राम-सेतु वाला श्रीलंका बर्बाद। अगला नम्‍बर…?

बिटिया खबर

: चीनी 290 रुपये किलो: भगदड़, भारत में घुसपैठ : तेल खरीदने को विदेशी मुद्रा खत्‍म, पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात : भारत में कोविड-19 से करीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी, जो आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से सात गुना अधिक : विश्व बैंक के मुताबिक महामारी से श्रीलंका में पांच लाख लोग गरीबी के मकड़जाल में :

कुमार सौवीर

लखनऊ : श्रीलंका में आंतरिक असंतोष अब भयावह बन चुका है। विदेशी कर्जों से बेहाल इस देश में अभूतपूर्व संकट है। ईंधन खरीदने की हैसियत नहीं बची श्रीलंका सरकार में। तेल न मिलने पर टूट पड़े अवाम को नियंत्रित करने के लिए पेट्रोल पंपों पर भारी सुरक्षाबल तैनात हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री और उनके खानदान व समर्थकों तक से जनता खासी नाराज है। सरकार की नीति और कोरोना से सरकारी असफलता में हुई भारी मौतों से जनता का आक्रोश हिंसक होने लगा है।
डरावना और दुखद ही सही, लेकिन सच बात तो यही है कि श्रीलंका की जनता जाग गयी है। लेकिन भारत ….?
आज नभाटा के सम्पादकीय लेख में बचा कर ही सही, लेकिन सच कह डाला है। बावजूद इसके कि न तो नभाटा ने, और न ही किसी अन्य मीडिया ने इसके पहले श्रीलंका की इस दारुण दशा पर लिखने या बोलने की जरूरत ही नहीं समझी। लेकिन तीन दिन पहले जब श्रीलंका के एक सबसे अखबार ने कागज न मिलने पर जब अपना अखबार नहीं छापा, तब इस निकटस्थ पड़ोसी देश की बदहाली पर हल्का-फुल्का लिखने की मजबूरी फिकहाई गयी। नभाटा ने भी इस देश की दुर्दशा पर बजाय भारतीय वाहवाही वाला ढोल बजाना शुरू किया।
वैसे नभाटा ने श्रीलंका की बदहाली पर भले ही खामोशी बनायी रखी हो, लेकिन भारत में कोविड-कोरोना में हुई मौतों पर इस अखबार ने आवाज जरूर उठायी है। अखबार कहता है कि भारत में कोविड-19 से पिछले साल सितंबर तक करीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी, जो आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से छह-सात गुना अधिक है। एक स्वतंत्र एवं दो सरकारी डेटा स्रोतों पर आधारित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। साइंस जर्नल में बृहस्पतिवार को प्रकाशित हुए अध्ययन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक सर्वेक्षण का उपयोग किया गया। सर्वेक्षण में 1,37,289 वयस्कों को शामिल किया गया था।
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रभात झा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि कोविड-19, जून 2020 से जुलाई 2021 के बीच 29 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार था, जो 32 लाख मौतें हैं और इनमें से 27 लाख मौतें अप्रैल-जुलाई 2021 में हुई। अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘विश्लेषण में पाया गया कि भारत में कोविड से सितंबर 2021 तक हुई कुल मौतों की संख्या आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से छह-सात गुना अधिक है।’शोधकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि भारत में कोविड-19 से जान गंवाने वालों की कुल संख्या के बारे में व्यापक रूप से यह माना जाता है कि वे कोविड से मौतों के अधूरे प्रमाणन आदि जैसे कारणों के चलते वास्तविक आंकड़ों से कम दर्ज किये गए।
प्रथम अध्ययन निजी एवं स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर ने टेलीफोन के जरिए किया। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने मौतों और 10 राज्यों में नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर भारत सरकार के प्रशासनिक डेटा का अध्ययन किया।भारत में एक जनवरी 2022 तक कोविड के कुल 3.5 करोड़ मामले सामने आए, जो इस सिलसिले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है, जबकि भारत में कोविड से हुई मौत का आधिकारिक आंकड़ा 4.8 लाख है।
भारत में कोविड -19 से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में छह से आठ गुना अधिक है, बुधवार को जारी किए गए शोध में ये बात कही गई है.शोध में कहा गया है कि मौतों के आंकड़ों की संख्या कम गिन कर कोरोना की दूसरी लहर के भयंकर प्रभाव को कम करके पेश किया गया. कोलकाता से निकलने वाले अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ में इस ख़बर को प्रमुखता से छापा गया है.
इस अध्ययन में कहा गया है कि नवंबर 2021 की शुरुआत तक 30.2 लाख से 30.7 लाख लोगों की मौत कोविड से हुई थी. जबकि सरकारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या लगभग 4 लाख 60 हज़ार थी.एक फ़्रांसीसी शैक्षणिक संस्थान के डेमोग्राफ़र क्रिस्टोफ़ गुइलमोटो के अनुमान के मुताबिक़, जुलाई 2021 तक 30.2 लाख लोगों की कोविड से मौत हुई.ये संख्या कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में एपिडेमियोलॉजिस्ट प्रभात झा के नेतृत्व में एक टीम की ओर से की गई स्टडी में सामने आई अनुमानित संख्या के बराबर है.
गुइलमोटो ने चार अलग-अलग क्षेत्रों में हुई कोविड मौतों का इस्तेमाल करके अपना अध्ययन तैयार किया. केरल में हुई मौतें, भारतीय रेलवे के कर्मचारी, विधायक-सांसद और कर्नाटक में स्कूली शिक्षकों की कोविड से हुई मौतों का अध्ययन कर देशव्यापी मौतों का अनुमान लगाया गया है.यदि अध्ययन का ये अनुमान सही होता है तो भारत सबसे अधिक मृत्यु वाला देश बन जाएगा, अब तक अमेरिका में कोविड संक्रमण से आठ लाख और ब्राज़ील में छह लाख से ज़्यादा मौतें हुई हैं और ये देश दुनिया की सूची में सबसे आगे हैं. अख़बार से बात करते हुए स्वास्थ्य के जानकारों ने कहा कि इस तरह के अध्ययन जिनमें अलग-अलग डेटाबेस का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है और जिनमें मौतों की संख्या को कम गिनने और केंद्र के आंकड़ों को चुनौती देने की जो बात सामने आ रही है वो परेशान करने वाली है.
भारत की कोविड से होने वाली मृत्युदर दुनिया के मुक़ाबले अपेक्षाकृत कम है, सरकारी गिनती के मुताबिक़ प्रति 1,000 जनसंख्या में कोविड मृत्यु दर 0.3% है, वहीं दुनिया का औसत 0.6% हैअगर अध्ययन में सामने आने वाली संख्या 30.2 लाख से लेकर 30.7 लाख तक सही साबित होती है तो भारत की मृत्यु दर 2.3 से 2.6 तक हो जाएगी जो वैश्विक औसत 0.6 से लगभग चार गुना ज़्यादा होगी.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, सभी संकेतकों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को राज्यों को निर्देश दिया कि वे महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए लगाए गए अतिरिक्त प्रतिबंध कम करें या ख़त्म कर दें.
राज्यों में मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियां अब प्रतिबंधों के तहत न रहें.इस चिट्ठी में लिखा गया, ” वर्तमान में, चूंकि देश भर में केस निरंतर घट रहे हैं, यह ज़रूरी होगा यदि राज्य नए केस, सक्रिय केस और पॉज़िटिविटी दर पर विचार करने के बाद लगाए गए अतिरिक्त प्रतिबंधों की समीक्षा और संशोधन करें या उन्हें ख़त्म करें ””बीते महीनों में कोविड के मामलों में ज़बर्दस्त उछाल को देखते हुए कुछ राज्यों ने अपनी सीमाओं और हवाई अड्डों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए थे. कोविड -19 की सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटना ज़रूरी है, लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियों को राज्य स्तर पर अतिरिक्त प्रतिबंधों से बाधित नहीं होने दिया जाए. ”

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