बलरामपुर अस्‍पताल में झूम के चली नौटंकी, तख्‍तेताऊस झटकने की

सैड सांग

: जिसने रिटायरमेंट की अर्जी लगायी थी, उसे निदेशक बना दिया : बिना पैसा उगाहे कोई भी ऑपरेशन नहीं करने वाले सिद्दीकी को स्‍वास्‍थ्‍य विभाग भेजा गया : एके गुप्‍ता ने किया तो बहुत हंगामा, लेकिन पूर्व-मुख्‍यमंत्री के बेटे की ही चल पायी : किस्‍सा बलरामपुर अस्‍पताल का- एक :

कुमार सौवीर

लखनऊ : विगत दिनों एक बेमिसाल नौटंकी का आयोजन हुआ। रंगमंच बना एक बड़ा अस्‍पताल का विशाल परिसर। इस नौटंकी की कहानी थी अस्‍पताल में राजगद्दी यानी रूतबा झटकने की। बड़े-बड़े कलाकार उसमें शामिल हुए। ऊंचे-ऊंचे डॉयलॉग बोले गये, गड़गड़उव्‍वा नगाड़े बजे, धारदार तलवारें चमकायी गयीं। कोई घायल हुआ, कोई मलहम लगाने चला गया, तो कोई तख्‍त-ए-ताऊस से उतार दिया गया, कोई अपना हक जताते-जताते शहीद हो गया, तो जो मैदान छोड़कर खिसक गया था, उसके पक्ष में कई अक्षौहिणी सेनाएं सहायता करने पहुंच गयीं। झमाझम शमशीरें चलीं, और कुछ महारथियों को शहीद-ए-आजम बना दिया गया। तो फिर क्‍या, फिर हुआ यह कि यह मैदान छोड़ कर दुबक चुका राजकुमार फिर लौट आया, और गाजा-बाजा-ढोल-ताशों के बीच उसे राजगद्दी पर विराजमान करा दिया गया।

उसके बाद नगाड़े पर डंडियां नचायी गयीं। कुड़-कुड़ झम्‍मर-झम्‍मर।

जी हां, इस जबर्दस्‍त नौटंकी का जोरदार मंचन हुआ राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्‍पताल में। अवध के प्रमुख राजमहल के एक राजा ने जन-कल्‍याण के लिए अपनी करीब एक सौ एकड़ जमीन का न सिर्फ दान ही किया, बल्कि उस पर एक बड़ा अस्‍पताल भी बनवा कर दान कर दिया। उस राजघराने के नाम पर ही इस अस्‍पताल के नामकरण हुआ:- बलरामपुर अस्‍पताल। आज हालत यह है कि यह अस्‍पताल प्रदेश के चंद प्रमुख अस्‍पतालों में शुमार है, जहां अत्‍याधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्‍सक मौजूद हैं। यह दीगर बात है कि यहां कुल 98 डॉक्‍टरों के स्‍वीकृत पदों के विपरीत कुल 78 डॉक्‍टर ही तैनात हैं। लेकिन यह अस्‍पताल है लाजवाब।

लेकिन हाल ही यहां जमकर नौटंकी हुई। यहां निदेशक थे डॉ ईयू सिद्दीकी। खासे कुशल सर्जन माने जाते हैं सिद्दीकी। लेकिन कुछ लोगों का आरोप है कि बिना पैसा उगाहे वे किसी भी मरीज को हाथ तक नहीं लगाते हैं डॉ सिद्दीकी। वैसे ठीक यही आरोप तो लोग डॉ राजीव लोचन को लेकर भी बताते हैं। मगर फर्क यह है कि सिद्दीकी का लहजा काफी मृदु होता है, जबकि राजीव शॉर्ट-टेम्‍पर्ड।

बहरहाल, अचानक सिद्दीकी को पद से हटा कर स्‍वास्‍थ्‍य भवन स्थित मुख्‍यालय में राष्‍ट्रीय कार्यक्रम में निदेशक के तौर पर भेज दिया गया। सूत्र बताते हैं कि यह तबादला भाजपा की रणनीति के तहत हुआ था। वजह थे डॉक्‍टर राजीव लोचन, जो भाजपा सरकार में एक मुख्‍यमंत्री रह चुके रामप्रकाश गुप्‍ता के पुत्र हैं। राजीव लोचन ने अपनी पूरी जिन्‍दगी इसी अस्‍पताल में निपटायी। लेकिन हाल ही उन्‍हें विधायक बनने का शौक चर्राया। उन्‍हें लगा कि भाजपाइयों के दिल-दिमाग में रामप्रकाश गुप्‍ता की स्‍मृतियां बची होंगी। ( क्रमश:)

यूपी के मशहूर और अति विशिष्‍ट अस्‍पतालों में शुमार किये गये बलरापुर अस्‍पताल में आजकल हंगामा चल रहा है। मामला है यहां के निदेशक के पद पर राजीव लोचन को बिठाने के लिए सारी नीति और शुचिता को ठोकर मारना। इस मामले में चार वरिष्‍ठतम डॉक्‍टरों को जिस तरह इस अस्‍पताल से घर-बदर किया गया, उसे डॉक्‍टरों में खासी नाराजगी है। प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम इस मामले में तीन किश्‍तों में खबर तैयार कर रही है। यह है पहला अंक। इसके अन्‍य अंकों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

पॉलिटिकल मुंहनोंचवा

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