: 17 जुलाई-14 वाले मोहनलालगंज कांड में सच का चेहरा ही काला कर दिया था सिकेरा ने : लखनऊ और निर्भया कांड जैसी ही दरिंदगी हुई बदायूं में : रॉड या सब्बल गुप्तांग में ठूंसा गया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बदायूं में गैंगरेप और हत्या के अलावा दिल्ली के निर्भया-कांड जैसा वहशियाना कांड हुआ था लखनऊ में भी। बात है 17 जुलाई-14 की, जब राजधानी के मोहनलालगंज के एक सरकारी स्कूल में एक महिला की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गयी थी। शुरू से ही चर्चाएं शुरू हो गयी थीं कि यह हाईप्रोफाइल केस है, जिसमें सत्ता से जुड़े कई बड़े लोग भी शामिल हैं। तब उस हादसे की जांच में लगायी गयीं महिला सम्मान प्रकोष्ठ की अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल। उन्होंने घटना के बाद मौके पर जाने के बाद बयान दिया गया था कि इस हादसे में पांच से सात लोगों की संलिप्तता है।
हालांकि जल्दी ही पता चल गया कि सुतापा सान्याल को एक साजिश के तहत इस केस थमाया गया था, लेकिन वह केवल दिखावा के लिए। सच बात तो यही थी कि सुतापा सान्याल उस मामले में माउथ-पीस मात्र ही थीं। न उन्हें जांच का अधिकार दिया गया, और न ही उनसे कोई फीड-बैक ही लिया गया। केवल मेकअप पोते भोले-बबुआ की तरह सुतापा सान्याल को केवल शिखंडी की तरह सामने कर दिया गया था।
कहने की जरूरत नहीं कि उस समय अखिलेश यादव की सरकार थी, और नवनीत सिकेरा लखनऊ पुलिस के प्रमुख बने थे। शुरू से ही इस मामले की जांच संदेहों से घिरी रही। नतीजा यह हुआ कि इस मामले में एक व्यक्ति को सजा हो गयी, लेकिन उसके बाद यह किसी ने यह नहीं खोजने की कोशिश की, कि एक अकेले व्यक्ति एक महिला को ऐसी घिनौनी और असम्भव जैसी करतूत कर सकता है।
आपको बता दें कि निर्भया-कांड और बदायूं के हादसे की ही तरह लखनऊ के मोहनलाल गंज में यह हादसा हुआ था। बदायूं के उघैती थाना क्षेत्र तीन जनवरी की रात इस हादसे में 50 वर्षीय आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला के साथ निर्भया जैसी दरिंदगी का सबूत मिला था। गुप्तांग में रॉड जैसी कोई चीज डालने का मामला सामने आया था। उसकी बाईं पसली, बायां पैर और बायां फेफड़ा भी वजनदार प्रहार से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। महिला के प्राइवेट पार्ट में गंभीर घाव थे। काफी खून भी निकल गया था। रिपोर्ट में कोई लोहे की रॉड या सब्बल गुप्तांग में ठूंसे जाने की बात भी सामने आई।
दिल्ली के निर्भया कांड और मोहनलालगंज कांड में भी यही प्रताड़ना दी गयी थी। महिला की लाश स्कूल के प्रांगण में मिली थी। स्कूल और वहां मैदान में लगे इंडियामार्क-टू हैंडपम्प के आसपास और हैंडपंप के हत्थे पर भी खून सना हुआ था। जिस तरह उस महिला के गुप्तांग को क्षतिग्रस्त किया गया था, उससे साफ लग रहा था कि हैंडपंप के हत्थे को भी गुप्तांग में ठूंसा गया था।
निर्भया-कांड में तो दोषी लोगों को सजा मिल गयी, लेकिन लखनऊ के मोहनलालगंज वाले हादसे में नवनीत सिकेरा के नेतृत्व में पुलिस, प्रशासन, शासन और सत्ता की जितनी शर्मनाक संलिप्तता दिखायी गयी, वह लोकतंत्र और राजधर्म के विपरीत था।
गुरु वर।सादर साष्टांग दंडवत् प्रणाम्–
बहशियाना रेप कांडो को दबाने वालों
को सजा ईश्वर की अदालत मे तय है —
वो सब देख रहा है—-सब यही भुगतना तय है