बार ने बुलाया था जज को। खर्चा किसने और कितना किया ?

बिटिया खबर

: लखनऊ हाईकोर्ट के वकीलों में सुगबुगाहट भी है, और गुस्‍सा भी बेइंतिहा : सर्वोच्‍च न्‍यायालय के जस्टिस को राजभवन के बजाय एक बड़े होटल में टिकाने का मकसद क्‍या : इस प्रकरण के औचित्‍य पर नि:शब्‍द है अवध बार एसोसियेशन से, किसी भी सवाल का जवाब न अध्‍यक्ष नहीं दे रहे और न महामंत्री :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का संगठन है अवध बार एसोसियेशन। इस पर किसी को तनिक भी कोई ऐतराज नहीं। लेकिन इस पर हमेशा से ऐतराज उठता रहा है कि जब हाईकोर्ट में अधिकतम सात-आठ सौ ही प्रैक्टिसिंग एडवोकेट्स हैं तो अवध बार एसोसियेशन की सदस्‍य-संख्‍या पांच-सात हजार तक कैसे उचक जाती है।
तो इसी बार एसोसियेशन ने हाल ही अपने यहां एक कार्यक्रम के लिए सर्वोच्‍च न्‍यायालय के एक जस्टिस और कर्णाटक के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कई गणमान्‍य लोगों को आमंत्रित किया था। इस पर किसी को तनिक भी कोई ऐतराज नहीं। आखिर यह इस बार एसोसियेशन का निजी मामला है, कि वह जिसे, जब और कहां आमंत्रित करता रहे।
ठीक इसी तरह सर्वोच्‍च न्‍यायालय के जस्टिस को यह पूरा अधिकार है कि वह किसी के आमंत्रण को मानें, और वहां पहुंचें। ठीक उसी तरह कर्णाटक उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश को भी पूरा अधिकार है।
इस कार्यक्रम में पहुंचे गणमान्‍य लोगों को रात्रि-विश्राम का भी अधिकार है। लेकिन सवाल तो तब उठते हैं जब आमंत्रित लोगों पर आये खर्चों का भुगतान न सर्वोच्‍च न्‍यायालय प्रशासन करता है, न कर्णाटक उच्‍च न्‍यायालय प्रशासन और न ही उप्र राज्‍य सरकार अथवा लखनऊ हाईकोर्ट के न्‍यायाधिकारियों के लिए बना गेस्‍ट हाउस में उनके रात्रि-विश्राम के लिए आवभगत होती है। इनमें से किसी जगह न तो राजभवन, सरकार या हाईकोर्ट प्रशासन द्वारा आमंत्रित न्‍यायाधिकारियों को टिकाया जाता है। जाहिर है कि यह व्‍यवस्‍था एक बड़े होटल में होती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इस होटल में इन लोगों को टिकाने की तैयारी, उसका मकसद और इसका औचित्‍य क्‍या था। लेकिन चर्चाएं तो यह हैं कि इस होटल में आमंत्रित इन मेहमानों पर आये खर्चों का भुगतान अवध बार एसोसियेशन न भी नहीं किया।
इसी प्रकरण को लेकर लखनऊ हाईकोर्ट के वकीलों में भारी सुगबुगाहट है और जबर्दस्‍त गुस्‍सा है। यह नाराजगी केवल बार एसोसियेशन की कार्य-पद्यति, नेक-नियती और हिडन-एजेंडा पर है। वकीलों की चिंता वाजिब है कि जो भी हो, क्रिस्‍टल-क्लियर ही हो। वरना आरोप और प्रत्‍यारोपों की बारिश हो जाएगी और ऐसी हालत में बड़े शख्सियत लोगों पर छींटें पड़ने लगेंगी।
दोलत्‍ती डॉट कॉम के लिए हमने अवध बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष राकेश चौधरी और महामंत्री अमरेंद्रनाथ त्रिपाठी से इस बारे में उठ रहे गुस्‍सा-जनित सवालों पर हकीकत और औचित्‍य पर कतिपय जानकारियों चाही थी, लेकिन वाट्सऐप पर अनुरोध करने के बावजूद न तो राकेश चौधरी ने और न ही अमरेंद्रनाथ त्रिपाठी ने परिस्थितियों पर अपना स्‍पष्‍टीकरण देने की जरूरत ही नहीं समझी। हैरत की बात है कि इन लोगों ने फोन रिसीव नहीं किया। दोलत्‍ती डॉट कॉम द्वारा अवध बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष राकेश चौधरी और महामंत्री अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी के वाट्सऐप नम्‍बरों ने अपनी जिज्ञासाएं भेजी थीं, जिन पर पूछे गये प्रकरण निम्‍नवत हैं:-
मैं एक पत्रकार हूं, और आपके बार एसोसियेशन से संबंधी कतिपय सूचनाएं चाहता हूं।
यह प्रकरण सर्वोच्‍च न्‍यायालय के जस्टिस की विगत लखनऊ यात्रा को लेकर है, जिसका आयोजन आपके एसोसियेशन ने था।
1- उस यात्रा के दौरान रात्रि-विश्राम राजभवन अथवा राजकीय अतिथि गृह के बजाय एक निजी बड़े होटल पर टिकाने का औचित्‍य क्‍या था ?
2- उस यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम, भोजन आदि का व्‍यय अवध बार एसोसियेशन द्वारा प्रस्‍ताव किये जाने का औचित्‍य क्‍या था ?
3- उस उपरोक्‍त यात्रा के व्‍यय का भुगतान सर्वोच्‍च न्‍यायालय, राजभवन, उप्र सरकार, हाईकोर्ट प्रशासन अथवा अवध बार एसोसियेशन द्वारा किये जाने के बजाय यह व्‍यय अवध बार एसोसियेशन के एक पदाधिकारी द्वारा करने का औचित्‍य क्‍या था ?
4- जब यह कार्यक्रम अवध बार एसोसियेशन द्वारा किये जाने का प्रस्‍ताव था, तो उसका भुगतान बार एसोसियेशन द्वारा नहीं किये जाने का औचित्‍य क्‍या था ?
5- किसी न्‍यायाधीश को बार एसोसियेशन के बजाय किसी पदाधिकारी के अपने निजी जेब से व्‍यय करना क्‍या अनुचित और कदाचार की श्रेणी में आता है अथवा नहीं ?
अपने वाट्सऐप मैसेज पर भेजने के साथ ही मैंने लिखा था कि मुझे विश्‍वास है कि आप उपरोक्‍त विषय पर निम्‍न जानकारियां अविलम्‍ब उपलब्‍ध करा देंगे। लेकिन इस पर रिमाइंडर भेजने पर भी न तो अध्‍यक्ष राकेश चौधरी ने कोई जवाब दिया और न ही महामंत्री अमरेंद्रनाथ त्रिपाठी ने इस बारे में कोई सांस भी लेनी की तनिक भी कोई जरूरत समझी।

लेकिन दोलत्‍ती डॉट कॉम इस मसले को खंगालने और भीतरी खबरें निकालने की लगातार कोशिश करता ही रहेगा।

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