बेइज्जती से गुस्साईं और तमतमायी हुई हैं माला सिन्हा
मुम्बई : नई झक्कास अभिनेत्रियों की शोहरत, पैसा और अंदाज को देखकर पुरानी अभिनेत्रियों के मन में ईर्ष्या का भाव उमड़े तो इसमें हर्ज क्या है। ऐसी पुरानी शराबों को नयी बोतलें नहीं मिल पाती हैं तो कुछ तो मन-मसोस कर रह जाती हैं, तो बाकी अपनी भड़ास निकालने पर आमादा हो जाती हैं। पचास से साठ के दशक की सुंदर अभिनेत्री माला सिन्हा इन दिनों काफी गुस्सायी हुई हैं जिसके कारण उन्होंने प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अकादमी पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया है। वो दादा साहेब फाल्के अकादमी पुरस्कार देने वाली समिति से काफी नाराज हैं क्योंकि निमंत्रण पत्र पर माला सिन्हा का नाम नहीं था और ना ही उन्हें ठीक से आमंत्रित किया गया था।
गुस्सायीं माला सिन्हा ने कहा कि अगर मेरा अपमान करना ही था तो आयोजन समिति वाले मुझे थप्पड़ मार लेते इस तरह से बेइज्जती तो ना करते। मैंने किसी से अवार्ड के लिए भीख तो मांगी नहीं थी। अपने शोख अंदाज के लिए मशहूर माला सिन्हा का कहना है कि सम्मालन न देना बेहतर होता है, बजाय इसके कि किसी को सम्माोन के लिए बुलाना और फिर उसका अपमान करना। माला कहती हैं कि मेरे जीवन मैं ऐसा कभी नहीं हुआ, इसलिए मैं इस पर बेहद दुखी हूं।
माला सि्न्हा ने कहा कि समिति के चेयरमैन खुद घर आए थे और कहा था कि बतौर वयोवृद्ध कलाकार वह यह सम्मान ग्रहण करें। आपको बता दें कि माला सिन्हा को यह अवार्ड 30 अप्रैल को दिया जाना था। मालूम हो कि जिस समय माला सिन्हा को फाल्के आइकान सिने आर्टिस्ट अवार्ड देने का ऐलान हुआ था तो उस पर खुशी जताते हुए माला सिन्हा ने कहा था कि उन्हें इस बात के लिए चुना गया, इसके लिए वो सब का धन्यवाद देती हैं।
लेकिन उन्हें इस बात का हमेशा मलाल रहता है कि वो आज की अभिनेत्री नहीं हैं वरना आज उनके पास भी काफी अवार्ड होते, माला सिन्हा ने कहा कि आज का बॉलीवुड काफी एडवांस है और तकनीकी रुप से काफी स्मार्ट, आज की फिल्में बहुत जल्दी-जल्दी बन जाती हैं जबकि हमारे समय में फिल्म के बनने की गति काफी धीमी हुआ करती थी।
गौरतलब है कि माला सिन्हा ने हरियाली और रास्ता, प्यासा, गुमराह, धूल के फूल, मेरे हुजूर, हिमालय की गोद में, आंखे, मर्यादा, दो कलियां जैसी क्लासिक फिल्में दी है जो कि आज भी लोग टीवी पर देखना पसंद करते हैं।