लड़की को सरेबाजार नंगा करना बहादुरी है, शाब्बास मेरे शेर

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अथ श्री-भदोही कथा। बेबस जनता, दबंग नेता, बेईमान पुलिस और तलवाचाटू पत्रकार : चच्चा ने चच्चा की इजाजत दिलायी, फिर चच्चा ने भतीजे को पुचकार लिया : नहीं बेटा, भदोही जेल है जन्नत, पुलिसवालों जूते चमकायेंगे : नेताओं ने जेल में शाहंशाह की बरसों-बरस, तुमने तो किया है मर्दानगी का काम : कोई कमी नहीं रहेगी घर-जेल के माहौल में : दो-चार दिन में जमानत करा दूंगा, फिर गंगाजल स्टाइल में लड़की के घर जाना : अबे, कहां बच के जाएगी वह लौंडिया, जेल से निकलते ही हर कीमत वसूल लेना :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मामला बहुत बड़े संकट का था। बच्चों से गलती हो गयी तो भदोही वाले चच्चा ने लखनऊ वाले चच्चा से बातचीत की। और फिर भदोही वाले चच्चा ने अपने भतीजे को पुचकाते हुए कहा: जा बेटा। यह पकड़ दारू की बोतल, प्ले‍ट में बिरयानी और जरा कुछ दिन घूम जा जेल। बताना कि क्या-क्या हालचाल है वहां, क्या दिक्कतें हो रही हैं। हमारे सैकड़ों लोग वहीं रह कर अपना पुण्य-लाभ कर रहे हैं।

अररररररर्रे नहीं मेरे लाल। जेल नहीं है वह। वहां तुम्हारे खाने-पीने का पूरा इन्तजाम करा दिया है। तुम्हारे लिए वहां जन्नत की सारी खासियतें-सुविधाएं मौजूद होंगी। घबराना मत मेरे लाल। वहां मस्त-मस्त मौज न मिले, तो कुत्ते की थाली में थूक कर चटवा लेना मुझसे।

तो भइया, यह किस्सा है भदोही का। यह शहर मर्दों, बहादुरों, साहसी, न्यायप्रिय, जुझारू, जाबांज, पड़ोसी-प्रिय, मेलजोल-प्रिय, शान्त, सरल और महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा में अपनी आन-बान-शान तक न्यौ‍छावर करने वाले श्री-वीर्य पुरूषों की जन्म-स्थ्ली है। ऐसे पुरूषों को भदोही और भदोही ऐसे पुरूषों को सर्वाधिक स्‍नेह लेते-देते हैं। इस स्वर्णिम-भूमि के सजग प्रहरी हैं एक निर्वाचित पदाधिकारी जी। बेहद धार्मिक और जनप्रिय। नवरात्र होते ही बम्बई की ओर भाग जाते हैं, क्योंकि उन्हें नवरात्र में केवल मुम्बई ही ऐसा माकूल उचित स्थान लगता है जहां देवी-पूजन और अराधना, अर्चना, पूजा, वेदी, आदि-इत्यादि में कभी कोई भी दोष नहीं दीखता। चहुंओर पुण्य ही पुण्य। सिर्फ और सिर्फ सबाब और सबाब के अलावा कुछ भी नहीं। क्या हिन्दू् और क्याल मुसलमान।

बस, इसी भदोही में 19 साल की एक लड़की एक दिन एक घने बाजार से गुजर रही थी। वक्त था कोई सवा पांच बजे शाम। एक निहायत सज्जन लड़के की नजर उस लड़की पर पड़ी। उसे लगा कि शायद उस लड़की के कपड़े गंदे हैं। इसलिए उसे इंगित करने के लिए उसे पहले पुकारा, फिर सरेबाजार उस लड़के ने उस लड़की के सामने साष्टांग प्रणाम किया। बोला:- आदरणीय बहन जी, लगता है कि आपके वस्त्र गंदे हो गये हैं, इसलिए उन्हें बदलना जरूरी है।

चूंकि वह लड़की उस महान लड़के को नहीं पहचानती थी, इसलिए उसने उसने उस लड़के के अनुरोध को ठुकरा दिया। लेकिन वह लड़का चूंकि धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत था, साथ ही नवरात्र का पहला ही दिन था, इसलिए उस युवक ने उसे पुन: टोका कि देवी-जागरण के मौके पर अपवित्र वस्त्रों का नहीं धारण करना चाहिए। लेकिन लड़की ने उस धार्मिक युवक की बात नहीं मानी।

अब चूंकि शास्त्रों में लिखा है कि सत्य और शुचिता के लिए यदि युद्ध भी करना पड़े तो वह धार्मिक कृत्य ही माना जाएगा। इसलिए उस युवक ने उस लड़की के कपड़े जबरन उतारना शुरू कर दिया। लड़की ने मना किया तो भी उस धार्मिक युवक ने यह धर्म-अनुष्ठान जारी रखा। ताकि बाजार और पूरी भदोही में स्वच्छता का संदेश फेल सके। लेकिन उस अधार्मिक लड़की ने इस पर ऐतराज किया, सीधे पहुंच गयी पुलिस के पास। एसपी साहब बोले कि उस धार्मिक को पकडूंगा। लेकिन पकड़ा नहीं। कल सोमवार को उस लड़की ने अदालत में अपना बयान दिया कि उस धार्मिक ने यह कृत्य किया है। उस दौरान वहां के कोतवाल मौजूद थे। लग्जरी कारों से वह महान और सज्जनता का प्रतीक लड़का और उसके दोस्त भी पहुंच गये। कोतवाल और पुलिस का काम होता है कि सज्ज नों को संरक्षण देना। इसलिए उस धार्मिक युवक और उसके करीब दो दर्जन मित्रों को कोल्डं-ड्रिंक की बोतलों का ढक्कान खोलने में बिजी थे, दे दनादन, पोक्क पोक्क।

दो-एक दिन में ही तुम्हारी जमानत की बात फाइनल कर दिया है। ऐश से जाओ जेल। गांधी जी भी जेल चुके हैं। जेल जाने से नेतागिरी मिलेगी, ओर नेतागिरी की रफ्तार तुम्हें तक खासी ऊंचाई तक ले जाएगी। आज जो यह पत्रकार हैं, इन्‍हें लगातार और नियमित तौर पर मैं प्रसाद देता रहता हूं। नहीं बेटा, चिन्‍ता मत करो। तुम खुद सोचा कि इतना बड़ा पुण्‍य-कर्म कर लिया तुमने, जबकि मेरे विरोधी मेरा भट्ठा बैठाने पर आमादा थे। लेकिन इन्‍ही मेरे पालतू ईमानदार पत्रकारों ने तुम्‍हारी ओर उंगली तक नहीं उठायी। सब जानते थे कि तुम मेरे घर में छिपे हो, लेकिन लिखा किसी पत्रकार ने कि तुम मेरे घर में छिपे हो।

छोड़ाे बेटा, जेल जाओ। भदोही जेल नहीं है, जन्नत है। पुलिसवालों वहां भी तुम्‍हारे जूते चमकायेंगे। इतिहास देख लो कि कितने नेताओं ने जेल में शाहंशाह की है बरसों-बरस। तुमने तो किया है मर्दानगी का काम मेरे लाल। जो चाहोगे, मिल जाएगा जेल में। कोई कमी नहीं रहेगी घर-जेल के माहौल में। दो-चार दिन में जमानत करा दूंगा, फिर गंगाजल स्टाइल में लड़की के घर जाना। देवगन की फिल्‍म गंगाजल तो तुमने देखी ही होगी न, बिलकुल वैसे ही रंगबाजी में उसके घर जाना। अबे, कहां बच के जाएगी वह लौंडिया, जेल से निकलते ही हर कीमत वसूल लेना।

“ऐ देश के लफंगों, नेता तुम्हीं हो कल के

यह देश है तुम्हारा, खा जाओ इसको तल के।”

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