न, न। अखिलेश की यह अपनी नई इमेज बिल्‍डअप करने की कवायद हर्गिज नहीं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: स्‍तुत्‍य हैं अखिलेश, सरकार ने यूपी को अपराध की राजधानी में तब्‍दील किया है : अखिलेश सरकार ने हर वह काम पूरी ताकत से किया, जिसका कानून अपराध मानता है : बलात्‍कार, हत्‍या और अराजकता से कांपता रहा है यूपी : अवैध कब्‍जे और अपराधियों का समर्थन तो सपा का संवैधानिक अधिकार बन चुका :

कुमार सौवीर

लखनऊ : लेकिन इसमें मुलायम सिंह यादव की सरलता का मामला है, मुलायम सिंह ऐसे शख्‍स का नाम है जिसमें सरलता का लेशमात्र भी नहीं है। मुलायम एक खांटी नेता है और बिना फूंके हुए अपना एक भी कदम नहीं उठाते हैं। पूरा इतिहास है मुलायम सिंह का, जिसमें उन्‍होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से एक इंच भी कदम नहीं उठाया। वह सिद्धांत केवल अपने करीबियों को लाभ पहुंचाने का ही रहा है। हमेशा। भले ही वह शख्‍स कुख्‍यात अपराधी हो या फिर सिर से बेईमान, दुराचारी। आम आदमी के हितों के सवर्था प्रतिकूल ही रही हैं मुलायम सिंह की ऐसी तथाकथित नीतियां और सिद्धांत। उनके करीबियों ने जिन लोगों का साथ किया, वे अधिकांश अपराधिक छवि के रहे हैं। वजह है कि मुलायम सिंह यादव केवल अपराध की राजनीति और अपराध से जुड़े लोगों के ही नेता बन कर रह गये। लेकिन इसमें उनकी सरलता नहीं, बल्कि अपने लोगों के प्रति उनकी निष्‍ठा ही शामिल रही है। आप इस हालत को उनकी अपराध के प्रति समर्पण भी मान सकते हैं।

और फिर ऐसी हालत में अपने इस अटूट समर्पण के चलते कोई शख्‍स सरल कैसे हो सकता है। ऐसे में रामगोपाल सिंह का यह बयान समझ में नहीं आता।

अब अखिलेश यादव के ताजा फैसलों पर गौर कीजिए। क्‍या आपके मन में यह सवाल नहीं उठ रहे  हैं कि अचानक अखिेलेश ने मुख्‍तार अंसारी का विरोध क्‍यों शुरू किया। केवल सपा ही नहीं, यूपी की सारी राजनीति जानती है कि मुख्‍तार चाहे सपा में रहें या फिर सपा से बाहर, वह बाहुबली केवल सपा और मुलायम सिंह यादव के लिए ही काम करता है। इसी एवज में मुख्‍तार अंसारी बन्‍धुओं को पूरे प्रदेश में प्रशासनिक संरक्षण मिलता है। ऐसी हालत में सपा से मुख्‍तार की दूरी केवल दिखावा भर ही है। वैसे भी, अखिलेश-सरकार ने हमेशा अपराधियों के लिए काम किया है। पूरे प्रदेश का बच्‍चा-बच्‍चा जानता है कि अखिलेश-सरकार तो वाकई दुर्दान्‍त अपराधियों की शरणस्‍थली थी। इस सचाई का अहसास अखिलेश को भी खूब पता था।

इतना ही नहीं, मूलत: अपराधी गोंडा का पंडित सिंह रहा हो, कुशीनगर का या फिर शाहजहांपुर का राममूर्ति वर्मा, उन सब को अपराध से छुड़ाने के लिए अखिलेश सरकार ने हर चंद कोशिशें की हैं। चाहे लखनऊ के मोहनलालगंज में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्‍कार के बाद उसकी रक्‍तरंजित लाश की बरामदगी का मामला हो, बाराबंकी के एक थाने एक महिला से बलात्‍कार से नाकाम कोशिश के बाद उसे जिन्‍दा फूंक डालने का मामला हो, शाहजहांपुर में जाबांज पत्रकार जागेंद्र सिंह को मंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर हां के कोतवाल श्रीप्रकाश राय द्वारा छापामारी के नाम पर पेट्रोल डाल कर उसे जिन्‍दा मार डालने जैसा नृशंस हत्‍याकांड रहा हो, अखिलेश यादव ने ऐसी हर घटना पर झूठ का परदा डाला है और न्‍याय की चिन्दियां बिखेर डाली हैं। बुलंदशहर का रेप-कांड अखिलेश सरकार की ऐसी अपराध-समर्थक और अराजक नीतियों का ही नतीजा रहा है। ऐसी हालत में आने वाले चुनाव में सपा और अखिलेश यादव अपने-अपने किस-किस चेहरे को लेकर जनता के पास जाएंगे। अपराध के प्रति सम्‍पूर्ण आस्‍था, झूठ और आने वाले भविष्‍य में होने वाली अमिट स्‍याही को जनता पहचान ही लेगी।

ऐसे में अगर अखिलेश यादव को यह भ्रम है कि यूपी में उनकी इमेज को नये तरीके से बिल्‍डअप करने की उनकी ऐसी बचकानी कवायदों को भूल कर अगले चुनाव में जनता तालियां पीटना शुरू कर देगी तो तो वाकई अखिलेश यादव बहुत भोले हैं। या फिर उनकी यह सारी कोशिशें अगर अगले साढ़े पांच साल के लिए तैयार की जा रही हों, तो यह दीगर दलील हो सकती है।

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