तो बोलो:- दल्ला-भांड़ पत्रकार की जय

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

‪: जो दल्ला होता है वह वाकई दल्ला ही रहता है हमेशा : पत्रकार बनने का मकसद रौब ऐंठना-दलाली, खबरों से वास्ता नहीं : दोस्तों, जब भी मौका मिले तो ऐसे दल्लों को ललुहाय लिया करो : मेहनताना ले लो, मगर खबरों की इज्जत मत बेचो धंधेबाज दल्लों : हरीनाथ यादव। गालियां तुम अपने घरवालों के लिए रख लो :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अब मेरा संशय पुख्ता हो गया है। वह यह कि जो वाकई दल्ला पत्रकार होता है, वह हमेशा दल्लागिरी ही करता रहेगा। चूंकि वह अपनी दलाली और अपने आकाओं के तलवे चाटने के अपने सर्वाधिक बिकाऊ धंधे से जुड़ा होता है, इसलिए उसके लिए पैसा सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। पैसा चाहे कैसे भी आये, चाहे खबर तोड़-मरोड़ कर, खबर दबा कर, उलटी खबर चेंप करके या फिर इनके साथ ही साथ उन पत्रकारों को दलाल करार देना, जो उसके आकाओं का अहित कर रहे हों।

लखनऊ के बड़े दलालों जैसे दिग्गज दलालों से लेकर मेरे खिलाफ जो अभियान दलाल पत्रकारों ने छेड़ रखा है, वह बेहद दिलचस्प है। लखनऊ से लेकर भदोही तक मेरे खिलाफ डंका बजा हुआ है। कोई मुझे दलाल बताता है, तो कोई मुझे भड़वा। कोई मुझे वेश्यालय का संचालक करार देता है तो कोई मुझे खुला बिकाऊ पत्रकार कहलाता है। जिस भी जिले में मैं पत्रकारों की निकृष्ट हरकतों का खुलासा करता हूं, तो वहीं के दलाल पत्रकार मुझे तेल-पानी लेकर चढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं, कई ऐसे तथाकथित पत्रकार नेता भी सामने आ जाते हैं, जो ऐसे बडे दिग्गज पत्रकारों की पत्तलें चाटते हैं। गालियां तो मेरे खिलाफ इतनी दी जाती हैं, कि सुन-पढ़ कर लोगों के कानों की लवें तक सुलग जाएं।

आपको याद होगा कि जब मैंने लखनऊ के दलाल पत्रकारों पर हमला किया तो न जाने किस-किस जेल में बंद पत्रकारों ने जेल तोड़ कर मुझ पर हमला छेड़ दिया। और अब जब मैंने जौनपुर में लावारिस मिली सामूहिक बलात्कार पीडि़त बच्ची के हक में लिखना शुरू किया तो प्रशासन से लेकर पूरी पत्रकार बिरादरी ही हमलावर अंदाज में आ गयी। मुझ पर चरित्र-हनन का अभियान छेड़ दिया इन बेनामी पत्रकारों ने।

ताजा मामला भदोही का देखिये। जब एक अनाथ बच्ची को मुख्य बाजार में शाम सवा पांच बजे सपा विधायक जाहिद बेग के प्यारे-लाड़ले भतीजे शादाब बेग ने गालियां देकर उसके कपड़े फाड कर उसे नंगा कर दिया, तो एक पत्रकार नेता डॉक्टर जीपी सिंह उचक कर कूदते हुए सामने आ गये। खुद को उप्र जर्नलिस्ट् एसोसियेशन के जौनपुर अध्यक्ष बताते हैं जीपी सिंह। दीगर बात है कि लिखने की तमीज तनिक भी नहीं है इन अध्यक्ष को। हिन्दी लिख ही नहीं सकते और अंग्रेजी में बकवादी करते रहते हैं। नाम के आगे डॉक्‍टर लिखते हैं। भदोही में बच्ची के मामले में जब मैंने पत्रकारों को आड़े हाथों लिया तो वह उपजा अध्यक्ष ने कई समूहों में लिखा:- “जिस ग्रुप में पत्रकारो के खिलाफ लिखा जाएगा अभद्र टिप्पणी की जायेगी उस ग्रुप में मै नहीं रह सकता। धन्यवाद ।डा0 ज्ञान प्रकाश सिंह जिलाध्यक्ष उपजा जौनपुर”

मैंने फौरन जवाब दे दिया डॉ जीपी सिंह को:- ” आपने मेरी पोस्ट पर शायद अपना कॉमेंट किया है। मैं यह जानना चाहता हूँ कि आपका यह कॉमेंट मेरे लिए धमकी है या सलाह?

अगर सलाह है तो यह सिरे से बेहूदापन है और आपकी विद्रूप व घटिया एकांगी मानसिकता का प्रतीक भी है। इसलिए मैं उसको कूड़ेदान में फेंक दे रहा हूँ।और अगर धमकी है तो मैं आपकी ऐसी बंदर-गीदड़ धमकियों से नहीं डरता। यह नहीं हो सकता कि पत्रकार दलाली करने के लिए किसी बच्ची पर हुए हमले की खबर ही दबा दें, और मैं खामोश बैठा रहूँ।

और जो लोग ऐसे दलाल पत्रकारों का पक्ष ले रहे हैं, वो भी दलाल हैं। चाहे वे उपजा के हों या फिर बिना-उपजा के हों। मैं हमेशा खबरों के हत्यारों को दबोचे ही रहूंगा।”

जवाब फिर उसी डॉ जीपी सिंह ने दिया:- “जिस ग्रुप में पत्रकारो के खिलाफ लिखा जाएगा अभद्र टिप्पणी की जायेगी उस ग्रुप में मै नहीं रह सकता। धन्यवाद। डा0 ज्ञान प्रकाश सिंह जिलाध्यक्ष उपजा जौनपुर”

और उसके बाद वह शख्स उन सभी समूहों से लेफ्ट हो गये।

लेकिन इसी बीच लखनऊ के एक चौ-पतिया पत्रकार रेहान अहमद सिद्दीकी ने भदोही काण्ड में एक ग्रुप में मुझे घेरा। बोले: ‪+91 98394 13786‬: “Yah pagal ho gaya hai jo patkaro ko kiya kiya bak rah hai,  yah is ko left karo, yah hum ko  ghurp se,  jab dhekho patkaro ko kuch na kuch bak rah hai”

मैंने तत्काल उस रेहान को जवाब दे दिया:- “तुम वाकई मुसलमान हो ? मुझे तो बताया गया था कि जो असली मुसलमान होता है वो इन्साफ का साथ देता है। एक बच्ची पर भदोही के दलाल पत्रकार घेराबंदी कर रहे हैं, मैं उनका विरोध कर रहा हूँ और तुम उलटे मुझे पागल करार दे रहे हो ? तनिक भी शर्म नहीं आती है तुमको खुद को मुसलमान कहते?

या फिर तुम्हारी निगाह में मुसलमान का मतलब ही अलहदा होता है? अभी भी वक्त है। तनिक शर्म करो। खुद को इन्साफ की राह पर ले जाओ। मुसलमान बनो। आमीन।”

इस पर भड़क गये वह रेहान। लिखा:- +91 98394 13786‬: “Bath patkaro ki ho rahi hai aur yaha hindo aur musalmaan kah se aa gaya aur ladki ki madad karna hai tho wah chal kar karo patkaro ko ghaliya kiyu bak rahe ho aur thumari such samj gay hai thumare jaise log hi insanity khatam kar rahe hai Hindu aur musalmaan kah kar mai tho hindustani ho pahle jai barat jai hindustan baki thumare bare mai kuch nhai jaantha thum kon ho

Dalal kah nhai hai bhadhoi ho yah koi bhi jagah himaat hai tho ladki ki madad karne bhadhoi chalo tab insanity patah Chale gi ham bhadhoi chal kar uas ladki madad karne ko taiyaar hai hamare log bhi madad karegay jaisee madad ho ok”

उधर भदोही में एक सज्जन ने उस अपराधी शादाब और उसके सपा विधायक जाहिद बेग को अपना खैर-ख्वाह बना लिया। नाम है हरीनाथ यादव। हालांकि वे भदोही में दैनिक जागरण के कर्मचारी नहीं हैं, लेकिन विज्ञापन के सेक्शन में कमीशन-एजेंट हैं। आज उन्होंने मुझे दलाल बताया दिया और जब मैंने उनका प्रतिवाद किया तो वे साले और माधर— पर उतर आये। अब हरीनाथ को कौन बताये कि कोई भी पत्रकार शब्दा का उच्चालरण तो सही करता होगा। मसलन, माधर नहीं बल्कि सही शब्द- होता है मादर।

कुछ भी हो, उन्होंने मुझे साला और माधरचोद की गाली दी है। लेकिन उन गालियों का मैं क्या करूंगा हरीनाथ यादव जी? ऐसा करो कि यह गालियां तुम खुद अपने लिए इस्तेमाल कर लो। तुम्हें और तुम्हारे आकाओं को इसकी ज्यादा जरूरत होगी।

है न ?

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