बी चंद्रकला: ईंट से ईंट बजा कर उगाहने वाली कलाकारी ?

बिटिया खबर

: सोशल मीडिया में सनसनी से कम नहीं थी चंद्रकला : कल पूर्णिमा थी, आज अमावस्या बन गयीं : हमीरपुर में अवैध खनन में इनकम टैक्स के फंदे में फंसी हैं बी चंद्रकला :

कुमार सौवीर
लखनऊ : चंद्रमा की खासियत यही है कि वह पूर्णिमा में तो हर ओर दमकती-चमकती दिखाई पड़ती है, लेकिन अमावस्या आते ही अपने प्रशंसकों को बुरी तरह मायूस कर डालीत है। ठीक यही हालत है आईएएस अफसर बी चंद्रकला की है, जो अपनी आधी नौकरी तक आम आदमी को लट्टू बना चुकी हैं। लेकिन आज इसी चंद्रकला की सारी चंद्र कलाएं अब अवसान पर हैं। उनका पूर्णिमा भाव अब अमावस्या की तरह आम जनता के साथ ही साथ पूरी ब्यूरोक्रेसी पर एक कालिख जैसी दिखने लगी है। हमीरपुर में कई बरस पहले जिलाधिकारी के तौर पर अपने तैनाती के चलते हुए अरबों-अरब के कथित खनन घोटालों में इनकम टैक्‍स विभाग ने बी चंद्रकला को फंदे में फांस लिया है। हालांकि चंद्रकला की असली कलई का असल खुलासा तो इनकम टैक्स की जांच के बाद ही चलेगा लेकिन फिलहाल तो चंद्रकला की चंद्र-किरणें अपनी लोकप्रियता के फलक से लापता हो चुकी हैं। चंद्रकला ने सोशल साइट्स पर अपने प्रशंसकों की जो अट्टालिका की तरह खड़ी की थी, वह रेत की बनी गगनचुम्‍बी इमारत एक क्षण में धूल-धूसरित हो चुकी है।
आपको याद होगा कि बुलंदशहर की एक महिला जिलाधिकारी ने शहर कि नगरपालिका की सड़कों पर बिछाई जा रहे ईंटों का जायजा लिया था। इस महिला डीएम ने एक ईंट से दूसरी ईंट को बड़ी आसानी से तोड़ दिया था, जैसे राम ने शिव-धनुष पिनाक को चकनाचूर कर दिया हो। चंद्रकला ने उस दौरान नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर सारे अफसरों को सरेआम लताड़ा था, धमकी दी थी कि आम आदमी के खजाने यानी सरकार के पैसे से चल रहे जन सुविधा वाले के कामों में अगर भ्रष्टाचार को तत्काल नहीं रोका गया तो सारे बेईमानों को वे जेल में ठूंस देंगी। लेकिन आज वही आईएएस अफसर बी चंद्रकला की करतूतों पर इनकम टैक्‍स के लोग छानबीन कर रहे हैं। खनन घोटालों में बेईमानी के कागजातों को लेकर इनकम टैक्स के चंगुल में फंसी हैं बी चंद्रकला। अब तक मिल रही खबरों के अनुसार उन पर आरोप है कि हमीरपुर में अवैध खनन पर उन्होंने डरावना भ्रष्टाचार किया और मोटी उगाही की थी।
बुलंदशहर में ईंट से ईंट बजाने के किस्से को बी चंद्रकला काफी चर्चित हो गई थीं। ईंट तोड़ अभियान का वीडियो लाखों में दिखाया गया था। बी चंद्रकला ने ने उसके बाद उस समय सभी सोशल मीडिया पर अपने कई पेज बनाए और उनकी हर फोटो लाखों-करोड़ों में लाइक की जाने लगी। हालत यहां तक पहुंची थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के पेज भी बी चंद्रकला की लोकप्रियता के सामने बौने बन गए थे।

लेकिन यह ईंट से ईाट बजाने की कवायद आम आदमी की लोकप्रियता तक भले ही शीर्ष पर पहुंच गई हो लेकिन सरकारी अफसरों में वै कुख्यात होने लगी थी। उस समय बुलंदशहर में तैनात एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने दोलत्‍ती रिपोर्टर को बताया था कि उस घटना के पहले जिलाधिकारी का हिस्सा हर विकास कार्य की फाइलों में 3 फ़ीसदी हुआ कर था लेकिन उस घटना के बाद इस कमीशन की रकम दोगुना यानी 6 प्रतिशत कर दी गई। हालांकि बाद में रोशन जैकब किसी भी विकास कार्य में कमीशन खोरी को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है।

खैर, बी चंद्रकला की छवि का ग्राफ तब गिरने लगा था जब उन्होंने दैनिक जागरण रिपोर्टर को खरी-खोटी सुनाई थी। हुआ यह कि एक युवक को अपने साथ सेल्फी करने के आरोप में बी चंद्रकला ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया था। बी चंद्रकला का कहना था कि वह अक्सर उनके कार्यालय में आ जाता था और उनसे सेल्फी खींच लाता था। इसी बात पर दैनिक जागरण ने बी चंद्रकला को फोन कर उनका पक्ष पूछने चाहा तो बी चंद्रकला भड़क गईं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर चाहो तो मैं तुम्हारे अखबार के लोगों से निपटने के लिए गुंडे-माफिया भिजवा दूं क्‍योंकि मेरे पास काफी गुंडे-माफिया मौजूद हैं। और वे सब तुम्हें तुम्‍हारी औकात में खड़ा कर सकते हैं। यह जागरण खबर छपी थी। अगले ही दिन। लेकिन उसके अगले दिन चंद्रकला ने अपनी बाकायदा गुंडागर्दी का प्रदर्शन करते हुए जागरण के कार्यालय के सामने नगर निगम का ट्रैक्टरों द्वारा जागरण के दफ्तर के सामने सड़क पर कूड़े का एक बड़ा पहाड़ खड़ा कर दिया।
दोलत्‍ती संवाददाता को कोई जानकारी नहीं है कि हमीरपुर में खनन के दौरान बी चंद्रकला ने क्या किया और क्या खाया। यह काम तो इनकम टैक्स के अधिकारी ही तय करेंगे जिन्होंने उनके घर और दफ्तर पर छापा मारा है। तभी तो पता चलेगा कि चंद्रकला ने क्या बोला और क्या काटा। लेकिन इतना जरूर है कि बी चंद्रकला एक बकैत अफसर की तरह व्‍यवहार करती रही हैं। आपको खूब याद होगा कि मथुरा के जवाहर बाग में जयगुरूदेव का एक करीबी चेला रामवृक्ष यादव के ढाई 3000 समर्थकों ने करीब 2 साल से उद्यान विभाग की 280 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा था। यह सारे हजारों लोग पूरे प्रशासनिक मशीनरी को कुचल-खत्म कर चुके थे। यह तब हुआ जब कि बगल में ही पुलिस अधीक्षक और पुलिस लाइन मौजूद थी। रामवृक्ष यादव लेकिन पुलिस या प्रशासन ने कोई भी एक्शन नहीं लिया। इतना ही नहीं, बिजली वालों ने जब उद्यान विभाग पर भारी बकाया बिजली बिल पर बिजली काट दी तो बी चंद्रकला लपक कर जवाहर बाग पहुंची और बिजली वालों को बुरी तरह फटकारते हुए कहा कि आइंदा ऐसा मत करना। और यह कर अपने सामने ही बी चंद्रकला ने बिजली का कनेक्शन दोबारा जुड़वा दिया। और रामवृक्ष यादव के दरबार में अपना माथा टिकाया था।
जाहिर है कि बी चंद्रकला की यह हरकत प्रशासनिक लचर का एक घटिया प्रदर्शन था और उसी से शाह पाए रामवृक्ष यादव के गिरोह ने वहां हाईकोर्ट के आदेश पर पहुंचे पुलिस पर हमला किया। जिस भिड़ंत में 31 लोग मौत के घाट उतारे गए। जिनमें एक अपर पुलिस अधीक्षक और एक थाना अध्यक्ष भी शामिल था। अगर उस समय बी चंद्रकला जैसे अधिकारियों ने रामवृक्ष के गिरोह को समर्थन, प्रश्रय और शह नहीं दिया होता तो शायद यह हादसा नहीं होता।

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