: अपने हाथों में कालिख मल कर अपने ही चेहरा काला करने पर आमादा है जौनपुर के पत्रकार : 1090 कैम्प नाच और नाटक तो खूब हुआ, मगर महिलाओं के अत्याचार पर एक भी सवाल नहीं उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाये पत्रकार : पत्रकारों में साहस नहीं, लेकिन एक पत्रकार की नवजात बच्ची ने कर दिया था जुल्फी पर पेशाब : अगर यही तुम्हारी पत्रकारिता है, तो तुम पर थू :
कुमार सौवीर
जौनपुर : 17 फरवरी-16 की शाम जौनपुर में एक 17 साल की बच्ची पुलिस चौकी के पास बेहोशी की हालत में बरामद हुई। राहगीरों ने कह कर उस बच्ची को एक रिक्शेवाले से कह कर अस्पताल भिजवा दिया। सूत्र बताते हैं कि उस बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। इस बात की भी आशंका जतायी गयी थी कि यह जघन्य अपराध जिले के भी कुछ बेहद प्रभावशाली लोगों की करतूत थी।
खैर, अस्पताल प्रशासन ने उस बच्ची के अस्पताल में आने की खबर पुलिस को भेजी, लेकिन जौनपुर की बेशर्म और बेईमान पुलिस ने इस बच्ची की रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की। जब मैंने आईजी एसके भगत से फोन पर कहा तो उन्होंने वायदा किया कि यह रिपोर्ट दर्ज होगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। एसपी ने कहा कि वे इसमें कुछ करेंगे। लेकिन कुछ नहीं किया। लेकिन जब www.meribitiya.com नामक मेरे न्यूज पोर्टल ने इस मामले पर ताबड़तोड़ खबर प्रकाशित कीं, तो जौनपुर के जुल्फी प्रशासन ने उस बच्ची को वाराणसी के पागलखाने में भेज दिया। वह तो गनीमत रही कि पागलखाना के डॉक्टरों ने साफ पाया कि वह बच्ची पागल नहीं है। लेकिन जौनपुर प्रशासन ने पागलखाना प्रशासन पर दबाव डालना शुरू किया तो पागलखाने के डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि वे केवल उसी शर्त में उस बच्ची को भर्ती करेंगे, जब ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट इस बारे में आदेश देगे।
बस, इस मसले पर जब www.meribitiya.com ने जोरदार हस्तक्षेप किया, तो जौनपुर प्रशासन सनाका खा गया। उसकी दिक्कत यह थी कि अगर वे उस बच्ची का मामला अदालत तक पहुंचाते तो सवाल उठते कि उस बच्ची को लेकर एफआईआर दर्ज कहां है। क्योंकि वह रिपोर्ट तो दर्ज ही नहीं की थी पुलिस ने। इसका समाधान किया जौनपुर के जुल्फी के नाम से कुख्यात प्रशासन ने। उसने तय किया कि इस बच्ची को अब पागलखाने के बजाय, उसे सीधे बनारस के नारी निकेतन भेज दिया जाए।
लेकिन यह तो जौनपुर के बेशर्म प्रशासन और पुलिस की बात है। यहां की पत्रकारिता और उसके पहुरूए खुद ही अपने हाथों में कालिख मल कर अपने ही मुंह में काला किये बैठे हैं। जो खबर है, उस पर कोई चर्चा नहीं। और जो फर्जी और दलाली की बातें हैं, उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर दिखाते हैं। अपने बाप से ज्यादा सम्मान और चरण-चुम्बन तो यह पत्रकार यहां के डीएम और एसपी को करते हैं। चाटुकारिता का सारे आयाम और सारी सीमाएं तोड़ने पर आमादा हैं जौनपुर के पत्रकार।
पूरी दुनिया भर को पता चल चुका है कि यूपी सरकार की महिला सम्मान योजना 1090 दो-कौड़ी की हो चुकी है, माखौल बन चुकी है। www.meribitiya.com ने इस पूरे सरकारी-प्रशासनिक नौटंकी की हकीकत खोजना शुरू किया तो पाया कि यह बाकायदा एक नाटक है, जिस पर बड़े अफसर माल काट रहे है, मौज ले रहे हैं। इस योजना का जिम्मा सम्भाले हुए है एक आईजी। एक ऐसा अफसर जिसने इस 1090 योजना का बंटाधार कर दिया। नाम है नवनीत सिकेरा।
हाल ही जौनपुर में में इस योजना की डींगे मारने के लिए नवनीत सिकेरा ने एक नौटंकी-नुमा शो आयोजित किया। जिसमें नाटक, नाच वगैरह भी हुआ। उबाऊ लेक्चर भी खूब हुए। विगत 17 फरवरी-16 को सड़क पर बेहोश पायी गयी बच्ची की रिपोर्ट दर्ज कराने के बजाय, उस निरीह बच्ची को पहले पागलखाना और फिर नारी निकेतन तक पहुंचाने के लिए अथक साजिश, अदम्य साहस, बेहिसाब मेहनत और निहायत गैरजिम्मेदारी का सफलतापूर्वक कर्म-कुकर्म करने वाले जिलाधिकारी भानुचंद्र भी वहीं मौजूद। लेकिन एक भी पत्रकार ने वहां मौजूद सारी डींगेंमार अफसरों से यह तक पूछने का साहस नहीं दिखाया कि जौनपुर में महिलाओं पर होने वाले मामलों पर पुलिस और प्रशासन ने क्या-क्या कार्रवाई की।
थू है जौनपुर के पत्रकारों तुम पर।
तुम कुछ नहीं कर सकते हो, यह तो समझ आता है। लेकिन तुम अपने ही जिले की बहन-मां-बेटी से जुड़े सवालों उछालने की भी मर्दानगी नहीं दिखा सकते हो तो तुम पर थू है। सब को पता है कि तुममें से अधिकांश लोग पत्रकार नहीं हैं, केवल दलाल हैं, विशुद्ध दलाल। लेकिन जो भी पत्रकार हैं, वे तो यह पहलकदमी ले सकते थे। या नहीं। और अगर तुम यह तक नहीं कर सकते हो तो थू है तुम पर। तुम्हारे बीच ही घुसा हुआ है एक घटिया शख्स, जो है तो सरकारी स्कूल का मास्टर, लेकिन आज तक स्कूल नहीं गया। पत्रकारिता की धौंस देकर अफसरों को अर्दब में लेता है। जन-समस्या पर कोई भी खबर लिखता, लेकिन नवनीत सिकेरा जैसे शख्स के 1090 कार्यक्रम की खबरें पूरी तत्परता से चांप दिया। वजह यह कि उसे केवल चरण-चुम्बन करने की ही अदा पता है। कैसे भी ऐसे पत्रकार हैं तुम्हारे यहां जो आज तक कोई खबर नहीं लिख पाया, लेकिन खुद को पत्रकार कहलाने की धमकी खूब देते रहते हैं।
अरे क्या एक भी असल पत्रकार नहीं है जौनपुर में जो इन दलालों की कलई खोल सके?
अगर नहीं, तो थू है तुम पर। (क्रमश:)
यूपी में महिलाओं-बेटियों के साथ हो रहे जघन्य अपराध और दुष्कर्म से निपटने से पुलिस और सरकार की कोशिशों की असलियत देखना चाहें तो क्लिक कीजिए : – अपराधियों की सरकार, अपराधियों के लिए सरकार