चंद घंटे पहले टली मगन की फाँसी की सज़ा

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कुल्हाड़ी के प्रहार से पांच मासूम बेटियों का किया था कत्ल

जबलपुर : मध्यप्रदेश के सीहोर जिला निवासी पांच पुत्रियों के हत्यारे मगनलाल की फांसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फिलहाल टल गई है। जबलपुर केन्द्रीय जेल के अधिकारियों ने आज बताया कि मगनलाल को गुरुवार सुबह पांच बजे फांसी दी जानी थी और उसे फांसी देने सम्बन्धी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। इस बीच कल देर रात सुप्रीम कोर्ट से मगनलाल की फांसी पर अंतरिम रोक लगाने संबंधी आदेश मिलने पर फिलहाल इसे टाल दिया गया है। जबलपुर जेल प्रशासन को रात साढ़े ग्यारह बजे फांसी पर रोक का आदेश मिला। मगनलाल पर अपनी पांच मासूम बेटियों को कुल्हाड़ी से काट कर हत्या करने का जुर्म साबित हो चुका है.

मगनलाल को सीहोर जिले में पांच बेटियों की हत्या का आरोप साबित होने पर फांसी की सजा सुनाई गयी है। ऊपरी अदालतों से भी राहत नहीं मिलने पर उसे फांसी देने के लिए सीहोर से हाल ही में यहां के केन्द्रीय जेल में लाया गया। नाटकीय घटनाक्रम में पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विवेक तन्खा ने शाम को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम के यहां अर्जी लगाई। चीफ जस्टिस ने बंगले पर ही मामले की सुनवाई की और वहीं से देर रात फांसी पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी कर दिया। मगनलाल को गुरुवार सुबह फांसी दी जानी थी।

मगन को यह सजा अपनी ही पांच मासूम बेटियों का बेरहमी से कत्ल करने के आरोप में दी जा रही थी। मगन को सिहोर जिला सत्र न्यायाधीश ने फांसी की सजा सुनाई थी। मगन की माफी याचिका मप्र हाईकोर्ट जबलपुर के बाद सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली ने भी खारिज कर दी थी। मगन को फांसी देने के लिए लखनऊ का जल्लाद अहमद शहर भी पहुंच चुका था। अहमद वही शख्स है, जिसने आतंकी अजमल कसाब को फांसी पर लटकाया था। मगनलाल जबलपुर सेंट्रल जेल में बने तख्ते पर लटकने वाला 235वां कैदी होता। बुधवार को जेल प्रशासन ने मगनलाल के पुतले रामसिंह को फांसी देकर रिहर्सल भी कर ली थी।

23 जुलाई, 2013 को राष्ट्रपति द्वारा मगन की दया याचिका खारिज कर दी थी। जेल प्रशासन ने फांसी देने की तैयारियां पूरी कर ली थी। बुधवार को मगन का मेडिकल परीक्षण कराकर उसे सुरक्षित वार्ड में रखा गया था। उसकी फांसी की कार्रवाई के लिए लखनऊ से जल्लाद अहमद को भी यहां बुलाया जा चुका था। उसने मगन के पुतले को फांसी देने की कवायद भी पूरी कर पूरी तैयारियों को आखिरी नतीजे तक पहुंचाने को चेक कर लिया था।

योजना के मुताबिक, मगनलाल को गुरुवार को नींद से जगाया जाता। दैनिक क्रियाओं के बाद उसे नहलाकर नए वस्त्र पहनाए जाते। फिर गीता का पाठ सुनाया जाता। इसके बाद मगन को फांसी के तख्ते पर ले जाकर जेलर उसे बेटियों को मारने से लेकर फांसी की सजा सुनाए जाने तक की दास्तान चार्जशीट पढ़कर सुनाते। इसके बाद उसे फंदे पर लटका दिया जाता।

मगनलाल ने अपनी दो पत्नियों से संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद 11 जून, 2010 को शराब के नशे में दो साल से छह साल तक की उम्र की अपनी पांच बेटियों को कुल्हाड़ी से काट डाला था। बेटियों को मारने के बाद मगन ने खुद भी फांसी लगाने का प्रयास किया था, लेकिन गांव वालों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था।

यह मामला 11 जून, 2010 का है. पुलिस की चार्जशीट के अनुसार मध्य प्रदेश के सीहोर ज़िले के इछावर ग्राम निवासी मगनलाल ने अपनी पांच बेटियों छह साल की फुलकुंवर, पांच साल की सविता, चार साल की लीला, चार साल की आरती और दो साल की जमुना की कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी थी. यह अपराध उसने तब किया था जब उसकी दो पत्नियां संता बाई और बसंता बाई मजदूरी करने घर से बाहर गई हुई थीं.

चार्जशीट के अनुसार मगनलाल शराब पीने का आदी था और वारदात को अंजाम देते वक्त भी वह नशे में था. बेटियों को मारने के बाद उसने खुद भी पेड़ से लटककर जान देने की कोशिश की थी, लेकिन गांववालों ने उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया. तीन साल में एक के बाद एक सभी अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद राष्ट्रपति ने 22 जुलाई को उसकी दया याचिका ठुकरा दी थी. इसके बाद उसकी क्लिक करें फांसी की सजा के लिए 8 अगस्त की तारीख मुकर्रर की गई थी.

अखिलेश तोमर, जेल अधीक्षक, जबलपुर सेंट्रल जेल ने बताया कि “हमें रात साढ़े ग्यारह बजे कोर्ट का स्टे मिला, इसलिए फांसी रोकनी पड़ी” जेल अधीक्षक तोमर के मुताबिक, “हमें रात साढ़े ग्यारह बजे कोर्ट का स्टे मिला, इसलिए फांसी रोकनी पड़ी.” उनका कहना है कि आगे कोर्ट का जो भी आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी रोकने का आदेश बचाव पक्ष की उस अर्जी पर दिया जिसमें यह दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही सुनवाई पर मगनलाल की अपील खारिज कर दी थी.जबलपुर के जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर बताते हैं कि मगनलाल को 25 जुलाई को सीहोर जेल से जबलपुर जेल लाया जा चुका था.

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