सौ के दो नोट लेते ही सुपाल ने अक्‍लेस को छाती से लिपटा लिया, बह चली अश्रुधार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: तो बोलो नमो-नमो, मोदी की नोट-बंदी ने चचा-भतीजा के मन का कलुष मिटा दिया : प्रवाहित हो उठी पलकों से आंसुओं की निर्झरणी : नई मौद्रिक नीतियों ने काला धुंध समाप्‍त कर  दिया  :

संवाददाता

लखनऊ : सुबह सुबह शिवपाल, भतीजे अखिलेश के आवास पर पहुंचे .. पता चला अखिलेश सोये हुये हैं ।

बहू डिम्पल ने सर पर अंचल खींचते हुये कहा ‘चाचाजी , कहिये तो जगा दूँ!’

शिवपाल ने रुंधे गले से कहा ‘तू रहन दे बहू , मैं खुद जगाता हूँ !’

कमरे में गये और दुलार से भतीजे के सर पर हाथ फेरकर जगाया । भतीजा उठा और तुरन्त चरण स्पर्श करके पूछा “चाचू आप ! सब खैरियत तो है न ?”

चाचा की आंखें नम हो गईं “सब खैरियत है बेटा , अब भी गुस्सा हो क्या?”

अखिलेश ने गहरी सांस भरकर जवाब दिया “अपनों से कैसा गुस्सा चचा ! और सुनाइए क्या आदेश है”

शिवपाल ने तनिक संकोच से ऑंखें झुकाये ही पूछा “बेटा , हजार का चेंज है क्या !”

अखिलेश ने मुस्कुराकर कहा “छुट्टा तो नहीं चचा , 400 रुपया है । दो सौ आप रखिये , दो सौ में मैं काम चला लूंगा ।”

और इतना सुनना था कि चाचा ने भतीजे को खींचकर गले से लगा लिया … दोनों के पलकों से आंसुओ की निर्झरणी प्रवाहित हो उठी थी । आज चचा-भतीजे दोनों के मन में कोई कलुष न था …. नयी मौद्रिक नीतियों ने सारे कलुष को धो पोछकर साफ़ कर डाला था !!

वाट्सअप पर चल रहा एक नया मस्‍त-मस्‍त क्षेपक

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