: विकास दुबे एनकाउंटर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसियेशन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाया : सवाल जजों की साजिशों का है या बार एसोसियेशन की करतूतों पर : 11 को इलाहाबाद आ रहा है चौहान-कमीशन :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कानपुर के अपराधी विकास दुबे और उसके करीब आधा दर्जन साथियों के तथाकथित फर्जी एनकाउंटर का भभका अब इलाहाबाद बार एसोसियेशन को बेहाल करने लगा है। यहां की बार एसोसियेशन ने इस बहुचर्चित विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच करने आ रहे जस्टिस बीएस चौहान आयोग के साथ ठीक उसी तरह का व्यवहार करने का ऐलान किया है, जैसा गोरी-हुकूमत के दौर में सायमन-कमीशन के साथ किया गया था। यानी जस्टिस चौहान ! गो बैक।
इलाहाबाद बार एसोसियेशन की आज हुई एक बैठक में यह फैसला किया गया। आपको बता दें कि विकास दुबे एनकाउंटर के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया था कि इस कांड में हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और बार एसोसियेशन के लोगों की भूमिका को जांच लिया जाए। इसी परिप्रेक्ष्य में जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में गठित चौहान कमेटी इसी जनवरी-21 की 11 तारीख को इसी मसले की जांच करने आ रही है।
इसी खबर से बार एसोसियेशन में हड़कंप मच गया है। आज हुई एक आपात बैठक में एसोसियेशन ने इस जांच कमेटी का बहिष्कार करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, बार की बैठक में जस्टिस के विभिन्न फैसलों और उनकी कार्यशैली पर कड़ी निंदा करते हुए उनको कुत्सित मनोविकृत व्यक्ति के तौर पर पेश किया है। बार ने फैसला किया है कि वह इस कमेटी के इलाहाबाद प्रवास कार्यक्रम का विरोध करेगा। लेकिन इसके बावजूद यह स्पष्ट नहीं किया इस बार ने इस विरोध का तरीका क्या होगा। बार ने यह तो कह दिया है कि इस मामले पर वह प्रदेश के अधिवक्ताओं को एकजुट करने जा रहा है, लेकिन इस इकजुटता का तरीका क्या होगा, बार एसोसिशेन खामोश है।
इतना ही नहीं, बार एसोसियेशन के इस फैसले में यह तो लिख दिया गया है कि जस्टिस चौहान का चरित्र वकीलों के खिलाफ रहा है, जो अब न्यायपालिका का विरोधी भी बनता जा रहा है, लेकिन इसका आधार क्या है, बार एसोसियेशन पूरी तरह खामोश है। बार ने यह भी नहीं कहा है कि बार एसोसियेशन के कतिपय पदाधिकारियों की संलिप्तता विकास दुबे को लेकर थी, उस का वह विरोध करना चाहते हैं या नहीं। बार ने एकतरफा यह भी फैसला कर लिया है कि सुप्रीम कोर्ट को किसी मसले की जांच कराने का अधिकार है या नहीं।
बार के एक पदाधिकारी ने अपना नाम नहीं छपाने की शर्त में बताया है कि जस्टिस चौहान कमीशन की इस जांच-यात्रा को न्यायपालिका के जजों पर ओढ़ा कर बार एसोसियेशन अपने बार-पदाधिकारियों की संलिप्तता को छिपाने की साजिश कर रहे हैं।