: घटिया करतूतें 4पीएम के संजय शर्मा और साधना प्लस के ब्रजमोहन की : हिन्दुस्तान टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार रहे विजय शर्मा ने बजाया था नीरा यादव की बेईमानी के खिलाफ बिगुल : भ्रष्टाचार-विरोधी जंग की सफलता पर अब अपनी पीठ ठोंक रहे हैं पत्रकार : नीरा यादव- एक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : नीरा यादव समेत कई भ्रष्ट अफसरों की करतूतों पर देशव्यापी चर्चा हो चुकी है। इन सभी अफसरों को सर्वोच्च न्यायालय तक से जेल की सजा पर मुहर लग चुकी है। अभी हाल ही साधना प्लस चैनल ने इसी पर केंद्रित एक कार्यक्रम प्रसारित किया।
बधाई हो।
यह कार्यक्रम इस चैनल के पत्रकार ने चर्चा करायी, लेकिन इसमें इस भ्रष्टाचार के खिलाफ फैसलाकुल जंग को जिस एक अन्य पत्रकार को जंगजू-नुमा मेडल-पदक थमा दिये, वह पत्रकार खुद ही पत्रकार जगत में निरा झूठा और बेईमान के तौर पर स्थापित हो चुका है। 4पीएम नामक एक चौपतिया अखबार के नाम पर इतना ही नहीं, इस साधना प्लस नामक चैनल के जिस यूपी-यूके हेड के तौर पर पेश किया गया, वह खुद ही बेहद चर्चित और कुख्यात है।
लानत है।
अब इस मामले की हकीकत पर भी एक नजर डाल लेंगे आप, तो आपके रोंगटे ही खड़े हो जाएंगे। दरअसल, यूपी की मुख्य सचिव रह चुकी नीरा यादव के भ्रष्टाचार की जंग जिस पत्रकार ने छेड़ी थी, उसका नाम था विजय शर्मा। हिन्दुस्तान टाइम्स के विशेष संवाददाता रह चुके विजय शर्मा ने आज से ठीक 20 साल पहले नीरा यादव के घोटालों का भण्डाफोड़ कर उसे सार्वजनिक कर दिया था।
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विजय शर्मा की ही मेहनत थी कि नोएडा प्लॉट घोटाले मे नीरा यादव को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पायी। और आज जब सुप्रीम कोर्ट ने नीरा यादव को चार साल की सजा सुनायी है, तो उसके पीछे इस रिपोर्टर का पसीना भी शामिल है।विजय शर्मा पॉयनियर के बाद हिंदुस्तान टाइम्स लखनऊ में 10 साल की सेवा के बाद तीन साल पहले सेवानिवृत्त हुए हैं।
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लेकिन संजय शर्मा और ब्रजमोहन सिंह जैसे पत्रकारों ने इस खबर को कुछ इस तरह पेश किया है, मानो इस भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ी गयी लड़ाई संजय शर्मा ने ही लड़ी। एक वरिष्ठ पत्रकार ने दावा किया है कि ब्रजमोहन सिंह ने इस खबर में संजय शर्मा के नाम को चमकाने के लिए मोटी रकम भी संजय शर्मा से ऐंठी, और हाल ही पूरी तरह बेनकाब हो चुके संजय शर्मा की छवि की मरम्मत करने की असफल कोशिश की गयी है।
नीरा यादव की बेईमानी के चलते सरकारी प्लॉटों के घोटाले में दिल्ली से लेकर लखनऊ के दिग्गज नेता, अफसर और बिजनेसमैन सहित सभी वो रसूखदार शामिल रहे, जिनकी केंद्र से लेकर राज्य की सरकारों में तूती बोलती थी। नीरा यादव की मदद से रसूखदारों ने खुद के साथ बीवी-बच्चों और रिश्तेदारों को औने-पौने दामों पर प्लाट अलॉट कराए।
पत्रकार विजय शर्मा कहते हैं उस वक्त नीरा यादव प्लाट आवंटन के आवेदन की गड्डियां लेकर गाड़ी में घूमा करती थी। जो भी नोटों से भरी अटैची लेकर उनके पैर छू लेता था, उसी के नाम पर प्लॉट आवंटित कर देती थी। मानो नोएडा की जमीन उनकी बपौती हो।
सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को लेकर विजय शर्मा इस बात से थोड़े निराश हैं कि नीरा यादव की करतूतों पर उतनी सजा नहीं मिली, जितनी मिलनी चाहिए। एक भी धेले की रिकवरी नहीं हुई, जबकि उन्होंने सरकारी जमीन बेचकर अरबों कमाए। (क्रमश:)
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