बहुत निर्बल हैं जिला पंचायत अध्‍यक्ष, इसीलिए दबंगों की भौजी बन गयीं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: कुर्सी है पिछड़ी जाति वाली महिला की, पर ठाकुर साहब का खानदान धन्‍य हो गया : रिटायरमेंट में लटके डीएम-एसपी को केवल जुगाड़ से मतलब, जहां गड़बड़ देखते हैं, कन्‍नी काट लेते हैं : जिनके पूर्वजों ने जिन्‍दगी भर अमेठी में हमेशा हारने का रिकार्ड बनाया, वे उनके आश्रित लोग मजलूमों के बल पर चाट रहे हैं मलाई : गांधी के सुराज का असली विद्रूप देखना हो तो अमेठी आइये :

कुमार सौवीर

अमेठी : अवध की गलियों और खलिहानों में अक्‍सर यह कहावत-लोकोक्ति सुनने को मिल जाती है कि:- कुर्सी पायीं गरीबन माई, मगर अब मजा लूट रहे हैं रंगरेजवा फदाली भइया।

लेकिन इस कहावत को अब पहली बार चरितार्थ किया जा रहा है अमेठी में। यहां जिला पंचायत अध्‍यक्ष की कुर्सी भले ही पिछले दस साल से पिछड़ी पिछ़डी जाति की महिला को मिली हो, लेकिन इस सत्‍ता की असली चाशनी एक दबंग परिवार चाट रहा है। हालत यह है कि इस दबंग परिवार के सारे चंगू-मंगू यहां की जिला पंचायत के रूतबे को अपने खाते में लूट चुके हैं।

यहां के विधायक हैं राकेश प्रताप सिंह। समाजवादी पार्टी के एमएलए हैं। लेकिन इतिहास  के पन्‍नों पर पड़ी धूल को फूंक-झाड़ कर सचाई खोजने में आपको ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगेगा। आपको साफ पता चल जाएगा कि राकेश प्रताप के पिता गौरी गंज में अपने गांव मऊ की प्रधानी तक नहीं जीत पाये थे। लेकिन उसके बाद राकेश प्रताप सिंह यहां विधायक बन गये। राकेश के भाई मुकेश प्रताप सिंह जिला पंचायत सदस्‍य बन गये। मुकेश की पत्‍नी सीलम सिंह भी डीडीसी जीत गयीं। इसके बाद से तो इस खानदान में राजनीति की फसल ही लहलहाने लगी।

उधर एक बेहद गरीब और किसान मौर्य जाति के जयदेव मौर्य पर नजर यहां के बलशाली लोगों की पड़ी। उन्‍होंने जगदेव परिवार को अपने घर में प्रश्रय दिया और दो बीघा जमीन बोने-खाने के लिए दे दी। बाद में जब अमेठी के जिला पंचायत की सीट पिछड़ी जाति को मिल गयी तो यहां के राजनीति-कामी लोगों ने जयदेव मौर्य की पत्‍नी शिवकली मौर्य को चुनाव लड़ा दिया। अब किस्‍मत देखिये न, कि इस आसान सी लड़ाई में शिवकली जीत गयीं।

यहां के एक बेहद असरदार शख्सियत ने बताया कि इसके बाद राकेश प्रताप सिंह और उनके परिवार ने जिला पंचायत अध्‍यक्ष शिवकली के राजनीतिक प्रतिनिधि का कामधाम शुरू कर दिया। मुकेश डीडीसी तो थे ही, उनकी पत्‍नी सीलम सिंह भी डीडीसी बन गयीं। उनके भाई गौरी गंज से ब्‍लाक प्रमुख हो गये। लेकिन असली असर तो जिला पंचायत अध्‍यक्ष का ही होता है न, इसलिए शिवकली के प्रतिनिधि बन गये मुकेश। उन्‍होंने सबसे पहले तो एक कीमती और बांका-सी कार खरीदी जिसका अन्तिम नम्‍बर रखा 36, और उस पर लाल बत्‍ती लगा दी गयी। तेज सायरन तो सत्‍ता की धमक का प्रतीक होता है न, इसलिए एक जबर्दस्‍त सायरन लगाया गया जिसे सुन कर आसपास गुजरते लोगों का दहल जाए।

लेकिन इसके बाद से इस परिवार के वाहनों के काफिले में जितनी भी बेशकीमती गाडि़यां जुड़ीं, उन सब का आखिरी नम्‍बर 36 ही हुआ। इतना ही नहीं, इन सभी गाडि़यों में तेज सायरन और लाल बत्‍ती भी लगायी गयी। यह साबित करने के लिए कि असल जिला पंचायत भले ही शिवकली हों, लेकिन असली सत्‍ता केवल उनके राजनीतिक प्रतिनिधियों में ही सम्मिलित है। इस समय इस काफिले में कुछ छह कीमती गाडि़यां हैं जिनका आखिरी नम्‍बर 36 है।

यह तो रही राजनीतिक दबंगई का नजारा, अब जरा देखिये इन अराजकता पर होने वाला घिनौना असर। दरअसल, शिवकली का जिला पंचायत कार्यालय जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश पांडेय के आवास के ठीक सामने है। डीएम के आवास पर सुबह से ही अपनी समस्‍याओं की शिकायत करने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। उधर उसके ठीक सामने बने जिला पंचायत अध्‍यक्ष कार्यालय के सामने सड़क पर अध्‍यक्ष के प्रतिनिधि के आधा दर्जन वाहनों की रेलमपेल मची रहती है। उस पर सबसे ज्‍यादा बेतरतीबी मचाती हैं वे गाडि़यां हो शिवकली के प्रतिनिधि के नाम हैं। सारी गाडियां सड़क पर अनियंत्रित खड़ी-पार्क होकर।

नतीजा यह कि फरियादियों को आने-जाने में खासी दुश्‍वारियां का सामना पड़ता है। यह बेधड़क गाडि़यां तो डीएम तक को नहीं सहेटती हैं। हालत यह है कि जब यह गाडि़यां यहां हट जाती है, उसके बाद ही जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश पांडेय की गाडी रवाना हो पाती है। यह हालत तब है, जब यहां से 50 मीटर दूर ही पुलिस कप्‍तान का कार्यालय मौजूद है। इस धाकड़-पना का मूल कारण है सिर्फ हवाई रंगबाजी, जिसके सामने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। एक अधिकारी ने गुपचाप जानकारी दी कि डीएम और एसपी इन प्रतिनिधियों और  उनके चेला-चापड़ों के सामने ही नहीं, उनके फोन तक से थरथरा उठ जाते हैं।

वरना क्‍या वजह है कि कोई बीस दिन पहले पड़ोसी जिला सुल्‍तानपुर की जिला पंचायत अध्‍यक्ष उषा सिंह के पति शिवकुमार की गाड़ी का सुल्‍तानपुर पुलिस ने चालान कर दिया था। वहज थी कि उषा सिंह की लाल बत्‍ती लगी कार पर शिवकुमार बैठे थे। पुलिस ने उनकी लाल बत्‍ती उतार लिया। जब‍की शिवकली के नाम पर लाल बत्‍ती लगी छह से ज्‍यादा करें पूरे जिले में फर्राटा मार रही हैं।

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