन्‍ने में बॉटम-लीड बना कर छापा हिन्‍दुस्‍तान ने : जो खबर 7 मई को सारे अखबारों ने छाप दी थी, हिन्‍दुस्‍तान ने आज 8 मई को उसका ढोल बजाया : पता ही नहीं चल पाता कि कौन है बड़ा नाक-कटा, हिन्‍दुस्‍तान या अमर उजाला : बेशर्मी से अपनी फोटो छाप लेता है संपादक, तो बासी खबर पर रिपोर्टर अपना नाम छपाता है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मृणाल पांडेय ने हिन्‍दुस्‍तान अखबार में खबर, भाषा, विचार, विमर्श, संयम और दिग्‍दर्शन का जो अभियान छेड़ा था, वह बेमिसाल था। लेकिन समूह संपादक शशि शेखर बनने के बाद से ही हिन्‍दुस्‍तान अखबार के दिन हनहनउव्‍वा गर्दिश में घुस गये हैं। हालत यह है कि शशि शेखर की नाक तो आज फिर कट गयी। आज रविवार को शशि शेखर ने अपनी बड़ी-बड़ी फोटो संपादकीय पन्‍ने पर टांग ली, तो इस अखबार का सबसे बड़ा रिपोर्टर भी पीछे क्‍यों होता। उसने एक खबर छाप ली, वह भी अपने नाम से। बिना यह जाने-बूझे कि यह कोई खबर को छाप कर न केवल रिपोर्टर, शशि शेखर और अखबार ने अपनी ही नाक को काट कर फेंक दिया। बेशर्मी की हालत देखिये न, कि जो खबर पूरे देश में एक दिन पहले ही छप चुकी थी, इस हिन्‍दुस्‍तान अखबार ने उसे अपने पहले पन्‍ने पर बॉटम-लीड के तौर पर बाकायदा चार कॉलम में छाप लिया। वह भी अपने सबसे बड़े रिपोर्टर के नाम से। बाई-लाइन। 
करीब 22 बरस पहले आगरा में अपर जिला जज के पद पर तैनात रह चुके हैं मुजफ्फर हुसैन। यहां भूमि अधिग्रहण में खूब बेईमानी हुई। लेकिन यहां तो बात मुजफ्फर हुसैन पर है। उन्‍होंने एक मुकदमे पर वादियों के पक्ष में जरूरत से ज्‍यादा मुआवजा दे दिया। शिकायत हुई तो हाईकोर्ट ने उनकी पेंशन 70 फीसदी काट दी। मुजफ्फर हुसैन इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गये, लेकिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को रद्दी मान लिया और साफ कह दिया कि किसी भी जज को हर तरह से संदेश से परे होना ही चाहिए।
जाहिर है कि यह मामला गंभीर था और उससे भी ज्‍यादा गम्‍भीर थी सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणी। कहने की जरूरत नहीं कि इस मामले को सभी अखबारों और न्‍यूज चैनलों ने उस खबर को ब्रेकिंग न्‍यूज का ओहदा दे दिया। पीटीआई आदि न्‍यूज एजेंसियों ने भी इस खबर को शुक्रवार को ही सभी संस्‍थानों के लिए रिलीज कर दिया था। यानी यह खबर वायरल हो चुकी थी।
लेकिन हिन्‍दुस्‍तान अखबार में मालिक मुख्‍तार बने और अपने आप में ही निमग्‍न होकर पालथी मारे बैठे लोगों ने उस पर तनिक भी ध्‍यान नहीं दिया। लेकिन अगले दिन उनका दिमाग सटक गया। हिन्‍दुस्‍तान के समूह संपादक शशि शेखर तो अपनी फोटो छपवाने में छलांग रहे थे, अखबार के सर्वोच्‍च रिपोर्टर श्‍याम सुमन की अंगड़ाई टूटी। समझ में ही नहीं आया कि वे शनिवार को कौन सी खबर लिख मारें, जिससे उस दिन की दिहाड़ी उनकी नक्‍की हो जाए। फारिग होने के बाद आनन-फानन श्‍याम सुमन ने पुराने तार-संदेश चेक किया और एक खबर को दो-कौड़ी का एंगल देकर अपने नाम के साथ प्रेस में भेज दिया। पिनक में पूरे संपादकीय दफ्तर में बैठे ऊंघते बड़े-बड़े दिग्‍गज पत्रकारों ने उस फाइल को लपक लिया और बिना उसको पढ़े-चेक किये ही उसे छाप दिया।
हिन्‍दुस्‍तान के इस महान रिपोर्टर को इतनी भी तमीज नहीं आयी कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट बंद होता है और इस तरह की खबरें केवल हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से ही जारी हो सकती हैं। श्‍याम सुमन ने इस तरफभी ध्‍यान देने की जरूरत नहीं समझी और शुक्रवार को हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शनिवार में लगा कर उसे रविवार में अपने नाम से छाप कर अपने हिन्‍दुस्‍तान अखबार, उसके समूह संपादक, बड़े पत्रकारों और खुद अपने ही नाक को काट कर अलग कर दिया।

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