: गाय और शराब-तस्करों पर बिहार के सीमांत इलाके सोनभद्र का यह इलाका भी स्वर्ण-वर्षा करता है : बिहार के सीमांत जिलों में पुलिसवालों की पोस्टिंग केवल उगाही के लिए ही : इलाके में पुलिस की बागडोर केवल माफियाओं के इशारे पर और पुलिसवाले थाना-चौकी में खर्राटे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : गाय और शराब की झमाझम तस्करी, थाने की जीप पर स्थानीय अपराधी का सैर-सपाटा, बिहार-यूपी के गिरोह और पत्रकारों पर गोलियां मारना। इन चारों मामलों को अगर आप एकसाथ खंगालना शुरू कर देंगे, तो बिहार से सटे यूपी की सीमा पर चल रहे अपराधों की गुत्थी को सुलझाना आसान हो जाएगा। सोनभद्र के खलिहर बाजार में शुक्रवार की शाम चाय की एक दूकान पर दो पत्रकारों पर चली गोलियां इसी क्रम में हैं।
फिलहाल तो इस घटना के केंद्र में हैं दैनिक जागरण और अमर उजाला के स्थानीय पत्रकार। चाहे वह बलिया का मामला हो, सोनभद्र का यह मामला, या फिर किसी जिले के किसी ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकार के साथ हुई घटना, इन पत्रकारों ने बड़े अखबारों के लिए अपनी जान जोखिम में तो डाला है, लेकिन बदले में उन्हें उनके संस्थानों ने ऐन-वक्त पर दूध की मक्खी की तरह निकाल बाहर कर फेंक दिया है। खलिहर बाजार की हुई इस घटना पर बड़े अखबारों ने इन दोनों पत्रकारों के साथ इस आपराधिक घटना पर उन पत्रकारों का हाथ मजबूत करने से इनकार कर दिया है।
अब ऐसा भी नहीं है कि क्षेत्रीय या ग्रामीण और खास कर बिहार के सीमांत इलाकों के पत्रकारों के हाथ पूरी तरह धुले हुए हैं। लेकिन खास कर सोनभद्र के खलिहर बाजार की घटना में हुई इस घटना में इन पत्रकारों पर किसी भी आपराधिक लेन-देन का कोई मामला फिलहाल सामने नहीं आया है। हालांकि अभी तक इन पत्रकारों पर गोली मारने की असली वजह सामने नहीं आयी है, लेकिन इस मामले में जिस तरह सरेशाम बाजार पर यह गोली मार कर बेधड़क अपराधी बाइक से फुर्र हो गये हैं, वह बताता है कि यह पूरा इलाका पुलिस और प्रशासन के बजाय केवल अपराधियों के बल पर ही चलता है। बेधड़क निकलती हैं गौ-वंश लदी गाडि़यां और रौनक रहता है खलिहर बाजार के आसपास का करीब बीस किलोमीटर तक का इलाका, जहां 15 से ज्यादा देशी-अंग्रेजी ठेके पूरी ठसक से चलते हैं। इतना ही नहीं, यहां के ठेकेदारों ने अपने लाइसेंस के नाम पर कई-कई खुदरा दूकानें भी खोल रखी हैं। इसके अलावा कच्ची शराब का भी धंधा यहां खूब फलता है। बिहार के आसपास जिलों में यहीं से ही शराब की अवैध सप्लाई होती है। यहां पर पुलिसिंग का आलम यह है कि थाने की सरकारी गाड़ी पर एक शराब-सिंडीकेट का कल्लू नामक व्यक्ति चलता है। खबर तो यह तक है कि थाने की इसी कार्यशैली से आजिज होकर पत्रकारों ने थाने का बहिष्कार कर रखा है।
यह ब्राह्मण बहुल इलाका है। यहां दैनिक जागरण के पत्रकार हैं श्याम सुंदर पांडेय और दूसरे हैं अमर उजाला के विजय शंकर पांडेय उर्फ लड्डू पांडेय। 15 जुलाई की सुबह से ही कई युवक इस छोटी सी खलिहर बाजार से श्याम सुंदर पांडेय को खोज रहे थे। इसके बावजूद यह बहुत छोटी सी बाजार है, लेकिन इसके बावजूद किसी ने भी इन अनजान युवकों की इस कवायद पर कोई खास गौर नहीं किया। शाम करीब साढ़े आठ बजे श्याम सुंदर और विजय शंकर कई और लोगों के साथ होटल पर बैठे चाय पर बैठकी कर रहे थे, कि अचानक दो बाइक पर कुछ युवक होटल पर पहुंचे और श्याम सुंदर के बारे में पूछतांछ की। दूकान पर बैठे एक ग्राहक ने श्याम सुंदर की ओर इशारा किया, तो युवकों ने अचानक ही तमंचे निकाल कर श्याम सुंदर पर फायर कर दिया। आपाधापी मची तो विजय शंकर भी भागे, लेकिन उनके चेहरे पर एक छर्रा घिसटता हुआ चला गया।
फायर करके युवक भाग गये। घायलों को लोगों ने अस्पताल पहुंचाया। इसके बावजूद कोई गम्भीर चोट नहीं आयी थी, लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों ने बीएचयू रेफर कर दिया। डॉक्टरों ने ऐसा क्यों किया, इसका कोई जवाब नहीं दे पा रहा है। उधर इस घटना को लेकर चिंतित लोगों का कहना है कि हमलावरों का मकसद श्याम सुंदर की जान लेना नहीं था, बल्कि प्रथमदृष्टया तो यही लग रहा है कि उनका मकसद केवल पत्रकार को ही नहीं, बल्कि आसपास के लोगों को भी आतंकित कर देना ही था। दोलत्ती डॉट कॉम ने सोनभद्र के जिस भी पत्रकार से बातचीत की, सभी का मानना था कि इन पत्रकारों का किसी आपराधिक कृत्य में कोई लेनादेना कभी नहीं रहा है। लेकिन इस घटना ने तो साबित कर ही दिया कि इस पूरे इलाके में पुलिस की बागडोर केवल माफियाओं के बस में है और पुलिसिंग के बजाय पुलिसवाले थाना-चौकी में केवल खर्राटे ही भरते हैं। पास के ही चंदौली के मुगलसराय कोतवाली में जिस तरह एक पुलिसवाले के पास से उगाही की रकम का पुलिस के अफसरों के बीच बंदरबांट की लिस्ट का खुलासा हुआ था। लेकिन उस मामले पर आज तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे साबित है कि बिहार के सीमांत जिलों में पुलिसवालों की पोस्टिंग केवल उगाही के लिए ही होती है।
सोनभद्र में दो पत्रकारों को भरे चौराहे गोली मारने के बाद सुरक्षित निकल जाना, एक अहम सवाल पुलिसिंग व्यवस्था पर करता है,साथ ही बेहतर कानून व्यवस्था के दावे की पोल भी खोलता है। आपने बहुत अच्छी रिपोर्ट पेश की है। आपकी बेहतरीन रपट मैं 1987- 1989 के बीच शाने सहारा में पढ़ा करता था, तब पत्रकारिता की हमारी शुरआत थी। सर, आपका व्हाट्सएप नंबर मिल जाए तो हमें आपकी निकटता हासिल होगी। कृपया नंबर उपलब्ध कराएं। मैं शिवा शंकर पाण्डेय, प्रयागराज का निवासी, दैनिक जागरण प्रयागराज में डेस्क इंचार्ज, अमर उजाला कानपुर, हिंदुस्तान प्रयागराज के बाद इन दिनों दिल्ली से प्रकाशित पत्रिका सबलोग में यूपी ब्यूरोचीफ की जिम्मेदारी। मोबाइल – 8840338705