: मिशन पत्रकारिता नहीं, लात खाना:खिलाना है : जो आज दूसरों के गिरहबान में झांक रहे हैं, वे खुद बेईमानी में आकण्ठ डूबे हैं : रगों में खून नहीं, खनन का पैसा दौडता है इटावा की पत्रकारिता में :
दोलत्ती संवाददाता
इटावा : कुछ चंद पत्रकारों को छोड दिया जाए, तो सच यही है कि लेखनी के नाम पर कलंक बनती जा रही है इटावा की पत्रकारिता। हालत यह है कि यहां की पत्रकारिता के लम्बे हाथ इटावा के हर एक असरदार ओहदेदार तक पहुंच चुके हैं। सामाजिक बदलाव के लिए नहीं, बल्कि अपनी जेब को लगातार मजबूत करने के लिए। यहां के पत्रकार अब उस हर क्षेत्र में अपनी घुसपैठ कर चुके हैं, जहां थोडा:बहुत भी आर्थिक घुसपैठ की गुंजाइश है। लेकिन खनन जैसे सोने की चिडिया जैसा क्षेत्र माना जा चुका खनन का धंधा तो पत्रकारों के लिए लूट-खसोट का इलाका बन चुका है।
यहां के पत्रकारों ने फिलहाल सिर्फ मुलायम सिंह यादव का खानदान छोड रखा है। वजह है, इस खानदान का पुराना इतिहास और उनकी दया पर पलते-जलते पत्रकार-समुदाय के चूल्हे। इस खानदान ने यहां की पत्रकारिता को अपने अहसानों से लाद रखा है। इतना ही नहीं, इस खानदान की हनक भी यहां के पत्रकारों पर भी खूब है, जिसके चलते किसी भी पत्रकार उनकी जयजयकार लगाने के अलावा कोई दूसरा नारा लगा ही नहीं सकता।
लेकिन प्रशासन और पुलिस की गिरहबान झिंझोड देना इन पत्रकारों के लिए आसान शिकार बन जाता है। ऐसे पत्रकार लोग सरकारी अफसरों और खासकर पुलिसवालों के बगलगीर बन कर पुलिसवालों की पोस्टिंग का धंधा शुरू कर देते हैं। लेकिन इस धंधे में तनिक भी कोई रोडा बनने लगता है तो फिर यही पत्रकार उनकी छीछालेदर पर आमादा हो जाते हैं। जाहिर है कि इस हालत में पत्रकारों में खेमाबाजी भी खूब पनपती है।
लेकिन आजकल एक पत्रकार एक नयी दौर की पत्रकारिता का दामन पकड चुका है। यह है अकेली पत्रकारिता। बिना किसी खेमे में शामिल हुए, और बिना कोई खेमा बनाये इस पत्रकार ने यहां के पत्रकारों पर काफी हमला करना शुरू कर दिया है। हर एक पत्रकार को नोंचना, भौंकना और काटना इस पत्रकार की रणनीति का अंग है। इटावा की पत्रकारिता के यह तेवर आजकल चर्चा-ए-आम बताये जाते हैं।
एक पत्रकार बताते हैं कि हाल ही एक पूर्व पुलिस अधीक्षक से इस पत्रकार की खूब छनती थी। सुबह का कप से से लेकर शाम के ग्लास तक रोज टकराते थे एसपी बंगले पर। इन दोनों ने मिल कर कई तबादले किये-कराये। लेकिन एक दिन एक पुलिस चौकी के प्रभारी के तबादले को लेकर विवाद खडा हो गया। फिर क्या था, कप्तान के खिलाफ अभियान छेड दिया इस पत्रकार ने। आज एक जिले का कप्तान बन कर जा चुके इस अफसर के बारे में कहा जाता है कि उसने इटावा के इस पत्रकार से बडा कमीना अपनी जिन्दगी में कभी भी नहीं देखा।
आपको बता दें कि यह पत्रकार अभी दो बरस पहले अपनी ही करतूतों के चलते सरेआम पीटा गया था। खनन में जुडी गाडियों को पैसा उगाह कर छुडवाना इसका मूल धंधा है। इतना ही नहीं, आजकल तो इस पत्रकार ने इस धंधे में कई गाडियों को भी निजी तौर पर शामिल करा लिया है, जहां सीधे लेनदेन चल रहा है। लेकिन अपना अधिपत्य बना रखे, इसके लिए उसने दूसरे पत्रकारों को नंगा करने का अभियान छेड रखा है।