पूर्वांचल यूनिवर्सिटी: लूटमार पर झंझट, रजिस्‍ट्रार छुट्टी पर भागे

दोलत्ती

: विदाई-बेला में अवैध नियुक्तियां करने पर बेताब कुलपति ने प्रोफेसर को रजिस्‍ट्रार बनाया : पांच सौ करोड़ खर्च कर दिया डाला तीन साल में कुलपति आरआर यादव ने :
दोलत्‍ती संवाददाता
जौनपुर : वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पढ़ाई-लिखायी और यूनिवर्सिटी की प्रतिष्‍ठा भले ही रसातल में धंसती जा रही हो, लेकिन यहां भ्रष्‍टाचार और लूटमार का माहौल वाला ग्राफ बेहिसाब उचकता जा रहा है। ताजा मामला है दर्जनों अवैध नियुक्तियां, बड़े अनावश्‍यक निर्माणों का भुगतान और उसको लेकर शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की परस्‍पर लाग-डाट। खबर है कि दो दिन पहले ही कुलपति और रजिस्‍ट्रार में खूब झंझट हुआ। कारण था कुलपति के एजेंडे पर रजिस्‍ट्रार द्वारा दस्‍तखत न करना। काफी देर झगड़ा होने के बाद रजिस्ट्रार अवकाश पर चले गए हैं।
तीन महीना का एक्‍सटेंशन भी हासिल कर चुके पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरआर यादव के कार्यकाल का यह अंतिम महीना चल रहा है। नए कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया राजभवन में तेजी से चल रही है। लेकिन बताते हैं कि कुलपति कुर्सी पर अपने ओहदे की आखिरी सांसें ले रहे कुलपति आरआर यादव आनन-फानन अपना एजेंडा निपटाने की आपाधापी में हैं। सूत्र बताते हैं कि आजकल अनर्गल और अनीतिपूर्ण निर्णयों में वह फिर से सक्रिय हो गए है। बताते हैं कि अपनी इसी फुर्ती पर रोड़ा बनने वाले हर अधिकारी को किनारे पर लगाने पर आमादा हैं।
लेकिन हैरत की बात है कि रजिस्‍ट्रार सुजीत कुमार जायसवाल के छुट्टी पर जाने के बाद कुलपति ने उनका कार्य-भार परीक्षा-नियंत्रक को सौंपने के बजाय इंजीनियरिंग के प्रमुख प्रो बीबी तिवारी को सौंप दिया है। परीक्षा-नियंत्रक का पद रजिस्‍ट्रार के समतुल्‍य होता है। ऐसे में रजिस्ट्रार के अचानक छुट्टी पर चले जाने से विश्वविद्यालय परिसर में कर्मचारियों और शिक्षकों के बीच चर्चाओंका बाजार बहुत गर्म है।
विश्वविद्यालय के सूत्रों ने बताया कि इस समय रजिस्ट्रार के छुट्टी पर जाने के पीछे का मामला लॉकडाउन के दौरान पुरानी तारीखों में विभिन्न संस्थानों और विभागों में की गई अवैध नियुक्तियाँ और निर्माण एजेंसियों को मनमाने भुगतान को लेकर है। कुलपति प्रोफेसर आरआर यादव द्वारा लॉकडाउन में गोपनीय तथा नियम कानून को ताक पर रख कर अपने परिचितों की बड़े पैमाने पर नियुक्तियाँ कर दी गई हैं। बताते हैं कि कौशल विकास केंद्र में तीन, टेप्‍यू में चार और एनएसएस में चार पदों को प्रो अवैध रूप से विश्वविद्यालय में खपाने की फिराक में हैं। इसके पहले दिसम्‍बर-18 में छह लैब असिस्‍टेंट, छह डाटा इंट्री और तीन वरिष्‍ठ सहायक के पदों को भी अवैध रूप से खपाने का मामला तूल पकड़ा था। उस समय कर्मचारी संघ के अध्‍यक्ष रामजी सिंह ने कुलपति से काफी तगड़ा मोर्चा खोला था। लेकिन अपनी चलाचली की बेला में प्रो यादव अपने पर इन पदों को न्‍यौछावर कर देने पर आमादा हैं। रजिस्‍ट्रार से हुआ ताजा इसी क्रम में देखा जा रहा है।
इतना ही नहीं, पिछले तीन बरस के अपने कार्यकाल में आरआर यादव ने यूनिवर्सिटी का खजाना बाकायदा लूट के स्‍तर पर खर्च किया है। करीब पांच सौ करोड़ रूपये। इसमें अनावश्‍यक और अवैध रूप से बनाया गया परीक्षा मूल्‍यांकन केंद्र और यूनिवर्सिटी की बाउंड्री-वाल का निर्माण खास चर्चित है। बताते हैं कि पिछले रजिस्‍ट्रार की मौत का मूल कारण यहां के कुलपति की कार्यशैली भी रही है। बहरलाल, ताजा घटनाक्रमों ने विश्‍वविद्यालय के परिसर को बेहिसाब गरमा दिया है। अपने चहेतों को शिक्षकों की कुर्सी थमाने का भी खासा विवादित रहा। रजिस्‍ट्रार सुजीत कुमार जायसवाल का अवकाश पर चला जाना प्रो यादव की इसी कवायद का अहम कदम माना जा रहा है।
झगड़ा प्रशासन इन नियुक्तियों को बिना रजिस्ट्रार के दस्‍तखत के जारी नही कर सकता था। इन नियुक्ति पत्रों पर हस्‍ताक्षर के लिए कुलपति ने रजिस्ट्रार सुजीत कुमार जायसवाल पर अधिक दबाव बना दिया था। रजिस्ट्रार अपने को फंसता देख इस प्रकरण से किनारा करने के लिए छुट्टी लेकर इस इन सभी प्रकरणों से पीछा छुड़ा लिया है। सूत्रों ने बताया कि आज नए रजिस्ट्रार का चार्ज किसी अन्य अधिकारी को दिया जाएगा लेकिन विश्वविद्यालय का कोई अधिकारी चार्ज लेने को तैयार नही है क्योंकि जो भी रजिस्ट्रार का चार्ज लेगा उसी से सभी नियुक्तियों पर हस्ताक्षर कराए जाएंगे।
इस संबंध में कई बार कुलपति और रजिस्ट्रार से फोन पर सम्‍पर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनका फोन नहीं उठाया गया।

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